जौनपुर के शाही पुल की सुंदरता एवं महत्त्व क्यों है खास? देखे आपने देश के अन्य विहंगम पुल?

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
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जौनपुर के शाही पुल की सुंदरता एवं महत्त्व क्यों है खास? देखे आपने देश के अन्य विहंगम पुल?

शाही पुल या मुनीम खान का पुल/अकबरी पुल/मुगल पुल या जौनपुर पुल हमारे शहर जौनपुर में, गोमती नदी पर 16वीं सदी में बना एक पुल है। इसे भारत के सबसे खूबसूरत पत्थर के पुलों में से एक माना जाता है। शाही पुल या ब्रिज जौनपुर रेलवे स्टेशन से 1.7 किलोमीटर उत्तर में, जफराबाद से 7.3 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में, मारियाहू से 16.2 किलोमीटर उत्तर-उत्तर-पूर्व में, और किराकत शहर से 26.6 किलोमीटर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में स्थित है। मुगल सम्राट अकबर ने इस शाही पुल के निर्माण का आदेश दिया था, जिसे मुनीम खान ने वर्ष 1568-69 में पूरा किया। इस पुल का निर्माण पूरा होने में पूरे चार साल लगे थे। जबकि, इसे अफगानी(Afghan) वास्तुकार अफज़ल अली ने डिज़ाइन किया था। वर्ष 1934 में हुए, नेपाल-बिहार भूकंप में यह पुल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। परिणामस्वरूप, इसके सात मेहराबों का पुनर्निर्माण करना पड़ा। अपने ऐतिहासिक महत्व के अलावा, यह पुल आज भी उपयोग में है। इस पुल में 28 रंगीन छतरियां हैं, जो वर्तमान समय में अस्थायी दुकानों के रूप में संचालित होती हैं। यह पुल 1978 से पुरातत्व निदेशालय, की सुरक्षा एवं संरक्षण सूची में है। दूसरी ओर, शाही पुल के समानांतर, 28 नवंबर, 2006 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा एक नया पुल शुरु किया गया था। साथ ही, शाही पुल को आम तौर पर जौनपुर की सबसे महत्वपूर्ण मुगल संरचना के रूप में मान्यता प्राप्त है। मुगलों के प्रभावशाली स्थापत्य कौशल के उदाहरण के रूप में, इस पुल को खड़ा करने के लिए, 15 गुंबदीय स्तंभ बनाये गये थे। जबकि, इसकी ओर रास्ते में छोटे आरामगाह गुंबद भी बने हैं, जहां लोग आराम करते देखे जा सकते हैं। जौनपुर के शाही पुल पर अंग्रेजी लेखक रूडयॉर्ड किपलिंग(Rudyard Kipling) ने एक अद्भुत् कविता लिखी थी, तथा कई विदेशी लेखकों ने इस पुल के बारे में लिखा है। हमारे शहर जौनपुर के इस पुल की तुलना, एक अंग्रेज ने(जो 19वीं शताब्दी में यहां आया था) लंदन ब्रिज(London Bridge) से की थी। शाही पुल के दक्षिणी छोर पर बौद्ध धर्म के पतन का प्रतिनिधित्व करने वाले एवं एक हाथी के ऊपर चढ़ने वाले प्रभावशाली शेर की प्रतिमा मौजूद है। इतिहासकार अनुमान लगाते हैं कि, यह क्षेत्र कभी बौद्धों का गढ़ था, जिसने अंततः ब्राह्मणवाद को रास्ता दिया, जो नदी के किनारे आग से नष्ट हुए बड़े शहरों के स्थलों से स्पष्ट है। दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि, यह प्रतिमा 7वीं से लेकर 12वीं शताब्दी में उत्तर भारत और मध्य भारत में शासन करने वाले तीन प्रमुख राज वंशों (प्रतिहार, परमार और चंदेल) के रूप में चित्रित की गई होगी। शाही पुल से मिलता जुलता एक अन्य पुल भी हमारे देश में है।‘नामदांग पत्थर का पुल’ एक ऐतिहासिक पुल है, जो असम में, सिबसागर शहर से कुछ किलोमीटर दूर स्थित है। यह पुल सिबसागर शहर को जोरहाट और पश्चिम के अन्य ज़िलों से जोड़ता है। इसका निर्माण वर्ष 1703 में अहोम राजा रुद्र सिंह के शासनकाल के दौरान, बंगाल से लाए गए कारीगरों द्वारा किया गया था। पुल 60 मीटर लंबा, 6.5 मीटर चौड़ा और 1.7 मीटर ऊंचा है। यह नामदांग नदी के ऊपर बना है, जो दिखौ नदी की एक सहायक नदी है। वर्तमान ‘राष्ट्रीय राजमार्ग 37’ इसके ऊपर से गुज़र रहा है। इस पुल की अनूठी विशेषता यह है कि, इसे सौ साल पुरानी चट्टान के एक ही ठोस टुकड़े से काटकर बनाया गया था।नामदांग पुल का आकार थोड़ा घुमावदार है। राजा प्रताप सिंह ने इसके तट पर एक शहर बसाया था।जबकि, बाद में रुद्र सिंह ने, इस पर एक चिनाई वाला पुल बनवाया। नामदांग पुल को रंगपुर की सैन्य राजधानी का पश्चिमी द्वार माना जाता था, और यह अपनी अवस्थिति के कारण एक बड़ी ताकत का पद प्रदान करने में सक्षम था। गौरीनाथ सिंघा और मोआमरिया विद्रोहियों के शासनकाल के दौरान, इसके आसपास के क्षेत्र में कई लड़ाइयां लड़ी गईं। 1825 में नामदांग नदी के तट पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी(British East India Company) और बर्मीज़(Burmese) के बीच भी निर्णायक लड़ाई हुई थी। इसके अलावा, हमारे देश में कई अन्य विहंगम पुल है। आइए पढ़ते हैं: १.उमशियांग डबल-डेकर रूट ब्रिज(Double- Decker Root Bridge) पेड़ों की जड़ों से बना यह पुल, मेघालय में स्थित है। २.बुक्का एक्वाडक्ट(BukkaAqueduct) बुक्का एक्वाडक्ट, कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के उत्तरी तट पर हुलिगी-गंगावती रोड पर स्थित है। ३.पुल 226 और 541 पुल नं. 226 एवं पुल नं. 541, हिमाचल प्रदेश में, एक रेलवे मार्ग पर बने दो सबसे अनोखे पुल हैं। ४.पंबन ब्रिज इस पुल का उद्घाटन 24 फरवरी, 1914 को हुआ था। पंबनब्रिज, एक रेलवे पुल है, जो भारतीय मुख्य भूमि के मंडपम शहर को पंबन द्वीप पर, रामेश्वरम से जोड़ता है। ५.कोरोनेशन पुल(Coronation Bridge) पश्चिम बंगाल में स्थित, कोरोनेशन ब्रिज को सेवोके रोडवे ब्रिज(Sevoke Roadway Bridge) के नाम से भी जाना जाता है। ६.गोदावरी आर्च ब्रिज(Arch Bridge) कंक्रीट(Concrete) से बना, गोदावरी आर्च ब्रिज आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी पर बना तीसरा लिंक है। ७.जादूकाटा ब्रिज मेघालय में किंशी नदी पर बना,जादूकाटा पुल भारत का सबसे लंबा ब्रैकट पुल(Cantilever bridge) है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/4sduf35r
http://tinyurl.com/mufpaeku
http://tinyurl.com/shmwrtme
http://tinyurl.com/3u4kr4yz
http://tinyurl.com/3zc8wtb9

चित्र संदर्भ
1. जौनपुर के शाही पुल को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. जौनपुर के शाही पुल की पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. नामदांग पत्थर के पुल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. उमशियांग डबल-डेकर रूट ब्रिज को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. बुक्का एक्वाडक्ट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. पुल 226 और 541 को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. पंबन ब्रिज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. कोरोनेशन पुल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. गोदावरी आर्च ब्रिज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. जादूकाटा ब्रिज को संदर्भित करता एक चित्रण (x)