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सौर ऊर्जा को अपनाकर आप अपने घरों और अपनी जेब, दोनों को गर्म रख सकते हैं!

जौनपुर

 07-02-2024 09:31 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

भारतीय लोग बदलती दुनिया के साथ नए बदलावों को स्वीकार करने में हमेशा से ही आगे रहे हैं। इसका पहला उदाहरण हमें तब देखने को मिला था, जब भारतीयों ने इंटरनेट की दरें सस्ती होने के तुरंत बाद हाथों-हाथ इसे अपना लिया था। ठीक ऐसा ही उत्साह हमें सौर ऊर्जा यानी सूरज से निर्मित होने वाली ऊर्जा की स्वीकार्यता के संदर्भ में भी देखने को मिल रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2022 में ही भारत दुनिया भर में सौर ऊर्जा उत्पादन करने वाले शीर्ष चार देशों की सूची में शामिल हो गया था। दुनियां में कोयले की कमी और पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आज सभी देश हरित, लंबे समय तक चलने वाले तथा सस्ते ऊर्जा समाधानों में अधिक रूचि दिखाने लगे हैं। खासतौर पर लोगों की “सौर ऊर्जा” जैसी पर्यावरण मैत्री और कभी न ख़त्म होने वाली ऊर्जा प्रणालियों में रुचि बहुत अधिक बढ़ रही है। सौर ऊर्जा का तात्पर्य सूर्य की ऊर्जा को दैनिक जीवन में बिजली और गर्मी से चलने वाले घरेलू तथा व्यावसायिक उपकरणों को चलाने के लिए उपयोग की जा सकने वाली ऊर्जा में बदलना होता है। इस ऊर्जा को उत्पन्न करने के लिए सौर पैनलों (Solar Panels) का उपयोग किया जाता है। ये पैनल इतने छोटे होते हैं कि आपके घर की छत में फिट हो जायेंगे या फिर इतने बड़े भी हो सकते हैं, इनसे एक पूरा 'सोलर फार्म' ही निर्मित हो जाता है, जो एक पूरे गांव को बिजली दे सकता है।
घरेलू स्तर पर सौर ऊर्जा से निम्नलिखित उपकरण आसानी से चलाए जा सकते हैं:
- बल्ब और ट्यूबलाइट (Bulb And Tubelight)
- टीवी (Tvs)
- लैपटॉप और पीसी (Laptop And Pc)
- माइक्रोवेव (Microwave)
- टोस्टर (Toasters) जैसे अन्य छोटे उपकरण। इसके अलावा सौर ऊर्जा से रेफ्रिजरेटर (Refrigerator), वॉशिंग मशीन (Washing Machine) और एयर कंडीशनर (Air Conditioner) जैसे बड़े उपकरणों को भी आसानी से चलाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आपको अधिक सौर पैनलों की आवश्यकता होती है। सौर ऊर्जा, ऊर्जा का एक नवीकरणीय और अंतहीन स्रोत माना जाता है, जो हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों (Greenhouse Gases) का उत्पादन नहीं करता है। जब तक सूर्य चमकता रहेगा, तब तक हमें उससे ऊर्जा मिलती रहेगी। सौर पैनल भी पर्यावरण के अनुकूल माने जाते हैं। आमतौर पर वे 25 से अधिक वर्षों तक चलते हैं, और उन्हें बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्रियों का तेजी से पुनर्चक्रण किया जा सकता है। इसका मतलब है कि सौर पैनलों का कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprint), या उनके द्वारा उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। सौर पैनल ऐसे उपकरण होते हैं, जो सूर्य के प्रकाश को घरों में प्रयोग की जा सकने वाली बिजली में परिवर्तित करते हैं। इन्हें आम तौर पर सिलिकॉन (Silicone) या अन्य अर्धचालक सामग्री से बनाया जाता है, जिसे कांच के आवरण के साथ धातु के पैनल फ्रेम (Panel Frame) में स्थापित किया जाता है। सौर पैनल से जब सूरज की रोशनी टकराती है, तो अर्धचालक पदार्थ, प्रकाश के फोटॉनों (Photons) से ऊर्जा को अवशोषित करता है और इलेक्ट्रॉन (Electrons) को छोड़ता है। यह प्रक्रिया बिजली का प्रवाह बनाती है जिसे पीवी चार्ज (Pv Charge) कहा जाता है। सौर पैनल से यह ऊर्जा, डायरेक्ट करंट (Direct Current (Dc) के रूप में संग्रहित की जाती है। हालांकि, हमारे घरों में प्रयोग होने वाले अधिकांश उपकरण डायरेक्ट करंट के बजाय प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current (Ac) का उपयोग करते हैं। इसलिए, सौर पैनल द्वारा उत्पादित डीसी बिजली को एसी बिजली में परिवर्तित करने के लिए घरों में इन्वर्टर (Inverter) का उपयोग किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि यदि आपके सोलर पैनल आपकी जरूरत से अधिक ऊर्जा का उत्पादन कर रहे हैं, तो अतिरिक्त बिजली को सीधे ऊर्जा ग्रिड को वापस भेज सकते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो आप इस अपनी अतिरिक्त सौर ऊर्जा को सरकार को भी बेच सकते हैं, और अपने सोलर प्लांट से एक निवेश के तौर पर पैसा भी कमा सकते हैं। सौर ऊर्जा के इन सभी लाभों को देखते हुए आपके मन में भी यह प्रश्न जरूर उठा होगा कि आखिर भारत में सौर प्रणाली स्थापित करने में खर्चा कितना आता है? इस संदर्भ में हमारे लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है, कि प्रत्येक सौर ऊर्जा प्रणाली अद्वितीय होती है। सौर ऊर्जा प्रणाली का डिज़ाइन भवन के प्रकार, छत के विवरण, छायांकन और उपयोगिता आवश्यकताओं जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
 भारत में विभिन्न सिस्टम आकारों में प्रति Kwh सौर पैनल स्थापना लागत की अनुमानित सीमा का सारणीबद्ध प्रतिनिधित्व नीचे दिया गया है:

सोलर सिस्टम का आकार मूल्य सीमा (अनुमानित)
1kw सोलर सिस्टम रु. 75,000 – 85,000
2kw सोलर सिस्टम रु. 1,50,000 – 1,70,000
3kw सोलर सिस्टम रु. 1,89,000 – 2,15,000
4kw सोलर सिस्टम रु. 2,52,000 – 2,85,600
5kw सोलर सिस्टम रु. 3,15,000 – 3,57,000
10kw सोलर सिस्टम रु. 5,31,000 – 6,07,000
सौर ऊर्जा पर स्विच करने से पहले यह जानना भी जरूरी है कि विभिन्न कारक लंबे समय में आपके खर्चे को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। इन कारकों में आपका बिजली बिल, स्थानीय स्थितियाँ, आपके द्वारा चुने गए सौर उपकरण का प्रकार और कोई सरकारी प्रोत्साहन आदि शामिल हैं। इन प्रमुख बिंदुओं पर विचार करके, आप अनुमान लगा सकते हैं कि सौर प्रणाली के सामान्य 25-वर्षीय जीवनकाल में आप सौर ऊर्जा से कितनी बचत कर सकते हैं। सौर ऊर्जा से हम बिजली के साथ-साथ गर्मी भी पैदा कर सकते हैं। सौर पीवी पैनल (Solar Pv Panel) बिजली उत्पन्न करते हैं, जबकि सौर थर्मल पैनल (Solar Thermal Panel) गर्मी उत्पन्न करते हैं। हालांकि दोनों का ऊर्जा स्रोत सूर्य ही है, लेकिन प्रत्येक प्रणाली में तकनीक अलग होती है। सौर तापीय प्रौद्योगिकियाँ (Solar Thermal Technologies) सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करने और उसे ऊष्मा में बदलने का काम करती हैं। इस ऊष्मा का उपयोग करने के लिए हमारे पास विभिन्न प्रकार के सौर तापीय प्रणालियाँ (Solar Thermal Systems) हैं, जिनमें फ्लैट-प्लेट कलेक्टर (Flat-Plate Collectors), खाली ट्यूब कलेक्टर (Evacuated Tube Collectors), और केंद्रित सौर ऊर्जा (Concentrated Solar Power (Csp) आदि प्रणालियाँ शामिल हैं।
सौर तापीय प्रणालियों को भी छोटे से लेकर बड़े तक विभिन्न आकारों में स्थापित किया जा सकता है। ये हमें पानी गर्म करने, स्थानों को गर्म करने, बिजली पैदा करने और औद्योगिक प्रक्रियाओं को शक्ति देने जैसे कई उपयोगों के लिए गर्मी प्रदान कर सकती हैं। यह इमारतों और उद्योगों में हीटिंग और कूलिंग (Heating And Cooling) प्रदान करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी साबित हो सकती है। सौर पीवी ऊर्जा की भांति ही सौर तापीय ऊर्जा भी एक प्रकार की नवीकरणीय ऊर्जा है, जिसके कई फायदे हैं। यह गर्मी पैदा करने के लिए सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करती है, और ऊर्जा का एक स्वच्छ और प्रचुर स्रोत साबित होती है। इससे हमें जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और हानिकारक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है।
सौर तापीय ऊर्जा के बारे में एक और अच्छी बात यह है कि इससे पैदा होने वाली गर्मी को संग्रहित किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि यह ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति प्रदान कर सकता है, तब भी जब सूरज चमक नहीं रहा हो। हालाँकि, सौर तापीय ऊर्जा के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे इस प्रणाली की दक्षता इस बात पर निर्भर हो सकती है कि सूरज की रोशनी कितनी तीव्र है, प्रणाली का डिज़ाइन कैसा है और कितनी गर्मी बर्बाद हुई है? आदि। साथ ही, सौर तापीय प्रणाली को स्थापित करने की प्रारंभिक लागत काफी अधिक हो सकती है, लेकिन समय के साथ ऊर्जा लागत में बचत से इसकी भरपाई की जा सकती है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/2ubjh8vm
http://tinyurl.com/mrkr2hh5
http://tinyurl.com/yu72n2wu
http://tinyurl.com/4tzt98s4
http://tinyurl.com/3ewju792

चित्र संदर्भ

1. एक ईमारत की छत पर सोलर पेनल लगाते हुए श्रमिकों को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. तेलंगाना में सौर ऊर्जा संयंत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सौर ऊर्जा के डाइग्राम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सीएसपी संयंत्र सौर ऊर्जा को संग्रहीत करने के लिए पिघले नमक के टैंक का उपयोग किये जाने की प्रक्रिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. छत के ऊपर सोलर पेनल को लगाती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण ( Climate Change The New Economy)
6. सौर पीवी पैनल बिजली उत्पन्न करते हैं, जबकि सौर थर्मल पैनल गर्मी उत्पन्न करते हैं। दोनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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