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रजत पदक विजेता ऐश्वर्या मिश्रा ने की जौनपुर के प्रवासी मजदूरों की संघर्ष भरी कहानी उजागर

जौनपुर

 10-10-2023 10:24 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

ऐश्वर्या मिश्रा, जिन्होंने हाल ही में एशियाई खेलों में रिले(Relay)प्रतियोगिता में रजत पदक जीता है, के लिए पिछले 3 महीने अत्यधिक कठिन एवं उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। भारत में, एक 400 मीटर धावक के लिए, कई अखबारों के खेल समाचारों में प्रमुखता से दिखना ही अपने आप में एक बड़ी बात है। लेकिन, सिर्फ 3 महीने के परिश्रम में ही एशियाई खेलों में यह सफलता पाना,वाकई में अनोखा है।
ऐश्वर्या का जन्म तथा पालन-पोषण मुंबई में हुआ है। वह मुंबई के दहिसर की एक चॉल में रहने वाली एक साधारण लड़की हैं। उनके पिता हमारे शहर जौनपुर के सुरेरी क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव के पूर्व निवासी कैलाश मिश्रा जी मुंबई में फल और सब्जी विक्रेता का कार्य करते हैं। उनकी एक छोटी सी सब्जी एवं फल की दुकान है, जो उनकी घरेलू आय का प्राथमिक स्रोत है। इन सब हालातों के बीच ऐश्वर्या, घरवालों के समर्थन के कारण, अपने जुनून को जीने में सक्षम है। ऐश्वर्या के बड़े भाई ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी है और परिवार कीआर्थिक सहायता के लिए काम करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि पिता एवं भाई के सहयोग से ऐश्वर्या ने अपना स्नातक पूरा कर लिया है तथा अब वह केवल दौड़ पर ही ध्यान केंद्रित कर रही है। जबकि, ऐश्वर्या की छोटी बहन युक्ता मिश्रा, डॉक्टरी की तैयारी करने के लिए कोटा में रहती हैं। वास्तव में ऐश्वर्या ने दौड़ की शुरुआत लंबी दूरी की दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेकर की। वह विशेषकर उन प्रतियोगिताओं में दौड़ती थी, जिनमें नकद पुरस्कार होते थे। क्योंकि,यह एक सरल समीकरण था– “जितना भागोगे, उतने पैसे मिलेंगे।”ऐश्वर्या ने 11वीं-12वीं कक्षा में, पहली बार 10 किलोमीटर वाली अंतर विश्वविद्यालय दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया था।जौनपुर शहर के ही एक निवासी, सुमित सिंह ने ऐश्वर्या को मुंबई में ही कोचिंग देना शुरू कर दिया था। बाद में, ऐश्वर्या पहले विद्यालय फिर, विश्वविवद्यालय और अन्य स्थानों पर चैंपियन बनी। इसलिए, उन्हेंभारतीय खेल प्राधिकरण, मुंबई में सिंथेटिक ट्रैक(Synthetic track) पर प्रशिक्षण लेने का मौका मिला।तब वह, विशेष रूप से 800 मीटर दौड़ पर ध्यान केंद्रित कर रही थी। परंतु,अपने कोच द्वारा सुझाई गई 400 मीटर दौड़ में भाग लेनाऐश्वर्या को आसान लगा। फिर, उन्होंने 400 मीटर के लिए प्रशिक्षण शुरू किया और कुछ समय तक 56-58 सेकंड के बीच इसे पूर्ण करती रही। परंतु, फिर कठोर प्रशिक्षण के बाद वह इसे 54 सेकंड और बाद में, विश्वविद्यालय खेलों में 52 सेकंड में पूर्ण करने पर , राष्ट्रीय शिविर में प्रशिक्षण लेने लगी।
इसके बाद भी, ऐश्वर्या के लिए यह यात्रा सुखद नहीं थी। उन्हें स्पाइक्स(Spikes)जूतों के साथ भागना कठिन प्रतीत हुआ। फिर बाद में, कोविड–19 महामारी ने उनके अभ्यास को प्रभावित किया। इसके बाद, उनकी दादी की तबीयत भी खराब रहने लगी….और भी अन्य कई मुसीबतों का सामना ऐश्वर्या को करना पड़ा। परंतु, ऐसी परिस्थितियों में भी ऐश्वर्या ने अपने आप को दौड़ के प्रति समर्पित रखा। जिस कारण, वह आज हमारे देश को यह पदक प्रदान करने में सफल रही।
ऐश्वर्या को इस मुकाम तक पहुंचाने में, पिता कैलाश मिश्रा की अहम भूमिका रही है। और अब जब उनकी बेटी एशियाई खेलों में हमारे देश का झंडा लहरा रही थी उनके खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। ऐश्वर्या के पिता ने मिडिया को बताया कि, उनकी बेटी शुरू से ही दौड़ में आगे है। दौड़ के प्रति उसकी लगन देखकर वह पहले से ही आश्वस्त थे कि एक दिन वह जरूर ही उनका नाम रोशन करेगी। उन्हें अभी हाल ही में, कस्टम विभाग से हवलदार की नौकरी का भी प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने केवल ऐश्वर्या के खेलने की ही बात कही। कैलाश ने कहा कि, उनकी बेटी का अगला लक्ष्य ओलंपिक खेलों(Olympic games) में पदक जीतना है।
इसके विपरीत, कैलाश मिश्रा के पास अपनी पसंद का पेशा चुनने या अपने सपनों की जिंदगी जीने का कोई भी विकल्प नहीं था। दसवीं के बाद पढ़ाई छूट जाने पर , रोजगार के सिलसिले में महज 16 साल की उम्र में ही वह मुंबई चले आए। और वहां फल-सब्जी बेचने लगे। श्री कैलाश मिश्रा की तरह ही,मुंबई में रोजगार की तलाश में हमारे शहर एवं राज्य से जाने वाले युवाओंकी आंखों में हम उम्मीद देख सकते हैं। उनका मानना है कि, मुंबई अमीरों का शहर है...! जो भी मुंबई जाता है, उसकी किस्मत बदल जाती है। अतः उन्हें भी उम्मीद होती है कि,वहां उनकी भी किस्मत बदल जाएगी तथा वे भी प्रगति करेंगे।
भारत के लगभग दो-तिहाई लोग 35 वर्ष से कम उम्र के हैं। और ग्रामीण इलाकों से,काम करने के लिए इच्छुक बहुत से लोग, रोजगार पाने के लिए शहरों में आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में, मजदूर, वाहन चालक या दुकानों और घरों में पाए जाने वाले सहायक शामिल हैं। कई लोग हमारे राज्य उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्य बिहार से आते हैं,क्योंकि, इन दोनों राज्यों में देश के अन्य हिस्सों की तुलना में आबादी तेजी से बढ़ रही है, और रोज़गार के अवसर भी यहां कम हैं।
हालांकि, ये प्रवासी अन्य शहरों में अनिश्चित कार्यों में केंद्रित रहते हैं। प्रवासियों के लिए पर्याप्त मात्रा में लंबी अवधि के लिए बेहतर नौकरियां उपलब्ध नहीं होती है। उनके पास, आवास में निवेश करने के लिए पर्याप्त वेतन भी नहीं होता है, तथा वे अपने बच्चों को पढ़ने के लिए इन शहरों में भी नहीं ले जा सकते हैं।कम वेतन वाली और मुश्किल से मिलने वाली नौकरियों के अलावा, शहरों में आने वाले लोगों को रहने की अत्यधिक लागत और रहने के लिए जगह खोजने के संघर्ष का सामना करना पड़ता है। वे सामाजिक कल्याण लाभों तक पहुंचने में असमर्थ होते हैं। साथ ही, कई लोग शहरी मलिन बस्तियों में बड़े पैमाने पर अपराध का शिकार हो जाते हैं। जबकि, एक अन्य परिदृश्य में, महाराष्ट्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि, मुंबई में प्रवास की मात्रा और दिशा में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है। हालांकि, इसके पड़ोसी जिलों, जैसे कि, ठाणे एवं नवी मुंबई में महाराष्ट्र के ग्रामीण हिस्सों से प्रवासियों की भारी संख्या देखी जा रही है।
कोविड-19 महामारी और मुंबई से प्रवासियों के पलायन के बाद,यहां कम संख्या में प्रवास हुआहै जिसके कारण मुंबई में रोजगार की स्थिति बदली है। एक समय मुंबई कपड़ा उद्योग का एक संपन्न विनिर्माण केंद्र था, परंतु पिछले कुछ वर्षों में यह महानगर रसायनों, पेट्रोकेमिकल्स(Petrochemicals) और उर्वरकों की ओर स्थानांतरित हो गया है। अब मुंबई एक संपन्न वाणिज्यिक और सेवा केंद्र है, जिससे शहर में औद्योगीकरण का स्वरूप बदल गया है। पिछले एक दशक से अधिक समय से, मुंबई में कोई अन्य नया उद्योग शुरु नहीं हुआ है। इससे अन्य राज्यों से मुंबई में प्रवासियों की आमद कम हो गई है।
मुंबई की घटती अपील का दूसरा कारण ठाणे, नवी मुंबई और मुंबई महानगर क्षेत्र के अन्य क्षेत्रों का तेजी से शहरीकरण भी है। मुंबई से ठाणे और नवी मुंबई तक उद्योगों की आवाजाही ने भी, यहां अंतर-राज्य प्रवासन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। उच्च बिजली व पानी की दरों और महंगे परिवहन के कारण कई उद्योग मुंबई से बाहर स्थानांतरित हो गए हैं। साथ ही, संपत्ति की ऊंची लागत, किराये और निजी क्षेत्र में घटती नौकरियों के कारण भी मुंबई के प्रवासन स्वरूप में बदलाव आया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/5bpwwbxp
https://tinyurl.com/vf72ktpr
https://tinyurl.com/3bms436t
https://tinyurl.com/4psws32z
https://tinyurl.com/msc5a6me
https://tinyurl.com/zaea8acy

चित्र संदर्भ
1. ऐश्वर्या मिश्रा और आदिवासी महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (youtube, wikimedia)
2. ऐश्वर्या मिश्रा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. ओलंपिक में दौड़ती ऐश्वर्या मिश्रा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. बोझ उठाते प्रवासी मजदूरों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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