जौनपुर जनपद मशहूर है आलू, मक्का और मूली के लिए परन्तु यहाँ और भी संज़ियाँ अधिक मात्रा में पैदा होती हैं। जौनपुर में पहले खेती शहर के आस पास की ज़मीनों में की जाती थी परन्तु अब गाँव के क्षेत्रों में भी बहुत अधिक खेती की जाने लगी है जिसका श्रेय जनसंख्या के बढ़ने और सिंचाई के साधन की उपलब्धि को दिया जा सकता है। क्योंकि जनसंख्या बढ़ने के साथ खाद्य सामग्रियों की अधिक आवश्यकता बढ़ गयी है। पहले सिंचाई रहट से की जाती थी लेकिन प्रद्योगिकी में तरक्की के साथ अब ट्यूबवेल और नहरों का उपयोग होने लगा है।
जौनपुर में पहले कुछ ही सब्जियों की खेती होती थी। आम तौर पर लोग आलू, मूली और मक्के की ही खेती करते थे तथा कम आमदनी कर पाते थे। उसी में वे जीवन व्यतीत करते थे। परन्तु अब वे सिंचाई की सुविधा की बढ़ोत्तरी से काफी सब्जियां उगाने लगे हैं जैसे बैगन, लौकी, गोभी, पत्तागोभी, कोहड़ा, भिन्डी, शलजम, नेवाड़मूली जिसका वजन 20 तथा 30 किलो तक भी हो जाता है। खीरा, करेला, टमाटर, मेथी, प्याज़, चौराई, लहसुन, धनिया, सोवा आदि की आधिक खेती होने लगी है।
पुराने समय में जिस पैमाने पर मक्का की खेती होती थी, अब नहीं होती क्योंकि इसकी उपयोगिता भी नहीं रह गयी है। लोगों का आर्थिक स्तर काफी सुधर गया है। पहले जहाँ अन्न के अभाव से लोग मर जाते थे, अब किसी को खाने बिना मरते नहीं सुना जाता। यहाँ पर गन्ना, तिलहन आदि भी अधिक मात्रा में पैदा होते हैं जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है। तथा आज के समय में जौनपुर में खेती की दशा पहले से काफी सुधरती दिखाई दे रही है।
1. जौनपुर का गौरवशाली इतिहास - डॉ. सत्य नारायण दूबे 'शरतेन्दु'
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