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यह लोकप्रिय कहावत1781 में वाराणसी में काफ़ी प्रसिद्ध थी। क्योंकि, तब हमारे देश के तत्कालीन गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) अपने 450 सैनिकों के साथ, वाराणसी से भाग कर, चुनार किले में शरण लेने हेतु गए थे।आइए, इसकी पृष्ठभूमि के बारे में पढ़ते हैं।
सन 1194 में कनौज के शासक की इस्लामी सेनाओं द्वारा हार के बाद, वाराणसी ने अपनी स्वतंत्रता खो दी। उस समय इस पर दिल्ली सल्तनत, जौनपुर के शर्की राजाओं और अंततः मुगलों का शासन था। बाद में 18वीं सदी में इसकी बागडोर अवध के नवाबों के हाथों में आ गई।
सन 1771 में अवध के नवाब और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के बीच बनारस में एक सम्मेलन हुआ। इसमें, चैत सिंह को अवध के राज्य में स्थायी कर दिया गया, और उन्हें ‘राजा’ की उपाधि प्रदान की गई। जबकि, सन 1781 में, हैदर अली के खिलाफ मद्रास में युद्ध लड़ने के लिए, राजस्व की आवश्यकता के जवाब में, हेस्टिंग्स ने चैत सिंह पर 1778 और 1779 में अतिरिक्त राजस्व भुगतान करने के लिए दबाव डाला। अतः अंग्रेजों ने चैत सिंह से 2000 सैनिकों की सेना की आपूर्ति करने का अनुरोध किया था।
कुछ समय तक कोई भी प्रतिक्रिया न देने के बाद, चैत सिंह ने अंततः 500 पैदल सेना और 500 घुड़सवार सेना की पेशकश की। इससे क्रोधित होकर, वॉरेन हेस्टिंग्स ने चैत सिंह को सबक सिखाने हेतु, स्वयं अपने 500 सैनिकों के साथ बनारस की ओर कूच कर दिया।
15 जून 1781 को वॉरेन हेस्टिंग्स अपने 500 सैनिकों के साथ वाराणसी पहुंचे और माधो दास उद्यान में कबीर चौरा क्षेत्र में रुके। जब चैत सिंह को इस बात का पता चला, तो उन्होंने गवर्नर जनरल से मिलने का अनुरोध किया। हालांकि, इस अनुरोध को वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। इसके बदले में, राजा चैत सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट (Arrest warrant) जारी किया गया, और साथ ही 50 लाख रुपये की मांग भी की गई।
तब राजा चैत सिंह को उनके शिवाला के निवास पर, एक पत्र भेजा गया था। इसमें कहा गया था कि, वह अंग्रेजों के आदेशों का पालन करने में विफल रहे हैं, और उन्होंने आवश्यक सैनिक प्रदान न करके, कंपनी की मदद नहीं की है। हालांकि, चैत सिंह ने उत्तर दिया था कि, उन्होंने अपने कर्तव्यों का विधिवत पालन किया है। परंतु, अपेक्षाकृत उत्तर न पाने पर, वॉरेन हेस्टिंग्स अधिक क्रोधित हो गया। आख़िरकार, उन्होंने चैत सिंह को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया।
अतः राजा की गिरफ़्तारी के लिए शिवाला घाट पर, गंगा नदी के तट पर राजा के किले में कुछ ब्रिटिश सैनिक तैनात थे। इस प्रकार, चैत सिंह को उनके किले के अंदर नजरबंद कर दिया गया। इसके प्रत्युत्तर में, राजा की एक छोटी सेना उनके रामनगर किले से भेजी गई थी। तब, ब्रिटिश सैनिकों और राजा के लोगों तथा उनके समर्थकों के बीच झड़प हुई।
परंतु, शिवाला में भेजे गए वॉरेन हेस्टिंग के सैनिक हार गए और कुछ अधिकारी, प्रमुख एवं सैनिक मारे भी गए। जबकि, राजा चैत सिंह सफलतापूर्वक भाग गए। परिणामस्वरूप, वॉरेन हेस्टिंग, जिनके पास बंगाल रेजिमेंट के केवल 450 सैनिक बचे थे, के पास पीछे हटने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। अतः, वह रात में ही हाथी पर सवार होकर तथा राजा की विद्रोही सेना से अपनी जान बचाकर, पास के चुनार किले में भाग निकला।
इस प्रकार, ‘घोड़े पर हौदा, हाथी पर जीन, काशी से भागा वॉरेन हेस्टिंग्स’ यह कहावत शहर में हेस्टिंग की हार और उसके चुनार भाग जाने का जश्न मनाते हुए, लोकप्रिय हुई।
दरअसल, बनारस राज्य की स्थापना एक जमीनदार राजा, राजा बलवंत सिंह ने की थी। उन्होंने मुगल साम्राज्य के विघटन का फायदा उठाते हुए, 18वीं शताब्दी के मध्य में “बनारस के राजा” की उपाधि धारण की थी। यह बनारस राज्य और बाद में एक रियासत, हमारे वर्तमान उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा थी। उनके वंशजों ने अवध से मुक्ति के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी के सामंतों के रूप में बनारस के आसपास के क्षेत्र पर शासन किया। परंतु, 1910 में बनारस भारत का पूर्ण राज्य बन गया। हालांकि, 1947 में भारत की आजादी के बाद इस राज्य का भारत में विलय कर दिया गया। लेकिन, आज भी काशी नरेश (नामधारी शासक) का वाराणसी के लोगों द्वारा बहुत सम्मान किया जाता है।
बनारस का शासक राज्य का धार्मिक प्रमुख था, और बनारस के लोग उसे भगवान शिव द्वारा काशी के सिंहासन पर नियुक्त मानते थे। वह मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक और सभी धार्मिक समारोहों का एक अनिवार्य हिस्सा भी थे। 15 अक्तूबर 1948 को, काशी के 88वें शासक– सर विभूति नारायण सिंह ने पहले भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और भारतीय संघ में विलय पर हस्ताक्षर किए।
संदर्भ
http://tinyurl.com/y5pkfd4d
http://tinyurl.com/3zh2c84f
http://tinyurl.com/vduthb5p
चित्र संदर्भ
1. विलियम होजेस द्वारा 1785 में की गई रंगीन चित्रकारी में प्रदर्शित चुनार, या चुनारगढ़ को भारत के गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स का पसंदीदा निवास स्थान माना जाता था। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, lookandlearn)
2. गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक यात्रा के दौरान वॉरेन हेस्टिंग्स को संदर्भित करता एक चित्रण (jenikirbyhistory)
4. कलकत्ता के इस्लामिक कॉलेज जो कि मदरसा-ए-अलिया या कलकत्ता मदरसा के नाम से मशहूर, पहला शैक्षणिक संस्थान है, जिसे 1780 में वारेन हेस्टिंग्स द्वारा स्थापित किया गया था! को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. अपने अरेबियन घोड़े पर सवार वॉरेन हेस्टिंग्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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