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हमारे देश भारत में प्राचीन काल से ही ‘गणित’ को एक महत्वपूर्ण विषय माना गया है। भारत में गणित की समृद्ध परंपरा रही है। हम जानते हैं कि, भारत महान गणितज्ञों की भूमि रही है। दशमलव संख्या प्रणाली से लेकर एक संख्या के रूप में शून्य की अवधारणा और ऋणात्मक संख्याएं, हमारे देश भारत से अंकगणित, बीजगणित और त्रिकोणमिति के क्षेत्र में कुछ उपहार हैं। तो आइए आज, भारतीय गणित का इतिहास जानते हैं और समझते हैं कि, कैसे गणित ने दुनिया को बदल दिया है। साथ ही, कुछ महान भारतीय गणितज्ञों और उनके योगदान को भी जानते हैं।
गणित ने सहस्राब्दियों से भारतीय संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुए गणितीय विचारों का दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा है। कितने ही विज्ञानों की उत्पत्ति भारत में हुई थी। और, गणित भी यहीं से शुरू हुआ है। हम आज भी संस्कृत अंकों के बाद, 1, 2, 3 आदि को शून्य तक गिनते हैं। साथ ही, बीजगणित की उत्पत्ति भी भारत में ही हुई थी।
भारत में सिंधु घाटी सभ्यता का अस्तित्व लगभग 3000 ईसा पूर्व का माना जाता है। इस सभ्यता के दो सबसे प्रसिद्ध शहर – हड़प्पा और मोहनजो-दारो, इस बात का सबूत देते हैं कि, इमारतों के निर्माण में एक मानकीकृत माप का पालन किया जाता था, जो दशमलव था। यहां, हमें निर्माण के उद्देश्य से विकसित गणितीय विचारों का उदाहरण मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के पास, ईंट बनाने की उन्नत तकनीक थी। और, यह तथ्य तो सर्वज्ञात ही है कि, ईंट बनाने में गणित का उपयोग होता है।
भारत में खगोल विज्ञान का अध्ययन इससे भी पुराना माना जाता है, और इसमें कुछ गणितीय सिद्धांत अवश्य रहे होंगे, जिन पर यह आधारित था। इसके बाद के समय में भी, हम पाते हैं कि, खगोल विज्ञान ने काफी गणितीय विकास को प्रेरित किया है।
साथ ही, वैदिक साहित्य में पाए जाने वाले गणितीय निर्माणों के बारे में भी बहुत कुछ लिखा गया है। विशेष रूप से, ‘शतपथ ब्राह्मण’(शुक्ल यजुर्वेद का एक हिस्सा) में यज्ञों के लिए, वेदियों के ज्यामितीय निर्माण का विस्तृत विवरण शामिल है। यहां सिंधु घाटी सभ्यता की ईंट बनाने की तकनीक का भी एक नया प्रयोग किया गया था। दूसरी ओर, ‘शुल्ब सूत्र’ अपरिमेय संख्याओं (वे संख्याएं जो दो पूर्ण संख्याओं का अनुपात नहीं होती हैं) की अवधारणा का परिचय देते हैं।
इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि, ‘शून्य’ इस संख्या का पहला ज्ञात उपयोग, हमारे देश भारत में हुआ था। जैसे कि हमनें ऊपर पढ़ा है, भारतीय उपमहाद्वीप में गणित का 3,000 वर्ष पुराना एक समृद्ध इतिहास है। और, यूरोप(Europe) में इसी तरह की गणितीय प्रगति होने से पहले, यह सदियों तक यहां फलता-फूलता रहा था। और, इसी बीच इसका प्रभाव चीन(China) और मध्य पूर्व(Middle East) तक फैल गया।
गणित में शून्य की अवधारणा देने के साथ-साथ, भारतीय गणितज्ञों ने त्रिकोणमिति, बीजगणित, अंकगणित और नकारात्मक संख्याओं के अध्ययन में मौलिक योगदान दिया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण दशमलव प्रणाली है, जिसे हम आज भी दुनिया भर में उपयोग करते हैं।
अब आइए, यहां नीचे प्रस्तुत की गई सूची के माध्यम से, गणित विषय में विभिन्न गणितज्ञों के योगदान के बारे में जानते हैं।
श्रीनिवास रामानुजन:
आज गणितज्ञ रामानुजन को महत्वपूर्ण समीकरणों, पाई या π के मूल्य और गेम थ्योरी(Game theory) के आविष्कारों के लिए याद किया जाता है।
भास्कर I:
गणितज्ञ भास्कर I या प्रथम हिंदू दशमलव प्रणाली का आविष्कार करने के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्होंने 629 ईसवी में एक ‘आर्यभटीयभाष्य’ नामक एक विचेनात्मक कृति लिखी, जिसे गणित और खगोल विज्ञान क्षेत्र में ज्ञात, सबसे पुराना संस्कृत भाषा का कार्य माना जाता है।
आर्यभट्ट:
सबसे प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ – आर्यभट्ट, के योगदान में पृथ्वी के गोलाकार आकार की खोज, 1 वर्ष में दिनों की संख्या और उल्लेखनीय कार्य ‘आर्यभट्ट सिद्धांत’ और ‘आर्यभटीय’ शामिल हैं। इन्होंने ही, शून्य इस संख्या की खोज की है।
ब्रह्मगुप्त:
गणितज्ञ, ब्रह्मगुप्त अपने कार्य ‘ब्रह्मस्फुटसिद्धांत’ के लिए प्रसिद्ध हैं। यह पुस्तक, गणना में एक संख्या के रूप में 0 के उपयोग से संबंधित है।
पी. सी. महालनोबिस:
पी.सी. महालनोबिस को एक गणितज्ञ, वैज्ञानिक, सांख्यिकीविद् और सांख्यिकी के भारतीय जनक के रूप में जाना जाता है।
सत्येंद्र नाथ बोस:
सत्येंद्र नाथ बोस एक भारतीय गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी थे। उन्होंने बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट(Bose-Einstein Condensate) परियोजना पर महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन(Albert Einstein) के साथ काम किया था।
डी. आर. कापरेकर:
कापरेकर ने जादुई वर्ग(Magic squares), आवर्ती दशमलव और विशेष गुण वाले पूर्णांक जैसे विभिन्न विषयों को लेकर लगातार अपने विचार प्रकाशित किए।
शकुन्तला देवी:
शकुन्तला देवी अपनी असाधारण गणना गति के लिए पहचानी जाती है। इसी कारण उन्हें ‘मानव कंप्यूटर(Human computer)’ की उपाधि भी मिली थी।
महावीर:
महावीर दुनिया के पहले भारतीय गणितज्ञ थे, जिन्होंने इस तथ्य को समझाया कि, ऋणात्मक संख्याओं के मामले में वर्गमूल मौजूद नहीं होते हैं। उन्हें अर्धवृत्त, वृत्त, समद्विबाहु त्रिभुज, समचतुर्भुज और समबाहु त्रिभुज की अवधारणाओं के नामकरण में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता है।
नरेंद्र करमरकर
करमरकर बहुपद के एल्गोरिदम(Algorithms) का आविष्कार करने में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/c3k5hsa4
https://tinyurl.com/2s3cfc25
https://tinyurl.com/52avw5wp
चित्र संदर्भ
1. भास्कर I और गणितीय संख्याओं को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, wikimedia)
2. गणितीय संख्याओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जंतर मंतर पर खगोल विज्ञान विश्लेषण संरचनाओ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. श्रीनिवास रामानुजन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. भास्कर I को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. आर्यभट्ट की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. पी. सी. महालनोबिस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. सत्येंद्र नाथ बोस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. डी. आर. कापरेकर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. शकुन्तला देवी को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
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