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अन्य देशों के साथ-साथ, भारत में भी मुर्गी पालन उद्योग व् चिकन की उपभोगता में हुई है वृद्धि

जौनपुर

 20-12-2023 09:42 AM
पंछीयाँ

चिकन (Chicken) पृथ्वी पर सबसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में से एक है। यह प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है, और अन्य प्रकार के मांस, जैसे गोमांस और समुद्री भोजन की तुलना में यह काफी सस्ता भी है। इसलिए ज़्यादातर लोग ऐसे हैं जो मांसाहारी भोजन के रूप में नियमित रूप से चिकन खाते हैं। वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक मात्रा में चिकन खाने वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) है। हर साल, संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 15,000 मीट्रिक टन चिकन की खपत होती है, जिसके कारण यह अन्य देशों से इसकी खपत के मामले में कहीं अधिक आगे है। चीन (China) दुनिया में चिकन की दूसरी सबसे बड़ी खपत करता है। चीन में हर साल लगभग 12,000 मीट्रिक टन चिकन की खपत होती है। इसके अलावा पूरे यूरोप (Europe) में हर साल लगभग 11,000 मीट्रिक टन चिकन की खपत होती है। अब प्रश्न उठता है कि इतनी अधिक मात्रा में खपत के बाद क्या कभी चिकन की उपलब्धता में कमी आई है, या आएगी ? कई लोग इस बात से चिंतित भी हैं। यह सच है कि पिछले कुछ सालों में चिकन की कीमत काफी बढ़ गई है। इसके पीछे कई कारण हैं: सबसे पहले, मुर्गियों को पालने के लिए भोजन की लागत अधिक महंगी हो गई है। जैसे-जैसे पोल्ट्री की अतिरिक्त लागत बढ़ती है, चिकन की कीमत भी बढ़ जाती है। नतीजतन, अंडे महंगे हो गये हैं, कई लोग आपूर्ति शृंखला की स्थिति को लेकर भी चिंतित हैं। चिकन उद्योग आपूर्ति श्रृंखला की कठिनाइयों से अछूता नहीं है। इन कठिनाइयों ने चिकन की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर में पारिवारिक बजट पर बहुत अधिक दबाव पड़ा है।
हम आपको एक लिंक दे रहे हैं जिस पर क्लिक करके आप यह जान सकते हैं कि किस देश में चिकन की कितनी खपत होती है।
https://rb.gy/1dekjw
उपरोक्त लिंक में दिए गए आंकड़ों को देखकर आप यह अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पूरे विश्व में ज़्यादातर देशों में सबसे ज़्यादा खपत चिकन की ही है। केवल मानचित्र और दी गई तालिका पर नज़र डालने से, पोल्ट्री 70 देशों या पूरे डेटाबेस के लगभग 40% में वज़न की खपत के हिसाब से सबसे लोकप्रिय मांस के रूप में सामने आती है।
इज़राइल के साथ-साथ कई द्वीप राष्ट्र- सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, त्रिनिदाद और टोबैगो, समोआ (St Vincent and the Grenadines, Trinidad and Tobago, Samoa)- वार्षिक आधार पर प्रति व्यक्ति 60 किलोग्राम से अधिक पोल्ट्री मांस की खपत करते है। क्षेत्रीय स्तर पर, पोल्ट्री की खपत लगभग पूरे अमेरिका के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश ऑस्ट्रेलिया (Australia), दक्षिण अफ्रीका (South Africa) और मध्य पूर्व में भी देखी जा सकती है। जहाँ तक हमारे देश भारत का प्रश्न है भारत में मुर्गी पालन उद्योग ने पिछले कुछ दशकों के दौरान काफी वृद्धि की है और आज यह भारत में घर के आँगन में मुर्गी पालन से कहीं आगे बढ़कर एक सफल कृषि आधारित उद्योग में परिवर्तित हो गया है। इस उद्योग का विकास न केवल आकार में बल्कि उत्पादकता, परिष्कार और गुणवत्ता में भी हुआ है। अधिक उपज देने वाली ब्रॉयलर किस्मों, जिनका वजन मात्र 6 सप्ताह में 2.4-2.6 किलोग्राम तक बढ़ जाता है, के साथ-साथ पोषण, आवास प्रबंधन और रोग नियंत्रण पर प्रथाओं के मापदंडों के साथ भारत में ब्रॉयलर उत्पादन (8-10% प्रति वर्ष) में पिछले तीन दशकों में शानदार वृद्धि हुई है।
पिछले वर्ष 2022 में भारत में 9.29 मिलियन टन मांस का उत्पादन किया गया जिसमें अधिकांश हिस्सा चिकन का था। पिछले दो दशकों के दौरान पोल्ट्री मांस की लोकप्रियता बढ़ी है। वर्तमान में यह कुल उपभोग किए जाने वाले मांस का लगभग 45% है और यह किसी भी पशुधन प्रजाति का सबसे लोकप्रिय मांस है।
भारत में पोल्ट्री मांस उत्पादन में चिकन का दबदबा है। अन्य प्रजातियाँ जैसे बत्तख, टर्की, गिनी फाउल, शुतुरमुर्ग, आदि जैसी प्रजातियां केवल विशिष्ट बाज़ार मांग वाले क्षेत्रों में कम संख्या में पाली जाती हैं। हमारे देश में पोल्ट्री मांस उत्पादन में हरियाणा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अग्रणी हैं। आज भारत में पोल्ट्री एक अत्यधिक एकीकृत उद्योग बन गया है और कई पश्चिमी देशों की दक्षता के स्तर से मेल खाता है। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, भारत में चिकन की औसत खपत बढ़ी है, लेकिन कई अन्य देशों की तुलना में यह अभी भी कम है। 2022 में, यह अनुमान लगाया गया था कि भारत में प्रति व्यक्ति चिकन की औसत खपत लगभग 7 किलोग्राम प्रति वर्ष थी जिसमें कि वर्ष 2020 में 4.5 किलोग्राम की औसत खपत की तुलना में वृद्धि दर्ज की गयी थी। हालांकि यह पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है, लेकिन यह अभी भी कई विकसित देशों में औसत चिकन खपत (प्रति वर्ष 40 किलोग्राम से अधिक) से काफी कम है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सांस्कृतिक और आहार संबंधी कारकों के आधार पर, भारत में विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में चिकन की खपत व्यापक रूप से भिन्न हो सकती है।

संदर्भ
https://shorturl.at/izRY1
https://shorturl.at/behX3
https://shorturl.at/bmJLY

चित्र संदर्भ
1. सामने की ओर देख रही एक मुर्गी को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
2. फार्म में पल रही विविध प्रकार की मुर्गियों को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
3. एक महिला बुनकर के आंगन में पल रही मुर्गियों दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. बिक्री हेतु टंगी हुई मृत मुर्गियो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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