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हमारे मोबाइल फोन से लेकर हमारे घर में किताबों की अल्मारी तक, और हमारे स्थानीय कार्यालय पार्क (business parks / business center buildings) की ग्लास बॉक्स वास्तुकला (glass box architecture), अर्थात अधिकतर ऑफिस बिल्डिंग में बहुतयात में कांच का उपयोग, इन सभी की वास्तुकला में एक वस्तु समान है - वो है एक शताब्दी पुरानी बॉहॉस (Bauhaus) डिज़ाइन विचारधारा। बॉहॉस डिज़ाइन विचारधारा की शुरुआत 1900 के दशक की शुरुआत में जर्मनी में हुई थी। बॉहॉस एक कला विद्यालय है जिसने आधुनिक युग में वास्तुकला और डिजाइन के क्षेत्र में क्रांति ला दी। कला, शिल्प कौशल और प्रौद्योगिकी के संयोजन से, बॉहॉस विचारधारा ने व्यावहारिक, देखने में मनभावन और किफायती डिज़ाइन तैयार करने के साथ अपना कार्य शुरू किया। बॉहॉस विद्यालय जर्मनी में केवल 14 वर्षों तक अस्तित्व में रहा, इस दौरान ज्यामितीय आकृतियों, प्राथमिक रंगों और प्रौद्योगिकी के उपयोग ने कला और डिजाइन के रूप को बदल दिया। तो आइए आज हम बॉहॉस की रंग एवं आकृति अवधारणा, और स्वरूप तथा दुनिया भर के रचनाकारों की पीढ़ियों पर इसके प्रभाव को समझने का प्रयास करें। इसके साथ ही कुछ प्रमुख बॉहॉस कलाकारों के बारे में भी जानते हैं।
बॉहॉस आंदोलन से जुड़े कलाकारों और डिजाइनरों का मानना था कि कला को उसके मूल तत्वों तक सरल बनाया जाना चाहिए। इसलिए बॉहॉस कलाकारों द्वारा अपनी डिजाइनों में मुख्य रूप से प्राथमिक रंगों के उपयोग पर ज़ोर दिया गया। वे लाल, नीले और पीले रंग को सबसे शुद्ध और बुनियादी रंग मानते थे। बॉहॉस कलाकारों ने प्राथमिक रंगों का उपयोग अक्सर उनकी शुद्ध अवस्था में किया। प्राथमिक रंगों का उपयोग करके, बॉहॉस डिज़ाइन ने स्पष्टता और सरलता की दृश्य प्रभाव की भावना विकसित की।
बॉहॉस डिजाइनों में वर्ग, वृत्त, त्रिकोण और आयत सहित विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों का प्रमुखता के साथ उपयोग किया गया। बहुत कलाकारों ने पिछले एवं समकालीन युग में कला के अत्यधिक अलंकरण को अस्वीकार कर दिया और अपने आंदोलन का उद्देश्य डिजाइन के लिए अधिक तर्कसंगत और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना निश्चित किया। बॉहॉस रचनाओं में ज्यामितीय आकृतियों को क्रम, संतुलन और एकता स्थापित करने के लिए उपयोग किया गया। बॉहॉस डिज़ाइन में प्राथमिक रंगों और ज्यामितीय आकृतियों का उपयोग केवल दो-आयामी कलाकृतियों तक ही सीमित नहीं रखा गया, बल्कि वास्तुकला, डिजाइनिंग उत्पादों और यहां तक कि मंच प्रदर्शन तक भी इसे विस्तारित किया गया। इसका उद्देश्य एक दृश्य भाषा स्थापित करना था जिसे विभिन्न विषयों और माध्यमों में लागू किया जा सके। बॉहॉस में पढ़ाने वाले एक कलाकार कैंडिंस्की (Kandinsky) ने अपनी कलाकृतियों में रंगों और रूपों के बीच संबंधों का पता लगाकर उनके मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव पर सिद्धांत भी विकसित किए।
बॉहॉस में मुद्रण कला को संचार और दृश्य प्रतिनिधित्व के लिए एक शक्तिशाली उपकरण माना गया। आंदोलन का मानना था कि मुद्रण कला स्पष्ट, सरल और विभिन्न माध्यमों तथा संदर्भों के अनुकूल होने की क्षमता होनी चाहिए। अतः पाठ और छवियों को व्यवस्थित करने के लिए ज्यामितीय आकृतियों, असममित रचनाओं और ग्रिड प्रणालियों की खोज की गई। बॉहॉस आंदोलन में ही फ़्यूचूरा (Futura) और बॉहॉस (Bauhaus) सहित सैन्स-सेरिफ़ फ़ॉन्ट (sans-serif fonts) के उपयोग की भी शुरुआत हुई, जो आधुनिकतावादी डिजाइन का प्रतिष्ठित प्रतिनिधित्व बन गए। आंदोलन ने विभिन्न कलात्मक क्षेत्रों की एकता पर जोर दिया। ग्राफिक डिज़ाइन विचारों को व्यक्त करने और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए इसका उद्देश्य कला, शिल्प कौशल और डिजाइन के बीच अंतर को समाप्त करना था।
बॉहॉस विचारधारा ने पश्चिमी यूरोप (Western Europe), कनाडा (Canada), संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) और इज़राइल (Israel) में कला और वास्तुकला पर गहरा प्रभाव डाला। बॉहॉस विचारधारा से प्रभावित होकर 1928 में, हंगेरियन चित्रकार अलेक्जेंडर बोर्टनीक (Alexander Bortnyik) ने बुडापेस्ट (Budapest) में महेली (Műhely) नामक एक डिजाइन स्कूल की स्थापना की। 1920 के दशक के अंत और 1930 के दशक की शुरुआत में बॉहॉस विचारधारा वाला हार्वर्ड स्कूल (Harvard School) अमेरिका में बेहद प्रभावशाली रहा, जिससे फिलिप जॉनसन (Philip Johnson), आई. एम. पेई. (I.M.Pei), लॉरेंस हैल्प्रिन (Lawrence Halprin) और पॉल रूडोल्फ (Paul Rudolph) जैसे कई अन्य छात्र निकले। 1953 में, मैक्स बिल ( Max Bill) ने जर्मनी के उल्म (Ulm) में 'उल्म स्कूल ऑफ़ डिज़ाइन' (Ulm School of Design) की स्थापना की, जो बॉहॉस की परंपरा में एक डिज़ाइन स्कूल था। इसके अलावा डिज़ाइन शिक्षा पर बॉहॉस ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। बॉहॉस का एक मुख्य उद्देश्य कला, शिल्प और प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना था और इस दृष्टिकोण को बॉहॉस के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था। बॉहॉस में प्रारंभिक पाठ्यक्रम की संरचना सिद्धांत और अनुप्रयोग को एकीकृत करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। डिज़ाइन शिक्षा के प्रति यह दृष्टिकोण कई देशों में वास्तुशिल्प और डिज़ाइन स्कूल की एक सामान्य विशेषता बन गई। बॉहॉस का सबसे महत्वपूर्ण योगदान आधुनिक फर्नीचर डिजाइन के क्षेत्र में है। मार्सेल ब्रेउर (Marcel Breuer) द्वारा डिज़ाइन की गई विशिष्ट कैंटिलीवर कुर्सी (Cantilever chair) और वासिली चेयर (Wassily Chair) इसके दो उदाहरण हैं। 1996 में, जर्मनी में बॉहॉस से जुड़े चार प्रमुख स्थलों को यूनेस्को (UNESCO)की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया ।इसके बाद 2017 में दो अन्य स्थानों को इसमें शामिल किया गया।
लिंकन, मैसाचुसेट्स (Lincoln, Massachusetts) में बना ‘ग्रोपियस हाउस’ बॉहॉस विचारधारा को दर्शाने वाली एक मॉडल इमारत है। इस इमारत में बॉहॉस विचारधारा के सभी तत्व, जैसे कि सीधी रेखाएं, एक सपाट छत, सादे रंग, कार्यात्मक डिजाइन शामिल हैं। बॉहॉस कला विचारधारा को अनगिनत रचनाकारों एवं कलाकारों द्वारा मूर्त रूप प्रदान किया गया जिन्होंने अपने संबंधित क्षेत्रों को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। इस विद्यालय से निकले कुछ सबसे बड़े नामों पर एक नजर डालते हैं:
1. वाल्टर ग्रोपियस (Walter Gropius):
बॉहॉस के संस्थापक के रूप में, ग्रोपियस को वास्तुकला की इस शैली में सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक माना जाता है। ग्रोपियस ने वास्तु कला के क्षेत्र में पिछली शैलियों के अलंकरणवाद को त्याग कर वास्तविकता पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
2. मार्सेल ब्रेउर (Marcel Breuer):
मार्सेल ब्रेउर बॉहॉस के शुरुआती और सबसे कम उम्र के कलाकारों में से एक थे। उन्होंने अपना संपूर्ण ध्यान एवं जीवन फर्नीचर और वास्तुकला डिजाइन में केंद्रित कर दिया था।
3. पॉल क्ली (Paul Klee):
पॉल क्ली एक चित्रकार थे जिन्होंने अपने कार्य में अतियथार्थवाद और आधुनिकतावाद का मिश्रण किया गया था। उन्होंने बॉहॉस आंदोलन कलाकृति के सौंदर्यशास्त्र को विकसित करने के लिए आधुनिक कला आंदोलन में डिजाइन सिद्धांत पर ‘फॉर्म और डिजाइन सिद्धांत पर लेखन’ (Writings on Form and Design Theory) नामक एक महत्वपूर्ण कृति की रचना की।
4: एनी एल्बर्स (Anni Albers):
एनी एल्बर्स एक कपड़ा कलाकार थीं, जिन्होंने अपने कार्य में कला का मिश्रण किया। उनके वस्त्र आंदोलन से जुड़े ज्यामितीय और आधुनिकतावादी डिजाइनों का आज भी उपयोग किया जाता है।
वास्तव में बॉहॉस आंदोलन ने आधुनिक सौंदर्यशास्त्र को आकार दिया है और यह आज भी डिजाइनरों को प्रेरित कर रहा है। बॉहॉस विचारधारा एक परिवर्तनकारी अवधि का प्रतिनिधित्व करती है जिसमें कला और कार्यक्षमता का विलय हुआ, एक दृश्य भाषा का निर्माण हुआ, जो आज भी हमारी आधुनिक दुनिया में प्रासंगिक बनी हुई है।
संदर्भ
https://shorturl.at/gjlmA
https://shorturl.at/blKL4
https://shorturl.at/eEIW8
https://shorturl.at/kwV48
चित्र संदर्भ
1. रुसी चित्रकार वासिली कैंडिंस्की (Wassily Kandinsky) द्वारा स्टेडेलिज्क संग्रहालय में प्रदर्शित "बॉहॉस" प्रदर्शनी को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
2. बॉहॉस कला को संदर्भित करता एक चित्रण (Store norske leksikon)
3. सैन्स-सेरिफ़ फ़ॉन्ट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. ग्रोपियस हाउस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5."लिंकन, मैसाचुसेट्स (Lincoln, Massachusetts) में बना ‘ग्रोपियस हाउस’ बॉहॉस विचारधारा को दर्शाने वाली एक मॉडल इमारत है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. वाल्टर ग्रोपियस को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
7. मार्सेल ब्रेउर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
8. पॉल क्ली को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
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