Post Viewership from Post Date to 19-Feb-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2159 267 2426

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

टेराकोटा कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ली गई पहल और मौजूदा स्व-रोज़गार योजनाएं

जौनपुर

 19-01-2024 10:00 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

टेराकोटा कला और मिट्टी के बर्तन भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं में विशेष महत्त्व रखते हैं। भारत के विभिन्न राज्यों के लोगों में इस कला के प्रति लगाव बख़ूबी देखा जा सकता है। लगभग भारतीय परिवारों में टेराकोटा शिल्प में बने किसी न किसी प्रकार के उत्पादों का उपयोग देखा जा सकता है, जैसे पानी भरने के लिए घड़े और सुराही, पौधे लगाने के लिए गमले और साथ ही अपने घरों को रोशन करने के लिए विभिन्न डिजाइन एवं आकारों में खूबसूरत लैंप या दीये का उपयोग। त्यौहारों के दौरान विशेष रूप से टेराकोटा शिल्प की इन वस्तुओं की मांग और भी अधिक बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, दिवाली के समय, घरों को सजाने एवं रोशन करने के लिए टेराकोटा के दीयों एवं अन्य साजो सज्जा सामग्री की मांग बढ़ जाती है। इसके अलावा विवाह आदि समारोह में कलश या मटकी की भी खूब खरीदारी होती है। टेराकोटा और मिट्टी के बर्तन के उत्पादों की मांग एवं भारत के गांवों में पाई जाने वाली चिकनी मिट्टी के कारण इस उद्योग में रोजगार के अवसर भी बहुतायत में उपलब्ध हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, हमारी सरकार ने विशेष रूप से ग्रामीण भारत के लोगों के बीच टेराकोटा और मिट्टी के बर्तन क्षेत्र में कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई परियोजनाएं और पहल शुरू की हैं। आइए सरकार द्वारा चलाई जा रही ऐसी ही कुछ परियोजनाओं के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं। ‘सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय’ (Ministry of Micro Small and Medium Enterprises (MSME) द्वारा अपनी लाभार्थी उन्मुख स्व-रोजगार योजनाओं के तहत 'कुम्हारी गतिविधि' (Pottery Activity) नामक एक योजना शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान देकर जमीनी स्तर की अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करना है। इस परियोजना के तहत सरकार द्वारा मिट्टी के बर्तन बनाने वाले पहिये, अनुमिश्रक आदि जैसी सहायक सामग्रियों के लिये सहायता प्रदान की जाएगी तथा स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से पारंपरिक मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के लिए ‘पहिये के द्वारा कुम्हारी प्रशिक्षण’ (Wheel Pottery Training) और मिट्टी के बर्तनों के साथ-साथ गैर-मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के लिए ‘खांचे के द्वारा कुम्हारी प्रशिक्षण’ (Press Pottery training) भी प्रदान किया जाएगा।
इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:
➲ मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों की उत्पादन क्षमता, और कम लागत पर नए उत्पाद बनाने के लिए तकनीकी ज्ञान को बढ़ाना;
➲ प्रशिक्षण और आधुनिक/स्वचालित उपकरणों के माध्यम से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों की आय बढ़ाना;
➲ कारीगरों के स्वयं सहायता समूहों को नई डिज़ाइनों/सजावटी उत्पादों पर कौशल-प्रशिक्षण प्रदान करना;
➲ 'कुम्हारी गतिविधि' योजना के तहत सफल पारंपरिक कुम्हारों को निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना;
➲ निर्यात और बड़े क्रय गृहों के साथ तालमेल करके आवश्यक बाजार संबंध विकसित करना;
➲ देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
➲ कारीगरों को मिट्टी के बर्तनों से लेकर क्रॉकरी तक में स्नातक करने के लिए प्रोत्साहित करना।
➲ कुशल कारीगरों के लिए प्रशिक्षक प्रशिक्षण चलाना।
इस योजना से वर्ष 2020-21 में कुल 6075 पारंपरिक और अन्य मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर/बेरोजगार ग्रामीण युवा/प्रवासी मजदूर लाभान्वित हुए। वर्ष 2020-21 के लिए वित्तीय सहायता के रूप में, उत्पाद विकास, उन्नत कौशल कार्यक्रम और उत्पादों की गुणवत्ता मानकीकरण के लिए महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगीकरण संस्थान (MGIRI), वर्धा, केंद्रीय ग्लास और सिरेमिक अनुसंधान संस्थान (CGCRI), खुर्जा, विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (VNIT), नागपुर और ऐसी ही अन्य संस्थाओं के साथ 6075 कारीगरों को समर्थन देने के लिए 19.50 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई। इसके साथ ही MSME मंत्रालय की 'स्फूर्ति' (SFURTI) योजना के तहत कारीगरों में मिट्टी के बर्तनों से लेकर क्रॉकरी/टाइल बनाने के कौशल को विकसित करने के लिए नए नवीन मूल्य वर्धित उत्पादों के साथ टेराकोटा इकाइयाँ स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा भारत के दूरदराज इलाकों में रहने वाले कुम्हार समुदायों को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा 2018 में 'कुम्हार सशक्तिकरण योजना' (Kumhar Shashaktikaran Yojana KSY) प्रस्तुत की गई है। इस योजना के तहत 2020 में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गुजरात के चयनित कारीगरों को 100 विद्युत कुम्हारी पहियों का वितरण किया गया।
कुम्हार सशक्तिकरण योजना के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:
➲ मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के स्वयं सहायता समूहों को कौशल विकास हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना।
➲ स्थानीय उत्पादों के अनुसार पायलट परियोजनाएँ शुरू करना।
➲ उत्पादन में सुधार करना और उत्पादन लागत को कम करना।
➲ प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister Employment Generation Programme (PMEGP) योजना के तहत कुम्हारों को अपनी
➲ सफल इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
➲ उत्पाद निर्माण के लिए नए और छोटे विद्युत पहिये (electric wheel) विकसित करना।
➲ पॉटरी उद्योगों को विकसित करके स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाना।
➲ वैश्विक स्तर पर मिट्टी के बर्तनों के लिए कच्चे माल और नवीन नए उत्पादों का उत्पादन सुनिश्चित करना। कुम्हार सशक्तिकरण योजना कुम्हारों को कई तरह से लाभ पहुंचाती है। इस योजना के तहत कारीगरों को विद्युत चाक जैसे उन्नत उपकरणों के साथ साथ उचित उपकरण प्रशिक्षण प्राप्त होने से उत्पाद निर्माण में लगने वाले समय में कमी आई एवं कारीगरों की आय में भी बढ़ोतरी हुई। इसके साथ ही यह योजना कारीगरों को बाजार से सीधे तौर पर जुड़ने का मौका देती है। और प्रत्येक मौसम में उत्पाद तैयार करने के लिए आवश्यक सुविधाओं के साथ साथ कच्चे माल की उपलब्धता भी सुनिश्चित करती है। योजना के तहत कुम्हारों के सभी समुदाय जिन्हें मिट्टी के बर्तन बनाने और बेचने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, वे सब इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
इसके अलावा स्वयं सहायता समूह भी इस योजना के लिए पात्र हैं। इस योजना के लिए आवेदक के पास आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, राशन पत्रिका, हाल की तस्वीरें आदि दस्तावेज होने चाहिए। हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में भी मिट्टी की इस कला को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सरकार द्वारा धनराशि कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के माध्यम से 'माटी कला बोर्ड' को गत वर्ष अगस्त के महीने में 1.66 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त भी मंजूर कर दी गई है। 1.66 करोड़ रुपये की पहली किस्त पहले ही जारी कर दी गई है। सूत्रों के मुताबिक शेष राशि भी इसी तरह छोटी मात्रा में जारी की जाएगी।

संदर्भ
https://shorturl.at/benwH
https://shorturl.at/goyCS
https://shorturl.at/BN125

चित्र संदर्भ
1. एक कुम्हार और एक टेराकोटा मूर्ती को संदर्भित करता एक चित्रण (wallpaperflare, wikimedia)
2. टेराकोटा कारीगर को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
3. टेराकोटा कृतियों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. अपने मिट्टी के बर्तनों के साथ भारतीय कुम्हार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मिट्टी के बर्तन बेचती भारतीय महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id