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220 वर्ष पूर्व भारत आए पहले ब्रिटिश परिदृश्य कलाकार विलियम होजेस के जौनपुर के पहले दृश्य

जौनपुर

 19-12-2023 09:49 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

कैमरे के आविष्कार से पहले, ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) द्वारा भारत के विभिन्न क्षेत्रों की पेंटिंग (Paintings) और मानचित्र बनाने के लिए, कई प्रयास किये गए, जिसके तहत चित्रकारों को प्रोत्साहित किया गया। यह चलन लगभग 220 साल पहले विलियम होजेस (William Hodges) नाम के एक अंग्रेजी चित्रकार की कलाकृतियों से शुरू हुआ था। होजेस ने हमारे शहर जौनपुर का भी दौरा किया था, और हमारे शहर के सबसे पुराने ज्ञात दृश्य चित्रण बनाए। विलियम होजेस, एक अंग्रेजी चित्रकार थे, जिनका जन्म 28 अक्टूबर, 1744 को लंदन (London) में हुआ था। वह 18वीं शताब्दी में भारत आने वाले, पहले अंग्रेजी परिदृश्य कलाकार थे। अपने शुरुआती करियर के दौरान, उन्होंने नाट्य दृश्यों को चित्रित करके अपना जीवन यापन किया। उनकी लैंडस्केप ऑयल पेंटिंग (Landscape Oil Painting), अपनी जीवंतता और छाया के लिए विख्यात थीं, जो सामान्य यूरोपीय लैंडस्केप (European Landscape) परंपरा से काफी अलग थी। वह मुख्य रूप से जेम्स कुक (James Cook) की प्रशांत महासागर की दूसरी यात्रा के दौरान अपने कलात्मक योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। इस यात्रा में, होजेस ने उन स्थानों के उल्लेखनीय रेखाचित्र और पेंटिंग बनाईं, जहाँ वे गए थे। इनमें टेबल बे (Table Bay), ताहिती (Tahiti), ईस्टर द्वीप (Easter Island), न्यूजीलैंड (New Zealand), डस्की साउंड (Dusky Sound) और यहां तक कि अंटार्कटिक (Antarctic) की यात्राओं के दौरान बनाए गए चित्र भी शामिल हैं। उनका काम 18वीं सदी के अंत के दौरान इन स्थानों का एक ज्वलंत दृश्य रिकॉर्ड प्रदान करता है। होजेस ने विलियम शिपली (William Shipley) के ड्राइंग स्कूल (Drawing School) में प्रशिक्षण लिया और चौदह साल की उम्र में वह लैंडस्केप पेंटर (Landscape Painter), रिचर्ड विल्सन (Richard Wilson) के पास चले गए। दिसंबर 1794 में, होजेस ने अपने कार्यों की एक प्रदर्शनी आयोजित की, हालांकि इसे उनके चित्रों की राजनीतिक प्रकृति पर शाही निंदा के कारण बंद कर दिया गया था। इससे एक चित्रकार के रूप में उनका करियर भी प्रभावी रूप से समाप्त हो गया। इसके बाद वह एक बैंक से जुड़ गए, लेकिन वह भी मार्च 1797 के बैंकिंग संकट (Banking Crisis) के कारण विफल हो गया। होजेस की उसी वर्ष 6 मार्च के दिन मृत्यु हो गई। लेकिन अपनी मृत्यु से पूर्व वह अपनी कला के माध्यम से कला जगत में बड़ी छाप छोड़ने में कामयाब रहे। 1778 में, वॉरेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) के प्रायोजन के तहत होजेस ने भारत की यात्रा की। वह ऐसा करने वाले पहले ब्रिटिश परिदृश्य चित्रकारों में से थे। उन्होंने 1783 में क्लॉड मार्टिन (Claude Martin) के साथ लखनऊ में रहते हुए यहां छह साल बिताए। 1794 में, उन्होंने अपनी भारतीय यात्राओं के चित्रण के साथ एक पुस्तक प्रकाशित की। भारत में रहने के दौरान, होजेस ने कई निजी और ईस्ट इंडिया कंपनी आयोग के लिए ढेरों चित्र बनाए, जिन्हें तत्कालीन गवर्नर वॉरेन हेस्टिंग्स से भरपूर संरक्षण प्राप्त हुआ। उन्होंने भारत की बड़े पैमाने पर यात्रा और खोज की, और विशेषकर गंगा नदी के किनारे, आगरा, इलाहाबाद, बनारस और लखनऊ जैसे शहरों की रूपरेखा तैयार की। उनके रेखाचित्र प्रत्यक्ष अवलोकन पर आधारित भारत के पहले दृश्य प्रतिनिधित्व माने जाते हैं। इंग्लैंड लौटने के बाद, उन्होंने "सेलेक्ट व्यूज़ ऑफ़ इंडिया (Select Views Of India)" और "ट्रैवल्स इन इंडिया (Travels In India), 1780...1783" शीर्षक से अड़तालीस एक्वाटिन्ट्स (Aquatints) का एक संग्रह प्रकाशित किया। यह संग्रह उनकी भारतीय यात्राओं का एक मनोरम रिकॉर्ड था, जो रेखाचित्रों से परिपूर्ण था, जिसे उनकी वापसी के दस साल बाद जारी किया गया था। ऊपर दिया गया चित्र "द घाट एट बनारस (The Ghats At Banaras) 1787 को विलियम होजेस (1744 - 1797) की एक उत्कृष्ट कृति माना जाता है। 1781 में उन्होंने गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के साथ प्राचीन शहर बनारस, (जिसे अब वाराणसी के नाम से जाना जाता है।) का दौरा किया था। होजेस, बनारस की संस्कृति और रीति-रिवाजों से बहुत प्रभावित थे। अपनी पुस्तक "ट्रैवल्स इन इंडिया" (1793) में, उन्होंने हिंदू लोगों की स्थायी परंपराओं के प्रति अपने अनुभव के बारे में भी लिखा। अपनी भारत यात्रा के तहत उन्होंने जौनपुर का भी दौरा किया और यहां रहने के दौरान उन्होंने जौनपुर की महान वास्तुकला के प्रसिद्ध चित्रों को चित्रित किया। जैसा कि आप ऊपर दिए गए चित्र में देख ही सकते हैं कि 1786 में विलियम होजेस द्वारा हमारे जौनपुर की अटाला मस्जिद को रंगीन नक्काशी में बेहद खूबसूरती से चित्रित किया गया था। होजेस ने यह काम 15 सितंबर, 1786 को पूरा किया था। जौनपुर, जो कभी एक स्वतंत्र मुस्लिम साम्राज्य की राजधानी थी। माना जाता है कि अटाला मस्जिद, जो 1408 में बनकर तैयार हुई थी, अटाला देवी को समर्पित एक पुराने हिंदू मंदिर की जगह पर खड़ी है। होजेस की इस कलाकृति को 15 सितंबर, 1786 को जे. वेल्स (J. Wales) द्वारा लंदन में 22 चेरिंग क्रॉस (Charing Cross) क्षेत्र में प्रकाशित किया गया था। ऊपर दिए गए एक अन्य चित्र में आप होजेस द्वारा चित्रित "गोमती नदी पर बने जौनपुर के पुल" को देख सकते हैं। इस पुल का निर्माण मुगल सम्राट अकबर के अधीन स्थानीय गवर्नर मुनीम खान द्वारा 1564 और 1568 के बीच किया गया था। यह प्रिंट विलियम होजेस की किताब 'सेलेक्ट व्यूज़ इन इंडिया (Select Views In India)' के प्लेट 34 से लिया गया है। यह पुस्तक, जो 1786 और 1788 के बीच लंदन में प्रकाशित हुई थी, इसमें 1780 से 1783 की अवधी के होजेस द्वारा विभिन्न स्थानों पर बनाए गए रेखाचित्र शामिल हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/38zf6w4s
https://tinyurl.com/bde65chs
https://tinyurl.com/yawj3z3k
https://tinyurl.com/yawj3z3k
https://tinyurl.com/374dtk82
https://tinyurl.com/4tvnz7wt
https://tinyurl.com/jj36wnaa

चित्र संदर्भ
1. 1786 में विलियम होजेस द्वारा हमारे जौनपुर की अटाला मस्जिद को रंगीन नक्काशी में बेहद खूबसूरती से चित्रित किया गया था। को दर्शाता एक चित्रण (wellcomecollection)
2. विलियम होजेस (William Hodges) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. दिया गया चित्र "द घाट एट बनारस (The Ghat At Banaras) 1787 को विलियम होजेस (1744 - 1797) की एक उत्कृष्ट कृति माना जाता है। को दर्शाता एक चित्रण (royalacademy)
4. 1786 में विलियम होजेस द्वारा हमारे जौनपुर की अटाला मस्जिद को रंगीन नक्काशी में बेहद खूबसूरती से चित्रित किया गया था। को दर्शाता एक चित्रण (wellcomecollection)
5. विलियम होजेस की पेंटिंग जौनपुर पुल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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