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हमारा रामपुर शहर, चीनी शोधन और कपास मिलिंग (Cotton Milling) जैसे विविध उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है। इन उद्योगों के अलावा, रामपुर और उत्तर प्रदेश राज्य, भारत की 6.33 करोड़ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises (MSME) की कुल संख्या में लगभग 14 प्रतिशत का योगदान देकर, भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) की परिभाषा और वर्गीकरण, अक्टूबर 2019 से ही सुर्खियों में है। सरकार ने इस क्षेत्र में पांच करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से एमएसएमई परिभाषा में बदलाव की घोषणा की है। अब, एमएसएमई को उसे मिलने वाले निवेश के बजाय उसके टर्नओवर (Turnover) से परिभाषित किया जाता है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम 2006 द्वारा परिभाषित एमएसएमई को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
1. विनिर्माण उद्यम: जो विभिन्न उद्योगों में माल का उत्पादन करते हैं।
2. सेवा उद्यम: जो सेवाएं प्रदान करते हैं।
2020 में, भारत सरकार ने एमएसएमईडी अधिनियम (msmed act) के तहत एमएसएमई को वर्गीकृत करने के मानदंडों में बदलाव किया। एमएसएमई के पंजीकरण के लिए नया वर्गीकरण अब केवल निवेश के पिछले मानदंड से हटकर निवेश और टर्नओवर के संयोजन पर आधारित है।
2024 में अद्यतित MSME वर्गीकरण और मानदंड निम्नवत् दिया गया है:
| उद्यम का प्रकार | निवेश | टर्नओवर |
|---|---|---|
| सूक्ष्म | ₹1 करोड़ | ₹5 करोड़ |
| लघु | ₹10 करोड़ | ₹50 करोड़ |
| मध्यम | ₹50 करोड़ | ₹250 करोड़ |
भारतीय अर्थव्यवस्था को आकार देने में एमएसएमई ने अहम भूमिका निभाई है। एमएसएमई ने स्थानीय और वैश्विक दोनों बाजारों के लिए उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन करके, विभिन्न उद्योगों की वृद्धि और विकास को प्रेरित किया है। बड़े शहर-आधारित उद्योगों की तुलना में कम पूंजी लागत पर औद्योगीकरण को बढ़ावा देने और वंचित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने में भी एमएसएमई महत्वपूर्ण रही हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 29% से अधिक का योगदान देते हैं और देश के कुल निर्यात के आधे के लिए ज़िम्मेदार हैं। इसके अतिरिक्त, वे भारत के विनिर्माण उत्पादन का एक तिहाई उत्पन्न करते हैं। एमएसएमई 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। भविष्य में इस आंकड़े को 15 करोड़ तक बढ़ाने की योजना है। कम पूंजी-उत्पादन अनुपात को इस क्षेत्र की विशेषता माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यहाँ पर मामूली निवेश से भी पर्याप्त वृद्धि हो सकती है।
आपको जानकर हर्ष होगा कि भारत में सबसे अधिक आबादी वाला हमारा राज्य उत्तर प्रदेश, देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में शीर्ष तीन योगदानकर्ताओं में से एक बन गया है। सीबीआरई साउथ एशिया (CBRE South Asia) और कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Confederation of Real Estate Developers Association of India (CREDAI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल पंजीकृत एमएसएमई का 9% हिस्सा अकेले हमारे उत्तर प्रदेश में है।
उत्तर प्रदेश के एमएसएमई क्षेत्र को सूक्ष्म इकाइयों के लिए 50% ब्याज सब्सिडी (interest subsidy) और अनुमोदित परियोजनाओं के लिए वार्षिक बुनियादी ढांचा ब्याज सब्सिडी (Annual Infrastructure Interest Subsidy) जैसी नीतिगत पहलों से बढ़ावा मिला है। राज्य में कुछ चयनित क्षेत्रों में स्टांप शुल्क में 100% छूट भी प्रदान की जाती है। इस सन्दर्भ में उद्यम योजना ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें आगरा, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, मेरठ और ग़ाज़ियाबाद जैसे शहर एमएसएमई क्लस्टर (clusters) के रूप में उभरे हैं। एमएसएमई क्षेत्र, विशेष रूप से माइक्रो सेगमेंट (Microsegment), अधिक न्यायसंगत आय वितरण को बढ़ावा देते हुए, ग्रामीण बाजारों और कम आय वाले उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए रणनीतिक रूप से खुद को तैयार कर रहा है।