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उल्लेखनीय हस्तियों ने लखनऊ में नगर निगम के इतिहास को दिलचस्प बना दिया!

लखनऊ

 16-03-2024 09:36 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

लखनऊ शहर अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के लिए, विश्व भर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों पर्यटक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर हमारे नगर में पधारते हैं। ऐसे में शहर को साफ़ रखना, यहां की धरोहरों का संरक्षण करना और शहर का निरंतर विकास करते रहना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है। इस संदर्भ में हमारे लखनऊ में नगर निगम की भूमिका बहुत अधिक मायने रखती है।
भारत में नगर निकायों का एक समृद्ध और व्यापक इतिहास रहा है। भारत में नगर निगमों की यात्रा 1688 में एक पूर्व प्रेसीडेंसी टाउन (Former Presidency Town) मद्रास में पहले नगर निगम की स्थापना के साथ शुरू हुई थी। इसके बाद 1726 में बॉम्बे (मुंबई) और कोलकाता में इसी तरह के निगमों का निर्माण हुआ। भारतीय संविधान में संसद और राज्य विधानसभाओं के भीतर लोकतंत्र की रक्षा के लिए विस्तृत नियम निर्धारित किये गए हैं। लेकिन संविधान में शहरों और कस्बों के संचालन के लिए स्थानीय स्वशासन की भूमिका को स्पष्ट नहीं किया गया है। संविधान में नगर पालिकाओं का कोई प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं मिलता है। नगर पालिकाओं का एकमात्र अप्रत्यक्ष संदर्भ राज्य सूची की प्रविष्टि 5 में मिलता है। इस प्रविष्टि के तहत स्थानीय स्वशासन की ज़िम्मे दारी राज्यों को सौंपी गई है।
शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक समान ढांचा स्थापित करने और स्वशासन की लोकतांत्रिक इकाइयों के रूप में उनकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए, भारतीय संसद ने संविधान में (74वां संशोधन) अधिनियम, 1992 (Constitution (74th Amendment) Act, 1992) लागू किया।
इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:
1. संविधान में विशेष रूप से नगर पालिकाओं को समर्पित एक नए भाग IX-A का निर्माण।
2. तीन प्रकार की नगर पालिकाओं का वर्गीकरण:
- ग्रामीण से शहरी में परिवर्तित होने वाले क्षेत्रों के लिए नगर पंचायतें।
- छोटे शहरी क्षेत्रों के लिए नगर परिषदें।
- बड़े शहरी क्षेत्रों के लिए नगर निगम।
3. नगर पालिकाओं के लिए निश्चित कार्यकाल।
4. राज्य चुनाव आयोगों की स्थापना।
5. राज्य वित्त आयोग का गठन।
6. महानगर एवं जिला योजना समितियों का गठन।
इस अधिनियम को 20 अप्रैल 1993 के दिन देश के तत्कालीन राष्ट्रपति के द्वारा मंजूरी दे दी गई और यह 1 जून 1993 को लागू हुआ। इसके तहत सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (झारखंड और पुडुचेरी को छोड़कर) द्वारा स्थानीय लोकतंत्र और शासन को मजबूत करने हेतु नगर निकायों के लिए चुनाव कराए जाते हैं। एक नगर निगम एक विशिष्ट क्षेत्र के प्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार होता है, जिसे नगरपालिका क्षेत्र (Municipal Area) कहा जाता है। यह क्षेत्र छोटे-छोटे वर्गों में विभाजित होता है, जिन्हें वार्ड (Wards) कहा जाता है। प्रत्येक वार्ड को वार्ड समिति में एक प्रतिनिधि मिलता है। जो लोग कम से कम 18 वर्ष के हैं वे इन प्रतिनिधियों को चुनने के लिए मतदान कर सकते हैं, जिन्हें पांच साल की अवधि के लिए पार्षद या नगरसेवक कहा जाता है। नगरपालिका क्षेत्र में वार्डों की संख्या, शहर की जनसंख्या पर निर्भर करती है।
संविधान की बारहवीं अनुसूची में नगर निगमों को कई प्रकार की ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं। इन ज़िम्मेदारियों में शामिल हैं:
➲ शहरी नियोजन: इसमें नगर नियोजन और भूमि उपयोग का विनियमन और भवनों का निर्माण कराना शामिल है।
➲ आर्थिक और सामाजिक विकास: नगर निगम आर्थिक और सामाजिक विकास की योजना बनाने के लिए ज़िम्मेदार हैं।
➲ जल आपूर्ति: घरेलू, औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए जल आपूर्ति भी नगर निगम द्वारा ही सुनिश्चित की जाती है।
➲ सार्वजनिक स्वास्थ्य: इसमें स्वच्छता संरक्षण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है।
➲ अग्निशमन सेवाएँ: नगर निगम अग्निशमन (आग बुझाने) की सेवाएँ भी प्रदान करते हैं।
➲ पर्यावरण संरक्षण: नगर निगम शहरी वानिकी, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देने के लिए ज़िम्मेदार हैं।
➲ समाज कल्याण: दिव्यांगों और मानसिक रूप से अक्षम लोगों सहित समाज के कमज़ोर वर्गों के हितों की रक्षा करना नगर निगम की एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है।
➲ मलिन बस्ती सुधार: नगर निगम मलिन बस्ती के सुधार और उन्नयन का भी काम करते हैं।
➲ शहरी सुविधाएँ: हरे-भरे पार्क (Parks), उद्यान, खेल के मैदान, स्ट्रीट लाइटिंग (Street Lighting), पार्किंग स्थल (Parking Lots), बस स्टॉप (Bus Stops) और सार्वजनिक सुविधाओं जैसी शहरी सुविधाओं का निर्माण और इन्हें दुरुस्त रखने की ज़िम्मेदारी भी नगर निगम की ही होती है।
➲ सांस्कृतिक संवर्धन: नगर निगम सांस्कृतिक, शैक्षिक और सौंदर्य संबंधी पहलुओं को बढ़ावा देते हैं।
➲ दफ़न सेवाएँ: दफ़नाने और कब्रिस्तान, दाह संस्कार, श्मशान घाट और विद्युत शवदाह गृह का प्रबंधन भी नगर निगम द्वारा ही किया जाता है।
➲ पशु कल्याण: जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकना भी नगर निगम की ज़िम्मेदारी होती है।
➲ महत्वपूर्ण सांख्यिकी: जन्म और मृत्यु के पंजीकरण का काम भी नगर निगम के अधिकारी ही संभालते हैं।
कुल मिलाकर नगर निगम शहरी जीवन के प्रबंधन और सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
लखनऊ नगर पालिका (Lucknow Municipality) की स्थापना 1860 में अंग्रेजों द्वारा की गई थी। उस समय के डिप्टी कलेक्टर (Deputy Collector) जी. कैम्पबेल स्क्वायर (G. Campbell Squire) के नेतृत्व में एक स्थानीय समिति का गठन किया था। यह समिति समय के साथ विकसित हुई, जिसके बाद यह एक स्थानीय निकाय और अंततः नगर निगम बन गई। लखनऊ के मेयर (Mayor) के रूप में कई उल्लेखनीय हस्तियों ने भी अपनी सेवा प्रदान की है। भारत की आज़ादी से पहले, बैरिस्टर सैयद नबीउल्लाह, मेयर के रूप में स्थानीय बोर्ड का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय थे। वह अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (All India Muslim League) के एक प्रमुख नेता थे। लखनऊ में जी कैंपबेल स्क्वायर और सैयद नबीउल्लाह दोनों के नाम पर सड़कें भी हैं।
स्वतंत्रता के बाद के युग में, लखनऊ के मेयरों में कैप्टन वी आर मोहन (Captain V.R Mohan), अखिलेश दास गुप्ता, डॉ एस सी राय (Dr S.C Rai), दिनेश शर्मा और संयुक्ता भाटिया जैसे बड़े नाम भी जुड़ गए।
शिक्षाविद् और परोपकारी, अखिलेश दास गुप्ता ने जनवरी 2006 से मई 2008 तक केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में कार्य किया। 1993 में उन्हें लखनऊ के मेयर के रूप में चुना गया था और वह उस समय दुनिया के सबसे कम उम्र के मेयरों में से एक थे। नवंबर 1996 में उन्हें राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया और उन्होंने तीन कार्यकाल तक सेवा की।
बलरामपुर अस्पताल के सर्जन डॉ एस सी राय, लखनऊ के पहले निर्वाचित मेयर थे, जिन्होंने 1995 से 2005 तक लगातार दो कार्यकाल तक शहर की सेवा की। उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने 2006 से लगातार तीन बार मेयर के रूप में जीत हासिल की। वह एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और भाजपा के कद्दावर नेता हैं। 2017 में, लखनऊ के लोगों ने अपनी पहली महिला मेयर, सामाजिक कार्यकर्ता संयुक्ता भाटिया को चुना, जिन्हें प्यार से 'माता जी' कहा जाता है। हाल के वर्षों में लखनऊ के नगर निगम प्रशासन ने शहर की तरक्की के संदर्भ में कई बड़े कदम भी उठाए हैं। लखनऊ शहर में कैमरे‚ ट्रैफिक लाइट (Traffic Lights)‚ फ्रंट लाइटिंग (Front Facade Lighting)‚ एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली (Integrated Traffic Management System) जैसी स्मार्ट निगरानी के कारण लखनऊ शहर अन्य शहरों की तुलना में अधिक विकसित प्रतीत होता है।
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी के अनुसार लखनऊ ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और घर-घर जाकर कचरा संग्रह प्रणाली में सुधार करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए हैं। 300 ओपन डंपिंग पॉइंट्स (Open Dumping Points) में से 41 पॉइंट्स को 47 पीसीटीएस (PCTS) मशीनों के साथ मैकेनाइज्ड ट्रांसफर स्टेशनों (Mechanised Transfer Stations) में परिवर्तित कर दिया गया है। लखनऊ नगर निगम द्वारा वाणिज्यिक और बाज़ार क्षेत्रों में कचरे के संग्रह के लिए अलग अलग स्थानों पर दो-दो कचरा संग्रह डिब्बे भी स्थापित किए गए हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2vn5kmfc
https://tinyurl.com/3b28rzeb
https://tinyurl.com/52w8ns9w
https://tinyurl.com/yw9n57bw

चित्र संदर्भ
1. नगर निगम लखनऊ भवन की ईमारत को संदर्भित करता एक चित्रण (yotube)
2. भारत की प्रशासनिक संरचना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. लखनऊ नगर निगम के आधिकारिक लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. वाराणसी नगर निगम के स्वच्छता अभियान के बोर्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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