Post Viewership from Post Date to 23-Nov-2023
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2250 175 2425

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

“उगते हुए सूर्य के देश जापान” में, अमातेरासु नामक सूर्य देवी है श्रद्धास्थान

जौनपुर

 23-10-2023 09:54 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

जापान(Japan) देश के कोजिकी(Kojiki)–जो प्राचीन मामलों का अभिलिखित होता है, के एक पौराणिक वृत्तांत के अनुसार, देवता इज़ानागी(Izanagi) और देवी इज़ानामी(Izanami)ने, जापान के द्वीपों का निर्माण किया था। इज़ानामी ने समुद्र, पहाड़, घास एवं हवा, तथा साथ ही, जहाजों और भोजन जैसी प्राकृतिक घटनाओं के कई देवताओं को जन्म दिया था।
एक बार, इज़ानागी शुद्ध होने के लिए, ताचिबाना(Tachibana) नदी में स्नान करने जाता है। तब, जब वह अपनी आंख पर पानी डालता है, तो सूर्य की देवी अमातेरासु(Amaterasu); दाहिनी आंख पर पानी डालने पर, चंद्र देवता त्सुकुयोमी(Tsukuyomi) और अपनी नाक पर पानी डालने पर,तूफ़ान या हवा के देवता सुसानू(Susanoo) प्रकट होते हैं। इन तीनों देवताओं को इज़ानागी की संतानों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इज़ानागी उनके जन्म पर बहुत खुश हुए थे, और अतः उन्होंने अमातेरासु को स्वर्गीय मैदान की शासक भी नियुक्त किया था। वास्तव में, अमातेरासु के नाम(天–अमा; 照–तेरासु) से संकेत मिलता है कि, वह एक सूर्य देवी थी, जो स्वर्ग से चमक रही थी।जब उसका छोटा भाई–सुसानू स्वर्गीय मैदान पर कहर करता है, तो भयभीत अमातेरासु एक गुफा में छिप जाती है, जिससे स्वर्ग और दुनिया दोनों अंधेरे में डूब जाते हैं, जो सभी प्रकार की आपदाओं का कारण बनता है। तब असंख्य देवता एकत्र होते हैं, और एक अनुष्ठान करने का निर्णय लेते हैं। इस अनुष्ठान में, एक नृत्य और हास्य शामिल होता है, और इस तरह वे उसे प्रकट होने के लिए निवेदन करते हैं।तब, अमातेरासु को गुफा से बाहर बुलाया जाता है, और वह एक बार फिर, पृथ्वी और स्वर्ग पर चमकती है। जब वह खुद को एक गुफा में बंद कर लेती है, तो इस भूमिका में उसकी कहानी, उसकी शक्ति की सीमा को दर्शाती है।
अमातेरासु का प्रकाश दोनों लोकों में आवश्यक होता है। यही कारण है कि,कोजिकी के अनुसार, उनके वंशज एक सम्राट के रूप में, जापान पर शासन करने के लिए इस दुनिया में आए थे। और, अमातेरासु को जापान के सम्राटों की पूर्वज कहा जाता है। जापान के शिंटो(Shinto) धर्म के प्रमुख देवताओं या कामी(Kami) में से एक, अमातेरासु को जापान के शुरुआती साहित्यिक ग्रंथों, कोजिकी एवं निहोन शोकी(Nihon shoki) में भी एक शासक के रूप में चित्रित किया गया है। एक सर्वोच्च राष्ट्रीय देवता के रूप में, अमातेरासु को इसे(Ise) तीर्थ स्थान समर्पित है।कोजिकी में उल्लेखित, गुफा की कहानी से ठीक पहले, उसे स्वर्गीय वस्त्र बनाने का काम करते हुए वर्णित किया गया है।
निहोन शोकी, जो कि जापान का एक अन्य प्रारंभिक ऐतिहासिक दस्तावेज है, में अमातेरासु को ओहिरूम(Ōhirume) के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोगों का सुझाव है कि, इस नाम को एक मिको(Miko) या “तीर्थ युवती” के वर्णन के रूप में, पढ़ा जा सकता है, जो पुरुष सूर्य देवता की पूजा करती है। हालांकि, बाद में, उसे सूर्य देवी के रूप में जाना गया।
वह एक कुंवारी देवी थी। हालांकि, नोज़ोमु कावामुरा(Nozomu Kawamura) के अनुसार, वह सूर्य देवता की पत्नी थी। जबकि, कुछ अन्य कहानियों के अनुसार सुकुयोमी(Tsukuyomi) उसका पति था।
दूसरी ओर, जापान को अक्सर ही “उगते हुए सूरज की भूमि(Land of the rising sun)” कहा जाता है। दुनिया भर के कई लोगों को यह प्रश्न पड़ता हैं कि, जापान को उगते सूरज की भूमि क्यों कहा जाता है। दरअसल, जापानी भाषा में इस देश को निहोन(निप्पॉन)(Nihon(Nippon)) कहा जाता है। और निहोन और जापान दोनों की उत्पत्ति एक ही शब्द से हुई है; जिसका शाब्दिक अर्थ “जहां सूर्य उगता है” होता है। साथ ही, जापान उस दिशा में स्थित है,जहां से सूरज उगता है,या जहां विश्व में सबसे पहले सूर्योदय देखा जा सकता है,अर्थात यह पूर्व दिशा में स्थित है। इसलिए, लोग इसे जी-पैंग(Ji-pang) या ज़ू-पैंग(Zu-pang)भी कहते थे, जिसका अनुवाद “सूर्य की उत्पत्ति” के रूप में किया जा सकता है।
जापानी भाषा में, जापान देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए,‘日本’लिखते हैं। और, इसका उच्चारण निप्पॉन या निहोन होता है। चीनी लोग जापान का प्रतिनिधित्व करने के लिए, ऐसे ही समान वर्णों का उपयोग करते हैं, हालांकि, इसका उच्चारण अलग-अलग होता है।साथ ही, जापान को अंग्रेजी भाषा के अलावा, अन्य भाषाओं में भी उगते सूरज की भूमि कहा जाता है, जैसे कि, फ़्रेंच (French), हिंदी आदि।
क्या आपने कभी जापान का राष्ट्रीय ध्वज देखा हैं? यह एक आयताकार सफेद ध्वज है, जिसके केंद्र में एक लाल वृत्त है। इस ध्वज को आधिकारिक तौर पर निशोकी(Nisshōki)अर्थात ‘सूर्य का ध्वज’ कहा जाता है। लेकिन, आमतौर पर जापान में इसे हिनोमारू(Hinomaru)अर्थात ‘सूर्य का गोला’, इस नाम से जाना जाता है। यह ध्वज भी, इस देश के उपनाम– उगते हुए सूरज की भूमि का प्रतीक है।
इस राष्ट्रीय ध्वज को, 13 अगस्त 1999 को प्रख्यापित किया गया था और यह तब से ही प्रभावी हुआ है।जापान देश का नाम और इस ध्वज का डिज़ाइन,इस देश में सूर्य के केंद्रीय महत्व को दर्शाता है। जापान के राष्ट्रीय ध्वज को अंग्रेजी में, “द राइजिंग सन फ्लैग(The rising sun flag)” कहा जाता है। 7वीं शताब्दी की शुरुआत में, इसके केंद्र में सूर्य के साथ, जापानी ध्वज का पहली बार उपयोग किया गया था। हालांकि, कहा जाता है कि, तत्कालीन ध्वज पर रंगों का संयोजन, वर्तमान रंगों से अलग था। तब, रंगों का मूल संयोजन पीला सूरज और लाल पृष्ठभूमि था। एडो युग(Edo Era) के अंत में, इस ध्वज का उपयोग जहाजों पर उनकी राष्ट्रीयता के दर्शाने के लिए किया जाता था। फिर बाद में, इसका प्रयोग कई अन्य जगहों पर भी किया जाने लगा।जबकि, इस ध्वज का इतिहास बहुत लंबा है, उगते सूरज का ध्वज 1999 में ही, जापान का राष्ट्रीय ध्वज बन सका।

संदर्भ
https://tinyurl.com/hyuws3ux
https://tinyurl.com/pe4kjz86
https://tinyurl.com/3frvwxrr
https://tinyurl.com/46unj9t4

चित्र संदर्भ

1. अमातेरासु नामक सूर्य देवी को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
2. शिंतो सूर्य देवी, अमेतरासु का मंत्रमुग्ध कर देने वाला चित्रण (pixexid)
3. ओहिरूम को दर्शाता एक चित्रण (worldhistory)
4. द राइजिंग सन फ्लैग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. जापान के झंडे को दर्शाता एक चित्रण (Freerange Stock)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id