Post Viewership from Post Date to 22-Mar-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2224 246 2470

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

विश्व और भारत में कैसे हुई फार्मास्युटिकल एवं बायोटेक क्षेत्र की शुरुआत?

लखनऊ

 20-02-2024 09:39 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

आज हमारा देश भारत तीव्र गति से विकास कर रहा है और हमारी अर्थव्यवस्था सबसे मजबूत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसका एक प्रमुख कारण देश के विभिन्न उद्योग एवं व्यापार हैं। औषधीय (Pharmaceutical) और जैव प्रौद्योगिकी (Biotech) क्षेत्र में भी हमारे देश भारत का वैश्विक स्तर पर एक अहम स्थान है। इसके अलावा देश के होनहार वैज्ञानिक और इंजीनियर इस क्षेत्र को दिन प्रति दिन और भी अधिक ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। दुनिया भर में जेनेरिक (generic) दवाओं के निर्माण में भारत का पहला स्थान है। वैश्विक स्तर पर विभिन्न प्रकार के टीकों की मांग की 50% आपूर्ति हमारे देश के फार्मास्युटिकल व्यवसाय द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्त संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में जेनरिक दवाओं की मांग की 40% तथा यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में सभी दवाओं की मांग की 25% आपूर्ति भारतीय व्यवसायों द्वारा की जाती है। पिछले कुछ दशकों में, भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग ने तेजी से विस्तार किया है, जिसे चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है। 1970 से पहले के समय को फार्मा उद्योग का प्रथम चरण कहा जा सकता है। उस समय भारतीय बाजार पर विदेशी कंपनियों का दबदबा था। 1970 से 1990 तक के दूसरे चरण के दौरान कई घरेलू कंपनियों ने अपना परिचालन शुरू किया। 1990 से 2010 के बीच का समय इस उद्योग का तीसरा चरण रहा है, जब भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में परिचालन शुरू किया गया। हालांकि पेटेंट बिल (patent bill) की शुरूआत को फार्मा उद्योग में मील का पत्थर कहा जा सकता है, जिसको पहली बार 1970 में प्रस्तावित किया गया था। इस बिल से भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र की संयुक्त राज्य अमेरिका के बौद्धिक संपदा कानूनों पर निर्भरता कम हो गई। और तब से लेकर आज तक भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग तेजी से विकास पथ पर बढ़ रहा है और 2030 तक इसके 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक बन जाएगा। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, फार्मा उत्पादों के उत्पादन में भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया भर में तीसरे स्थान पर और मूल्य के हिसाब से 14वें स्थान पर है। वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं की मांग की 20% आपूर्ति भारत द्वारा की जाती है। जेनेरिक दवाओं के निर्माण में अपनी क्षमता और गुणवत्ता के कारण भारत को विश्व स्तर पर 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसके साथ ही भारत में बायोफार्मास्यूटिकल्स (biopharmaceuticals) और बायोसिमिलर (biosimilars) के विकास और विनिर्माण में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। आपको बता दें कि बायोसिमिलर एक जैविक दवा है जो पहले से ही स्वीकृत किसी अन्य जैविक दवा के समान ही होती है। भारतीय कंपनियों द्वारा इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में विशेष रूप से निवेश किया जा रहा है, जिससे इन उच्च मूल्य वाली दवाओं के उत्पादन के लिए भारत एक लागत प्रभावी स्थान बन गया है। इसके अलावा उद्योगों की सहायता करने एवं अनुसंधान में अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार द्वारा भी नियमों को लगातार सुव्यवस्थित एवं सरलीकृत करने का कार्य किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न कंपनियों को व्यापार करने में आसानी हो और उत्पादों की सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित हो सके। कोविड-19 महामारी के बाद भारत में टेलीमेडिसिन (इलेक्ट्रॉनिक सूचना के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल) और डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को तेजी से अपनाया गया है। कई स्टार्टअप (Startups) और पहले से विकसित कंपनियों द्वारा डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं और उत्पादों को विकसित करने और वितरित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सरकार द्वारा भी अपनी "मेक इन इंडिया" (Make in India) पहल के तहत ‘सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक’ (Active Pharmaceutical Ingredient (API) विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है। जिसके माध्यम से भारत का लक्ष्य API आयात पर अपनी निर्भरता कम करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसके परिणामस्वरूप निर्यात बढ़ने से देश अब संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America), यूरोप (Europe), अफ्रीका (Africa) और अन्य एशियाई देशों सहित व्यापक बाजारों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। यह तो बात हो गई भारत में फार्मास्युटिकल और बायोटेक क्षेत्र के इतिहास एवं विकास की। आइए अब जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर फार्मास्युटिकल और बायोटेक क्षेत्र की शुरुआत कैसे हुई? हालांकि औषधि क्षेत्र सदियों से विकसित होता आया है, लेकिन आज 21 वीं सदी में फार्मास्यूटिकल एवं बायोटेक क्षेत्र का जो रूप हमें दिखाई देता है उसकी शुरुआत 19 वीं सदी से मानी जा सकती है। 17वीं शताब्दी में वैज्ञानिक क्रांति और 18वीं शताब्दी के अंत में औद्योगिक क्रांति के साथ मानव स्वास्थ्य के लाभ के लिए तर्क एवं प्रयोग के साथ वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाने लगा। इस दिशा में आगे बढ़ने वाली सबसे पहली कंपनी संभवतः जर्मनी (Germany) की मर्क (Merck) थी। हालांकि इस कंपनी की शुरुआत 1668 में डार्मस्टेड (Darmstadt) में एक फार्मेसी के रूप में शुरू हुई थी लेकिन 1827 में हेनरिक इमानुएल मर्क (Heinrich Emanuel Merck) ने औद्योगिक स्तर पर एल्कलॉइड (Alkaloids) का निर्माण एवं बिक्री के साथ वैज्ञानिक परिवर्तन की दिशा निर्धारित की। इसी प्रकार, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline) की शुरुआत 1715 में मानी जा सकती है। 19वीं शताब्दी के मध्य में ही बीचम (Beecham) द्वारा पेटेंट (patent) दवाओं का औद्योगिक उत्पादन शुरू किया गया, जिसके बाद यह 1859 में पेटेंट दवाओं के उत्पादन के लिए दुनिया की पहली फैक्ट्री बन गई। इसी बीच, 1849 में दो जर्मन प्रवासियों द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में, एक रसायन व्यवसाय के रूप में फाइज़र (Pfizer) की स्थापना की गई। अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान दर्द निवारक और रोगाणुरोधकों (antiseptics) की मांग बढ़ने के कारण इसका व्यवसाय तेजी से बढ़ा। अमेरिका में फाइज़र के साथ साथ कर्नल एली लिली (Eli Lilly) नामक एक युवा घुड़सवार कमांडर, जो एक प्रशिक्षित औषध रसायनज्ञ थे, ने अपने सैन्य कैरियर के बाद, 1876 में एक फार्मास्युटिकल व्यवसाय स्थापित किया। जिसमें उन्होनें अनुसंधान एवं विकास और साथ ही विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। इधर 19वीं सदी के उत्तरार्ध में स्विट्ज़रलैंड (Switzerland) में भी तेजी से घरेलू दवा उद्योग विकसित हुआ। हालांकि स्विट्जरलैंड में पेटेंट कानूनों की पूर्ण कमी के कारण उस पर जर्मन पार्लियामेंट 'रीचस्टैग' (Reichstag) में "समुद्री डाकू राज्य" होने का आरोप लगाया गया। सैंडोज़ (Sandoz) सीबा-गीगी (CIBA-Geigy), रोश (Roche) और बेसल हब (Basel hub) जैसी फार्मास्युटिकल उद्योग की नामी कंपनियों का उदय इसी दौरान हुआ। इस अवधि के दौरान दवाओं के व्यापार में आजकल की तुलना में 'फार्मास्युटिकल' और 'रासायनिक' उद्योगों के बीच बहुत कम अंतर था। इसके साथ ही राष्ट्रीय प्रतिद्वंदिता एवं संघर्षों का भी इस उद्योग की विकासशीलता पर प्रभाव पड़ा। 1918 और 1939 के बीच की अवधि में फार्मास्यूटिकल उद्योग को दो बड़ी सफलताएं प्राप्त हुई। पहली सफलता के रूप में फ्रेडरिक बैंटिंग (Frederick Banting) और उनके सहयोगियों ने इंसुलिन (Insulin) को अलग करने में कामयाबी हासिल की जिससे मधुमेह का इलाज हो सकता है, उस समय तक यह एक घातक स्थिति थी। हालांकि बाद में एली लिली और उनके साथी वैज्ञानिकों द्वारा इस अर्क को पर्याप्त रूप से शुद्ध करके और औद्योगिक रूप से उत्पादन करके इसे एक प्रभावी दवा के रूप में वितरित किया गया। दूसरी सफलता के रूप में 1928 में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग (Alexander Fleming) द्वारा पेनिसिलियम मोल्ड (penicillium mould) के एंटीबायोटिक गुणों की खोज की गई, जिसके बाद हॉवर्ड फ्लोरे (Howard Florey) और अर्न्स्ट चेन (Ernst Chain) द्वारा इस पर पुनः प्रयोग किया गया और फिर मर्क, फाइजर और स्क्विब सहित विभिन्न कंपनियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर इस दवा का उत्पादन किया गया, जिससे हजारों सैनिकों की जान बचाई गई। पेनिसिलिन के विकास और परिष्कार से फार्मास्युटिकल उद्योग द्वारा दवाओं के विकास के तरीके में एक नए युग की शुरुआत की गई। युद्ध के दौरान नई दर्दनाशक दवाओं से लेकर टाइफस के खिलाफ दवाओं तक सभी दवाओं के लिए अनुसंधान को प्रोत्साहित किया गया। युद्ध के बाद यूनाइटेड किंगडम की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ( National Health Service (NHS) जैसी सामाजिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के आगमन से, दवाओं के नुस्खे और उनकी आपूर्ति दोनों के लिए एक अधिक संरचित प्रणाली विकसित हुई। फार्मास्यूटिकल उद्योग द्वारा दवाओं के साथ साथ विभिन्न चिकित्सा उपकरणों को भी विकसित किया गया। और आज के आधुनिक युग में उद्योग द्वारा बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की गई हैं। वर्तमान में फार्मास्यूटिकल उद्योग को सबसे बड़ा बाजार कहा जा सकता है। 2022 में वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार का मूल्य 512.29 बिलियन डॉलर था, और 2030 तक इसके लगभग 800 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
पुरानी बीमारियों के बढ़ते प्रसार और शल्यचिकित्सा और नैदानिक प्रक्रियाओं में वृद्धि से यह उद्योग लगातार विकसित हो रहा है। आइए अब 2023 की दुनिया की शीर्ष 10 सबसे बड़ी चिकित्सा उपकरण कंपनियों के नाम जानते हैं:

1. एबोट (Abbott)
2. मेडट्रॉनिक (Medtronic)
3. जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson)
4. सीमेंस हेल्थिनियर्स (Siemens Healthineers)
5. फ्रेसेनियस मेडिकल केयर (Fresenius Medical Care)
6. बेक्टन डिकिंसन एंड कंपनी (Becton Dickinson & Company)
7. जीई हेल्थकेयर (GE Healthcare)
8. स्ट्राइकर (Stryker)
9. फिलिप्स (Philips)
10. कार्डिनल हेल्थ (Cardinal Health)

संदर्भ
https://rb.gy/ozg2zv
https://rb.gy/f2uzrl
https://rb.gy/0tjxgd
https://rb.gy/4373mn

चित्र संदर्भ
1. दवाइयों के परीक्षण को संदर्भित करता एक चित्रण (ISSPL Testing Lab)
2. दवाइयों के विनिर्माण संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. हाथ में दवाई लेती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. दवाइयों की पैकिंग करती महिलाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मर्क रसायन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. विविध दवाइयों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id