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क्या आप जानते हैं कि हमारे अपने जौनपुर के अलावा सुंदर पहाड़ी राज्य “उत्तराखंड” में भी एक जौनपुर नामक क्षेत्र है? जिस प्रकार हमारा जौनपुर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, उसी प्रकार उत्तराखण्ड के जौनपुर क्षेत्र को प्रकृति को समर्पित अपनी अनूठी परंपराओं और संपन्न प्राकृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। 2022 में यहाँ पर तितलियों को समर्पित एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसके तहत प्रकृति में तितलियों की महत्ता और इनके अनोखे व्यवहार को उजागर किया गया।
तितलियों की प्रतिरक्षा करने की अनोखी प्रणाली और नमकीन स्वाद के प्रति इनके लगाव के बारे में जानकर आप भी दंग रह जाएँगे। हालाँकि तितलियाँ आमतौर पर छिपकलियों, मकड़ियों, पक्षियों और मेंढकों जैसे शिकारियों से सीधे तौर पर नहीं लड़ सकती हैं, लेकिन उनके पास खुद को बचाने के कुछ बेहद अनोखे तरीके होते हैं।
चलिए इन तरीकों पर भी एक नज़र डालते हैं।
कुछ तितलियाँ और पतंगे जब अपने आप को कहीं नहीं छिपा पाते हैं, तो वे अपने सुस्त शीर्ष पंखों के नीचे अचानक चमकीले रंग या डिज़ाइन दिखाकर अपनी रक्षा करते हैं। तितलियों के मूल स्वरूप में अचानक हुए इस बदलाव से, उनका शिकारी डर सकता है, और पीछे हटने पर मजबूर हो जाता है। कुछ प्रकार की तितलियों और पतंगों में आंखों की तरह दिखने वाले बहुत बड़े धब्बे होते हैं, जिन्हें देखकर उन तितलियों के शिकारी भी उन्हें कोई बड़ा जानवर समझ बैठते हैं, और उनके नज़दीक जाने से बचते हैं। कुछ इल्ली या कैटरपिलर (Caterpillar) के शरीर के पिछले हिस्से पर भी इस तरह के आंख जैसे धब्बे होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने कैटरपिलर चरण के दौरान, कुछ तितलियाँ सुरक्षा के लिए चींटियों पर भी निर्भर होती हैं। दरअसल कैटरपिलर एक विशेष रसायन छोड़ते हैं, जिससे चींटियों को लगता है कि वे भी उनकी ही कॉलोनी (Colony) का हिस्सा हैं। इसलिए यदि कोई शिकारी कैटरपिलर को छेड़ने की भी कोशिश करता है, तो चींटियाँ उसके बचाव में उतर आती हैं।
कैटरपिलर और तितलियों के बीच का चरण यानी कोशित या प्यूपा (Pupa) बिलकुल भी नहीं हिल सकता, इसलिए उन पर आसानी से हमला किया जा सकता है। लेकिन उनका कठोर खोल उन्हें कुछ स्तर तक सुरक्षा प्रदान करता है। शिकारियों से बचने के लिए अधिकांश प्यूपा अपने परिवेश के साथ घुलमिल जाते हैं। कई प्यूपा अचानक हिलते भी हैं, क्लिक (Click) की आवाजें निकालते हैं और अपना पेट हिलाकर चेतावनी देने की कोशिश करते हैं। वे ऐसा आमतौर पर तब करते हैं, जब उन्हें छुआ जाता है।
अपने कैटरपिलर चरण के दौरान कुछ तितलियाँ, विषाक्त पदार्थों वाले पौधों को खाती हैं। ये विषाक्त पदार्थ उनके शरीर में जमा हो जाते हैं, जिससे तितलियाँ भी ज़हरीली और खाने में अरुचिकर हो जाती हैं। जब कोई शिकारी या पक्षी इन ज़हरीली तितलियों को पकड़ने की सोचता भी है, तो वह इन तितलियों के ज़हरीले और कड़वे स्वाद के कारण इन्हें छोड़ देता है। इसके अलावा अपना बचाव करने के लिए कुछ तितलियों की उड़ान का पैटर्न तेज़, शक्तिशाली और अनियमित होता है, जिस कारण पक्षियों के लिए उन्हें पकड़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ ऐसे भी पतंगे होते हैं जिन्हें "वैम्पायर मॉथ (Vampire Moth)" भी कहा जाता है, और वे जानवरों, यहां तक कि भैंसों का भी खून चूसते हैं। ये पतंगे अपने खोखले भूसे जैसे मुख भाग से जानवरों की त्वचा को छेदते हैं और फिर खून पी लेते हैं। हालांकि वे बीमारियां नहीं फैलाते हैं। ये पतंगे केवल मलेशिया में पाए जाते थे, लेकिन अब इन्हें उत्तरी यूरोप और फिनलैंड (Finland) में भी देखा जा सकता है।
क्या आप जानते हैं कि “तितलियों को नमकीन स्वाद बहुत पसंद होता है।” इन्हें यह स्वाद इतना पसंद होता है, कि वे इसे चखने के लिए विशेषकर उन लोगों पर भी हमला कर सकती हैं, जो पसीने से तर-बतर होते हैं। यहां तक कि तितलियाँ नमकीन पोषक तत्वों के लिए गोबर, लाशों, कीचड़ और आंसुओं को भी चख सकती हैं।
लेकिन इनसे डरने की बिलकुल भी ज़रूरत नहीं है, क्यों कि वे आप पर सिर्फ इसलिए हमला नहीं करेंगी क्योंकि आपको पसीना आ रहा है। अधिकांश कीड़ों की तरह, यदि आप उन्हें अकेला छोड़ देंगे तो वे भी आपको अकेला छोड़ देंगी।
भारत को 1200 से अधिक प्रकार के पक्षियों और 1300 प्रकार की तितलियों का घर माना जाता है। भारत में पक्षी देखना एक लोकप्रिय गतिविधि है। धीरे-धीरे तितली देखना या तितली पर्यटन भी एक लोकप्रिय गतिविधि के रूप में उभर रहा है। यदि आप भी तितलियों की सुंदरता पर मोहित हैं, तो आपके लिए हिमालय के खूबसूरत नज़ारों वाले राज्य उत्तराखंड में देखने के लिए बहुत कुछ है। यहाँ पर टिहरी ज़िले के जौनपुर क्षेत्र में बंगसिल गांव के देवलसारी नामक क्षेत्र में 4 से 6 जून, 2022 तक तितली उत्सव नामक तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया था। देवलसारी समुद्र तल से 1,722 मीटर ऊपर है और शांतिपूर्ण देवदार के जंगल तथा हरे-भरे खेतों से घिरा हुआ स्थान है। देवलसारी में आयोजित इस महोत्सव का उद्देश्य, प्रकृति और तितली देखने पर आधारित पर्यटन को प्रोत्साहित करना था। इस उत्सव की प्रमुख गतिविधियों में तितलियों, पक्षियों और पतंगों को देखना, तितलियों की तस्वीरें लेना और पर्यावरण तथा स्थानीय विरासत के बारे में जानने के लिए यात्राओं पर जाना शामिल था।
संदर्भ
https://tinyurl.com/ycymw2a6
https://tinyurl.com/2yj5vrzn
https://tinyurl.com/56yr9um7
https://tinyurl.com/4v2d2swy
https://tinyurl.com/3tbetjz5
https://tinyurl.com/4hyahntu
चित्र संदर्भ
1. फूल पर बैठी पारदर्शी तितली को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. विभिन्न प्रकार की तितलियों को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flar)
3. इल्ली या कैटरपिलर को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
4. प्यूपा को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. हाथ में बैठी तितली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. खून चूसती तितली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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