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संपूर्ण विश्व में अपनी मनोरम संस्कृति, जीवंत परंपराओं और जीवंत जीवन शैली के कारण हमारे देश भारत का सदैव एक विशिष्ट स्थान रहा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक, भारत की सांस्कृतिक समृद्धि ने दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है। इसके साथ ही भारत की कला ने भी वैश्विक स्तर पर लोगों को अपनी तरफ खींचा है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि भारत की भव्य कलात्मक विरासत पर कई शताब्दियों के सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक प्रभावों का प्रभाव परिलक्षित होता है। भारतीय कला प्राचीन काल से लेकर आज तक धीरे धीरे विकसित हुई है, जिसमें संस्कृति की विविधता और लगातार बदलते समाज का सार प्रतिबिंबित होता है। जटिल गुफा चित्रों से लेकर विस्तृत दरबारी उत्कृष्ट कृतियों तक फैला हुआ, भारतीय चित्रकला का विकास एक ऐसा आकर्षण दर्पण है जिसमें रचनात्मकता, आध्यात्मिकता और समय के साथ समाज में बदलावों की छवि झलकती है।
भारतीय चित्रकला के सबसे पुरानी कृतियों के चिन्ह अजंता और एलोरा की गुफा परिसरों में देखे जा सकते हैं, जिन्हें यूनेस्को विश्व धरोहर (UNESCO World Heritage) स्थल घोषित किया गया है। जबकि दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 8वीं-10वीं शताब्दी ईसवी तक के प्राचीन और प्रारंभिक मध्ययुगीन युग में भारतीय कला के भित्तिचित्र रूप को देखा जा सकता है। भारत भर में 20 से अधिक स्थानों को, मुख्य रूप से प्राकृतिक गुफाओं में, इस अवधि के भित्तिचित्रों के लिए जाना जाता है। इन भित्तिचित्रों के लिए उल्लेखनीय स्थलों में अजंता, बाग, सित्तनवासल, अरमामलाई गुफा (तमिलनाडु), एलोरा गुफाओं में कैलाशनाथ मंदिर, रामगढ़ और सीताबिनजी शामिल हैं। ये भित्तिचित्र मुख्य रूप से बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म से संबंधित परंपराओं को दर्शाते हैं। हालाँकि, कई कलाकृतियाँ धर्मनिरपेक्ष विषयों को भी दर्शाती हैं। विशेष रूप से, छत्तीसगढ़ में जोगीमारा और सीताबेंगा गुफाएं इस प्रकार की सबसे पुरानी ज्ञात चित्रित गुफाएं हैं, जो तीसरी से पहली शताब्दी ईसा पूर्व की हैं। आइए ऐसी ही कुछ प्राचीन कलाकृतियों के विषय में जानते हैं:
1. भीमबेटका गुफा चित्र
यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल लगभग 30,000 वर्ष पुराना माना जाता है। ये गुफाएं मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में विंध्य पर्वत की तलहटी में स्थित हैं। इनकी खुदाई वर्ष 1957 में पुरातत्ववेत्ता वी.एस. वाकणकर द्वारा कार्रवाई गई थी। यहाँ कुल 760 गुफाएं हैं, जिनमें से केवल 500 गुफाओं में ही मध्य पाषाण काल से लेकर मध्यकालीन काल तक के चित्र पाए गए हैं।
2. अजंता गुफा चित्र (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व - 7वीं शताब्दी ईसवी)
इस यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल को हीनयान संप्रदाय से प्रभावित सातवाहन राजवंश से लेकर महायान संप्रदाय से प्रभावित वाकाटक काल तक का माना जाता है। यह महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में वाघुर नदी के आसपास 30 बौद्ध चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाओं में से एक गुफा है।
3. पट्टचित्र चित्रकला (5वीं शताब्दी ईसा पूर्व)
इस भारतीय चित्रकला शैली में 'पट्ट' का अर्थ है पत्ता और 'चित्र' का अर्थ है छवि। इस चित्रकला की उत्पत्ति प्राचीन ओडिशा में 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में मानी जाती है। इस चित्रकला को वस्तुतः धार्मिक उद्देश्य से बनाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रथ यात्रा के बाद जब भगवान जगन्नाथ, संस्कृति के अनुसार शीतनिद्रा में चले जाते हैं तो देवताओं के पट्टचित्रों की पूजा की जाती है।इस कला का सबसे अच्छा पहलू पुरी, कोणार्क और यूनेस्को विश्व धरोहर गांव, रघुराजपुर में देखा जा सकता है। इस भारतीय चित्रकला शैली की सुंदरता को विश्व स्तर पर सराहा जाता है।
4. सिगिरिया (5वीं शताब्दी ईसा पूर्व (श्रीलंका)
अपने जीवंत 18 भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध यह चट्टानी किला 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में राजा कश्यप द्वारा विकसित किया गया था। सिगिरिया (Sigiriya) शब्द की उत्पत्ति सी-हागरी (Si-hagri) या शेर के पंजे से हुई है। यह एक विलुप्त ज्वालामुखी के मैग्मा के जमाव से बना पठार है। यह स्थल दांबुला और हबराने के स्वर्ण गुफा मंदिर के बीच स्थित है। इस स्थान को वर्ष 1892 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
5. बाघ चित्रकला (छठी शताब्दी - 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व)
चट्टानों को काटकर बनाई गई यह गुफा मध्य प्रदेश के धार जिले की तहसील कुक्षी में बाघिनी नदी के तट पर बाघ गांव से 7 किलोमीटर दूर स्थित है। शुरुआत में यहाँ नौ गुफाएं थी, जिनमें से अब केवल पांच शेष हैं। ये गुफाएं बौद्ध कला का बेहतरीन उदाहरण हैं। यहां बोधिसत्व पद्मपाणि की चित्रकला अजंता की गुफाओं की चित्रकला से मिलती जुलती है।
6. बादामी चित्रकला (छठी शताब्दी ईसवी)
बादामी या वातापी नामक यह स्थान कर्नाटक में जिला बागलकोट में मालाप्रभा नदी की घाटी में स्थित है। यह स्थान वाकाटक के पतन के बाद 543 ईसा पूर्व में पुलकेशिन प्रथम द्वारा स्थापित चालुक्यों की राजधानी हुआ करता था। ये भारतीय चित्रकला राजा मंगलेश्वर के शासनकाल के दौरान बनकर पूरी हुईं। इस स्थान पर चार गुफाओं का समूह है, जिनमें से पहली गुफा भगवान शिव से संबंधित है, अगली दो गुफाएं भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों से संबंधित हैं, और अंतिम गुफा जैन धर्म के संस्थापक आदिनाथ या ऋषभनाथ से संबंधित है।
7. पनामालाई और सित्तनवासल चित्रकला (8वीं शताब्दी - 9वीं शताब्दी ईसवी)
तमिलनाडु के पनामालाई शहर में भगवान शिव को समर्पित तलगिरिश्वर मंदिर में पनामाली पेंटिंग चित्रकला स्थित हैं। इस मंदिर का निर्माण पल्लव शासक नरसिंहवर्मन द्वितीय (690-728 ईसवी) के संरक्षण में किया गया था। हालांकि इन चित्रकलाओं में अब माता पार्वती की केवल एक चित्रकला ही शेष बची है। जबकि सित्तनवासल तमिलनाडु राज्य के पुदुक्कोट्टई जिले में स्थित है। मठ रूपी इस गुफा को अरिवर कोविल के नाम से भी जाना जाता है। इस चित्रकला को जैन चित्रकला का सबसे पहला उदाहरण कहा जा सकता है, जो दूसरी शताब्दी की है। इन्हें प्रसिद्ध पल्लव शासक महेंद्रवर्मन के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इनमें से सबसे जीवंत और ज्वलंत एक चित्रकला 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ की है जो कमल पकड़े हुए हैं।
8. एलोरा चित्रकला (8वीं-9वीं शताब्दी ईसवी)
एलोरा में कुल 34 गुफाएं हैं, जिनमें से 5 गुफाओं में चित्रकारी की गई है। हालाँकि, कला के रूपांकन हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंधित हैं, कैलाश मंदिर की कलाकृति सर्वोत्कृष्ट है। इनमें से एक चित्रकारी में भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी को दर्शाया गया है, जबकि एक अन्य उत्कृष्ट कृति भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह को दर्शाती है।
9. तंजौर चित्रकला (11वीं शताब्दी ईसवी)
तंजौर या तंजावुर चित्रकला मूल रूप से तमिलनाडु के तंजावुर शहर से संबंधित है। ये चित्रकलाएं सोने, चांदी, तांबे और मूल्यवान रत्नों को अलंकृत करके बनाई जाती हैं जिससे ये तीन आयामी प्रभाव उत्पन्न करती हैं।
10. विजयनगर चित्रकला (13वीं -15वीं ईसवी)
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 13वीं शताब्दी में हरिहर ने की थी। यह कर्नाटक में बेल्लारी जिले के हम्पी के विरुपाक्ष मंदिर में छत पर की गई शिव की चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा तिरुवरुर जिले के नल्लूर गांव में स्थित कल्याण सुंदरेश्वर मंदिर के गर्भगृह में सुंदर चित्रकला मौजूद हैं। यहाँ कुदवयिल बालासुब्रमण्यम के मार्गदर्शन में किए गए नवीकरण के दौरान नारद को चित्रित करने वाली एक प्रतिष्ठित चित्रकला सामने आई। साथ ही लेपाक्षी मंदिर की दीवार कला भी सराहनीय है।
वास्तव में प्राचीन भारतीय चित्रकला कला का एक जीवंत और आकर्षक रूप है जो देश के समृद्ध इतिहास और परंपराओं को दर्शाती है। कला के ये रूप भारतीय समाज के दैनिक जीवन, विशिष्ट अवसरों, त्यौहारों, परंपराओं, एवं रीति रिवाजों की एक दुर्लभ झलक प्रस्तुत करते हैं। भारतीय कला में अक्सर चित्रकारों द्वारा शांतिपूर्ण ग्रामीण जीवन, सड़कों की हलचल, उत्पाद बेचने वाले विक्रेता, बाज़ारों के दृश्य, खेतों में मेहनत करने वाले किसान, अपने काम में डूबे हुए कारीगर, और जटिल हस्तशिल्प तैयार करने वाले कारीगर, प्रेम और मित्रता की झलक दर्शाते पारिवारिक दृश्य आदि का चित्रण बखूबी किया गया है। इसके साथ ही भारतीय संस्कृति में धर्म की महत्ता को धार्मिक संस्कारों, अनुष्ठानों और उत्सवों के माध्यम से सांस्कृतिक चित्रों में कलाकारों द्वारा बखूबी दर्शाया गया है। इन चित्रों में मंदिरों की जटिल बनावट, विभिन्न देवी देवताओं का चित्रण तथा धार्मिक अनुष्ठानों का चित्रण करके धार्मिक प्रथाओं से जुड़ी भव्यता और समर्पण को जीवंत स्वरूप प्रदान किया गया है।
संदर्भ
https://rb.gy/o98j02
https://rb.gy/zo60mc
चित्र संदर्भ
1. अजंता की गुफाओं में "पद्मपानी बोधिसत्व" की विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. चित्रों के माध्यम से श्रावस्ती के चमत्कार" की कहानी को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. भीमबेटका गुफा चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. अजंता गुफा चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. पट्टचित्र चित्रकला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. सिगिरिया पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. बाघ गुफाचित्रों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. बादामी चित्रकला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. पनामालाई और सित्तनवासल चित्रकला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. एलोरा चित्रकला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. तंजौर चित्रकला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
12. विजयनगर चित्रकला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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