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हमारा देश भारत अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों के लिए जाना जाता है। भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक प्रणालियाँ पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं में गहराई से निहित हैं, और एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह को आदर्श परिवार इकाई के रूप में देखा जाता है। विवाह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक ऐसी बहुप्रतीक्षित घटना होती है जो एक सपने के सच होने के समान होती है और जिसके बाद जीवन पूरी तरह परिवर्तित हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका स्वयं का या उसकी संतानों का विवाह यथासंभव चरम सीमा तक असाधारण और भव्य हो। इस स्वप्न को पूरा करने के लिए अधिकांश लोगों द्वारा अपने जीवन भर की कमाई को खर्च कर दिया जाता है। भारत में विवाह समारोहों पर हर साल करीब 11 लाख करोड़ रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि इसके लिए कई परिवार क़र्ज़ के बोझ तले इस तरह डूब जाते हैं कि फिर वे कभी उबर नहीं पाते।
तो आइए आज के अपने इस लेख के माध्यम से यह जानने की कोशिश करते हैं कि भारत में विवाह समारोहों में इतना अधिक खर्चा क्यों किया जाता है और इसका क्या परिणाम होता है? इसके साथ ही भारत में विवाह से संबंधित उद्योग के विषय में भी जानते हैं, जो आज हमारे देश में चौथा सबसे बड़ा उद्योग माना जाता है।
गत पिछले कुछ वर्षों से भारत में विवाह समारोहों में भव्यता के नित नए रूप देखने को मिलते हैं। ऐसे विवाह तो अब गुज़रे ज़माने की बात लगते है, जब केवल एक साधारण समारोह और रिसेप्शन पर्याप्त होता था। अब केवल माता पिता ही नहीं, बल्कि स्वयं दूल्हे-दुल्हन अपने विवाह की भव्यता को लेकर इतने उत्सुक होते हैं कि वे स्वयं विवाह से संबंधित एक एक तैयारी का ध्यान रखना चाहते हैं, विपरीत इसके कि पहले दूल्हे दुल्हन को विवाह में कुछ नहीं करना होता था। यही कारण है कि भारत में विवाह उद्योग दिन प्रतिदिन प्रगति कर रहा है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय विवाह उद्योग का अनुमानित मूल्य लगभग 30 अरब डॉलर है। जिसके अगले वर्ष 2025 तक ही बढ़कर 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इन आंकड़ों से ही विवाह उद्योग में प्रगति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
आज विवाह समारोह को प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। परिवार भव्य से भव्य विवाह के माध्यम से अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए उत्सुक रहते हैं। इसके अलावा गंतव्य विवाह (Destination Weddings) के चलन के कारण भी विवाह समारोह का खर्चा एक सामान्य विवाह की तुलना में 10 गुना तक बढ़ जाता है। खानपान से लेकर सजावट तक, शादी के योजनाकारों से लेकर फोटोग्राफरों तक, विवाह से संबंधित प्रत्येक गतिविधि पर दिल खोलकर खर्चा किया जाता है। जिससे हालांकि एक तरफ जहाँ यह उद्योग तेज़ी से बढ़ रहा और कई लोगों को रोजज़र के अवसर प्रदान कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भव्य विवाह करने के लिए लोग अपने पूरे जीवन की कमाई को खर्च करने के साथ साथ क़र्ज़ भी ले लेते हैं। और उस क़र्ज़ को चुकाने के लिए अपना पूरा जीवन बिता देते हैं।
एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2018-19 में 20-30 वर्ष की आयु के युवा भारतीयों से प्राप्त कुल ऋण आवेदनों में से लगभग 20% ऋण आवेदन विवाह समारोह के वित्तपोषण के लिए थे। यह सर्वेक्षण छह प्रमुख शहरों - मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता में वेतनभोगी और स्व-रोज़गार वाले युवा भारतीयों के बीच आयोजित किया गया था जिसमे कुल मिलाकर, 5200 उत्तरदाताओं का उनकी ऋण आवश्यकताओं के लिए मूल्यांकन किया गया था। सर्वेक्षण में ऋण का आवेदन सात मुख्य उद्देश्यों अर्थात् विवाह, स्टार्टअप, शिक्षा, यात्रा, जीवन शैली, घर का नवीनीकरण, अप्रत्याशित खर्च, और अन्य के लिए किया गया था।
सर्वेक्षण के अनुसार मुंबई में सभी उत्तरदाताओं में से 22% ने अपने विवाह हेतु ऋण के लिए आवेदन किया था जो किसी भी अन्य श्रेणी में सबसे अधिक था। इसके बाद शिक्षा और यात्रा के लिए प्रत्येक में 20% ऋण के लिए आवेदन किया गया था। वही दिल्ली के अधिकांश युवा भारतीयों द्वारा 20% अपने विवाह खर्च, 18% शिक्षा, 15% यात्रा, और 14% स्टार्टअप के लिए ऋण के लिए आवेदन किया। संपूर्ण जीवनशैली श्रेणी में भी राजधानी क्षेत्र 27% के साथ सबसे आगे रहा। जबकि सभी छह शहरों में यात्रा के उद्देश्य से 20% ऋण आवेदनों में से अधिकतम 20% हैदराबाद से प्राप्त हुए थे।
हालांकि भारतीय विवाह उद्योग में तेज़ी से विकास हो रहा है और यह 7-8% की वार्षिक दर से बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसी विवाह मौसम में इस उद्योग के 75 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यद्यपि महामारी के दौरान इस उद्योग में कुछ गिरावट देखी गई थी, लेकिन इस उद्योग ने अति शीघ्रता के साथ पुनर्लाभ किया।
रिपोर्ट के अनुसार महामारी के बाद अब एक औसत विवाह में मेहमानों की संख्या में 14.8% की वृद्धि दर्ज की गई है। गंतव्य विवाह के चलन में वृद्धि के कारण, विवाह व्यवसायों में 2022 से 2023 तक साल-दर-साल 15-22% की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके साथ ही क्रय शक्ति में वृद्धि के साथ साथ लोगों का लग्जरी सेगमेंट (Luxury Segment) की तरह रुझान बढ़ा है। इसके अलावा अब विवाह समारोह में दोनों तरफ के परिवारों द्वारा समान रूप से खर्चा किया जाता है, जिससे भी इस उद्योग में दिन प्रति दिन वृद्धि हो रही है। वास्तव में भारतीय विवाह उद्योग बदलती प्राथमिकताओं और आर्थिक स्थितियों के साथ निरंतर विकसित हो रहा है।
संदर्भ
https://rb.gy/uaqgxn
https://rb.gy/pazy9l
https://shorturl.at/tBDMU
चित्र संदर्भ
1. विवाह करने के लिए बैठे एक भारतीय जोड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. विवाह के बंधन को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. विवाह हेतु सजाए गए एक महल को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
4. सजाए गए एक मंडप को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
5. पारंपरिक दक्षिण भारतीय विवाह को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)