जौनपुर का फारसी में योगदान

जौनपुर

 22-02-2018 09:53 AM
ध्वनि 2- भाषायें

आज के जौनपुर को देख कर यह अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि यह शहर वास्तविकता में प्राग व अन्य कितने ही देशों के समान रहा होगा, यहाँ की गगनचुम्बी मस्जिदें, किला व अनेकों मकबरें यहाँ की पराकाष्ठा व कला को प्रदरिशित करते हैं। भारत में 14वीं शताब्दी का मालवा सबसे उन्नत व महत्वपूर्ण राज्य था परन्तु उसकी तुलना में जौनपुर भारतीय इस्लाम के इतिहास में अधिक महत्वपूर्ण था, जो 1359 में गोमती नदी पर स्थापित हुआ था। फिरोज शाह का हिजड़ा सेनापती और मास्टर ऑफ द एलिफेंट (हाथियों का शहंशाह) जौनपुर का प्रभारी ख्वाजा जहान मलिक सरवर को मलिक एश-शर्क की उपाधि से सम्मानित ने तैमुर के आक्रमण के बाद अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया और इस तरह से जौनपुर सल्तनत की स्थापना हुई। समय के साथ-साथ सरवर के उत्तराधिकारियों ने जौनपुर के प्रभुसत्ता को बढाया और जौनपुर शहर दिल्ली की तुलना में बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो गया और गर्व से शिराज-ए-हिंद कहा जाने लगा। जौनपुर अपने समयकाल में विद्वानों का गढ था तथा यहाँ पर फारसी की शिक्षा-दिक्षा महान शिक्षकों द्वारा दी जाती थी। जौनपुर के सबसे महान विद्वानों में से एक, शिहाबुद्दीन दौलताबादी (1445), मलिक अल-उलमा, जौनपुर में रहते थे। उनकी भारतीय मदरसा में मानक बनने वाली पुस्तक अल-इरशाद, अरबी वाक्य विन्यास अत्यन्त महत्वपूर्ण थी, और उनकी शर्क-ए-हिंद जो की एक टिप्पणी है इब्न मलिक के काफिया की तथा यह भी अरबी व्याकरण पर एक विशिष्ट कार्य व जोड़ है। दौलताबादी ने पजदवी के उसाल ऐ-फिक़्ह पर भी टिप्पणी की और कुरान पर एक फारसी टिप्पणी लिखी, जिसे बह्-ए-मव्वाज कहा जाता है। दौलताबादी काफी हद तक शर्की काल के ज़्यादा निर्णयों को लेने के जिम्मेदार थे। जौनपुर अपने समयकाल में अरबी शिक्षा के लिये जाना जाता था यही कारण है कि यहाँ से कई विद्वान, सूफी संत व कितने ही कला प्रेमी निकले। तैमूर के दिल्ली पर आक्रमण के दौरान जौनपुर सूफी संतो के लिये अपने दरवाजे खोल दिये। फारसी का केन्द्र होने के अन्य कई उदाहरण जौनपुर के मस्जिदों से मिल जाता है जिनपर विशिष्ट रूप से कैलीग्राफी की गयी है। जौनपुर के मस्जिद भारत के मस्जिदों से बिल्कुल भिन्न हैं तथा ये अधिक सुसज्जित हैं इसका प्रमाण झंझरी, अटाला, व बड़ी मस्जिद से मिल जाता है। जौनपुर में शेरशाह शूरी की भी शिक्षा-दिक्षा भी जौनपुर से ही हुई थी। मुगल काल में जौनपुर शिक्षा के केन्द्र के रूप में काबिज़ था और यही कारण है कि अकबर जौनपुर के प्रति एक सम्मान रखता था। फारसी भाषा का विकास जौनपुर में अपने पराकाष्ठा पर हुआ तथा यह यहाँ पर कई स्तरों पर फैला वर्तमान में भी जौनपुर में मदरसा जामिया इमानिया नसीरिया फारसी शिक्षा के लिये जाना जाता है तथा यहाँ पर कितने ही बच्चे फारसी का ज्ञान लेते हैं। चित्र में झंझरी व अटाला पर लिखे फारसी को व उनकी लेखन कला को देखें।

1. इस्लाम इन इंडियन सबकॉन्टीनेन्ट, एनमारे स्किमेल, 40-45 2. इंडियाः सोसाइटी रिलीजन एण्ड लिट्रेचर इन एंसियन्ट एण्ड मेडिवल पीरियड, पब्लिकेशन डिवीज़न



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id