Post Viewership from Post Date to 07-Nov-2023
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1893 318 2211

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

धरती मां समेटे हुए हैं अपने ह्रदय में, भूकंप के अनेक रहस्य

जौनपुर

 07-10-2023 09:31 AM
जलवायु व ऋतु

भूकंप उन कई प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जिसने हमारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है और पिछले कुछ वर्षों में हजारों लोगों की जान ले ली है। दरअसल, कुछ अध्ययन एवं आंकड़ों के मुताबिक, हर दिन लगभग 35 भूकंप आते हैं और सालाना लगभग 12,000 से 14,000 भूकंप आते हैं। इनमें से कुछ को महसूस किया जाता है, जबकि, कुछ भूकंपों को महसूस ही नहीं किया जाता हैं। लेकिन किसी भी तरह से, वे खतरनाक हो सकते हैं। इससे भी खतरनाक बात यह है कि,संपत्तियों और इमारतों को प्रभावित करने के अलावा, भूकंप से सुनामी भी आ सकती है, जिससे और अधिक क्षतिया जानमाल का नुकसान हो सकता है।
दुर्भाग्य से, भूकंप के लिए कोई पूर्व चेतावनी संकेत नहीं होते हैं,और भूकंप के दौरान लोग ऐसी घटनाओं के लिए तैयार नहीं होते हैं। शायद यही एक कारण है कि, भूकंप में मृत्यु दर अधिक रहती है। वास्तव में, पृथ्वी की सतह 7 बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेटों(Tectonic plates) से बनी है। जब ऐसी दो प्लेटें अचानक एक-दूसरे से खिसक जाती हैं या फिर एक दूसरे से टकरा जाती हैं, तो उनके बीच हुए घर्षण से भूकंपीय ऊर्जा की तरंगें आस-पास के क्षेत्रों में फैल जाती हैं।हालांकि, भूकंप आने के और भी कई कारण हैं।इन्हीं कारणों के आधार पर भूकंपों को कई प्रकार प्रकारों में विभाजित किया गया हैं।आइए जानते हैं। टेक्टोनिक भूकंप टेक्टोनिक प्लेटों की गति विभिन्न रूपों में होती है।वे एक दूसरे की ओर;एक दूसरे से दूर;एक दूसरे के पीछे सरकते हुए या फिर आपस में टकराते हुए गतिशील हो सकती हैं। जब दो गतिमान टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे के ऊपर फिसलती हैं तो एक बड़ा कंपन होता है। इस प्रकार के भूकंप को टेक्टोनिक भूकंप के रूप में जाना जाता है। टेक्टोनिक भूकंप सबसे अधिक आम हैं, और उनकी तीव्रता कम या ज्यादा हो सकती है। टेक्टोनिक भूकंप से उत्पन्न झटके हमेशा गंभीर होते हैं, और यदि उनकी तीव्रता अधिक है, तो वे कुछ ही क्षणों में पूरे क्षेत्र को तबाह कर सकते हैं। ज्वालामुखीय भूकंप ये भूकंप आम तौर पर ज्वालामुखीय विस्फोट से पहले या बाद में होते हैं। ज्वालामुखीय भूकंप आमतौर पर टेक्टोनिक भूकंप जितने तीव्र नहीं होते हैं और सतह के पास आते हैं।
ज्वालामुखीय भूकंप को दो रूपों में विभाजित किया जा सकता हैं:
A.ज्वालामुखी-टेक्टॉनिक भूकंप
B.लंबी अवधि के ज्वालामुखीय भूकंप ज्वालामुखी-टेक्टॉनिक भूकंप आमतौर पर ज्वालामुखी विस्फोट के बाद आते हैं। ऐसे भूकंप के दौरान पृथ्वी की सतह के अंदर मौजूद मैग्मा(Magma)उत्सर्जित हो सकता है।जिससे, वहां उत्पन्न हुए खोखले क्षेत्र को भरना पड़ता है। इसे भरने के लिए, चट्टानें गतिशील हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भयंकर भूकंप आते हैं। कई अवसरों पर, ज्वालामुखी गतिविधि के दौरान मैग्मा छिद्रों को अवरुद्ध कर देता है। इसका मतलब है कि, उच्च पृथ्वी के अंदर दबाव जारी होने में विफल रहता है। और जब दबाव का निर्माण असहनीय हो जाता है, तब यह एक बड़े विस्फोट के साथ अपने आप बाहर निकल जाता है। ऐसे भीषण विस्फोट के परिणामस्वरूप भी भूकंप आता है। दूसरी ओर, बड़े विस्फोट से कुछ दिन पहले, पृथ्वी की सतह के अंदर का मैग्मा गर्मी में, तेजी से बदलाव लेता है। गर्मी में परिवर्तन से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप आता है। प्रेरित या विस्फोट भूकंप कुछ मानवीय गतिविधियां भी आमतौर पर, प्रेरित भूकंप का कारण बनती हैं। भूकंप के मानव निर्मित कारणों में सुरंग निर्माण, भूतापीय या फ्रैकिंग परियोजनाओं(Fracking project) को लागू करना और जलाशयों को भरना शामिल है। इसके अलावा, विस्फोट भूकंप परमाणु विस्फोटों के कारण होते हैं। वे मानव-प्रेरित भूकंप हैं और आधुनिक समय के परमाणु युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव का प्रतिनिधित्व करते हैं। चट्टानों के पतन / खदान के कारण उत्पन्न भूकंप: इस प्रकार के भूकंप आम तौर पर कम तीव्र होते हैं और अधिकतर भूमिगत खदानों के पास आते हैं। इन्हें कभी-कभी ‘खदान विस्फोट’ भी कहा जाता है। ढहने वाले ये भूकंप चट्टानों के भीतर उत्पन्न दबाव के परिणामस्वरूप आते हैं। इस प्रकार के भूकंप से खदान की छत ढह जाती है, जिससे अधिक झटके लगते हैं।
ऊपर उल्लेखित भूकंप प्रकारों के अलावा, आइए अब भूकंपों के कुछ अन्य प्रकारों के बारे में जानते हैं।
•आफ्टरशॉक(Aftershock), एक कम तीव्र भूकंप होता है, जो पिछले बड़े भूकंप के बाद, मुख्य तरंगों के क्षेत्र में आता है।
•ब्लाइंड थ्रस्ट भूकंप(Blind thrust earthquake), एक ऐसा भूकंप है, जो थ्रस्टफॉल्ट(Thrust fault ) के साथ आता है, और पृथ्वी की सतह पर कोई संकेत नहीं दिखाता है।
•क्रायोसिज्म(Cryoseism), एक भूकंपीय घटना है, जो जमी हुई मिट्टी, पानी या बर्फ से संतृप्त चट्टान में अचानक टूटने की क्रिया के कारण हो सकती है।
•डीप-फोकस भूकंप(Deep-focus earthquake), 300 किलोमीटर से अधिक गहराई वाले केंद्र वाला भूकंप होता है।
जब एक ही स्थान से उत्पन्न लगभग समान तरंगों वाले एकाधिक भूकंप घटित होते हैं, तो उन्हें दोहरे भूकंप(Doublet earthquake)कहा जाता है।
•भूकंप स्वार्म(Earthquake swarm), ऐसी घटनाएं होती हैं, जहां एक स्थानीय क्षेत्र अपेक्षाकृत कम समय में, कई भूकंपों के अनुक्रम का अनुभव करता है।
•फोरशॉक(Foreshock), एक ऐसा भूकंप है, जो किसी बड़ी भूकंपीय घटना से पहले होता है, तथा समय और स्थान दोनों में इससे संबंधित होता है।
•हार्मोनिक कंपकंपी(Harmonic tremor), भूकंपीय और इन्फ़्रासोनिक ऊर्जा(Infrasonic energy) की निरंतर रिहाई होती है, जो आमतौर पर मैग्मा की हलचल से जुड़ी होती है।
•इंटरप्लेट भूकंप(Interplate earthquake),वह भूकंप है, जो दो टेक्टोनिक प्लेटों के बीच की सीमा पर होता है। जबकि, इंट्राप्लेटभूकंप(Intraplate earthquake), वह भूकंप है, जो टेक्टोनिक प्लेट के आंतरिक भाग में होता है।
•मेगाथ्रस्ट भूकंप(Megathrust earthquake), विनाशकारी अभिसरण प्लेट सीमाओं पर होने वाला भूकंप है, जहां एक टेक्टोनिक प्लेट दूसरे के नीचे दब जाती है।
•रिमोटली ट्रिगर्ड भूकंप(Remotely triggered earthquakes),आफ्टरशॉक क्षेत्रों के बाहर, दूरी पर बड़े भूकंपों के तत्काल प्रभाव का परिणाम होते है।
•धीमा भूकंप(Slow earthquake), एक असंतत भूकंप जैसी घटना है, जो एक सामान्य भूकंप की तुलना में अधिक समय की अवधि में ऊर्जा जारी करती है।
•सब्मरीन भूकंप(Submarine earthquake), एक भूकंप होता है, जो बड़े जलाशय, विशेषकर महासागर के तल पर पानी के नीचे आता है।v •सुपरशियर भूकंप(Supershear earthquake),ऐसा भूकंप है, जिसमें सतह के विदारण, का प्रसार भूकंपीय शियर तरंग (s–wave) वेग से अधिक गति पर होता है।
•स्ट्राइक-स्लिप भूकंप(Strike-slip earthquake), एक ऐसा भूकंप है, जहां दो टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से फिसलते हुए फंस जाती हैं, तनाव पैदा करती हैं। तथा बाद में फिर मुक्त होकर खिसकती हैं, जिससे भूकंप पैदा होता है।
•सुनामी भूकंप(Tsunami earthquake), एक भूकंप होता है, जो समुद्र में तीव्रता वाली सुनामी उत्पन्न करता है, जो छोटी अवधि की भूकंपीय तरंगों द्वारा मापी गई भूकंप की तीव्रता से बहुत अधिक बड़ी होती है। इसके साथ ही, समुद्र सतह के नीचे भूस्खलन या फिर, ज्वालामुखी विस्फोट जैसे गैर-भूकंप स्रोतों से उत्पन्न सुनामी(Tsunami) कुछ ही मिनटों में व्यापक क्षति का कारण बन सकती है। इसके लिए, निरंतर निगरानी और तेज़ प्रतिक्रिया समय की आवश्यकता होती है। दरअसल, समस्या तब उत्पन्न हुई जब, पिछले वर्ष, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के वीरान द्वीप पर मौजूद ज्वालामुखी से धुआं निकल रहा था। तब इस पर, बारीकी से नजर रखी जा रही थी, ताकि विस्फोट के संकेतों की जांच की जा सके। क्योंकि, यह सुनामी का भी कारण बन सकता था।
यह निगरानी भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र(Indian National Centre for Ocean Information Services–INCOIS) द्वारा, वहां स्थित भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र(Indian Tsunami Early Warning Centre) द्वारा की गई थी। हिंद महासागर में हमारे पास पहले से ही सात ज्वार गेज(Tide Gauge) हैं। फिर भी, पानी के नीचे उत्पन्न किसी भी हलचल को जानने के लिए, एक भूकंपीय सेंसर(Earthquake sensor) और एक अन्य ज्वार गेज लगाने की योजना है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/y2vrbjce
https://tinyurl.com/bdr7k668
https://tinyurl.com/yck5zns6
https://tinyurl.com/zsbebzme
https://tinyurl.com/ycapz2hd

चित्र संदर्भ

1. जौनपुर के पास आये भूकंप के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (earthquakelist)
2. टेक्टोनिक स्ट्राइक-स्लिप दोष का आरेखीय चित्रण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक शहर और ज्वालामुखी को दर्शाता एक चित्रण (Free SVG)
4. 1964 के निगाटा भूकंप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. खदान में विस्फोट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. हिंद महासागर में आए भूकंप को एक ब्लैंक मानचित्र द्वारा दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जौनपुर शहर की नींव, गोमती और शारदा जैसी नदियों पर टिकी हुई है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:14 AM


  • रंग वर्णकों से मिलता है फूलों को अपने विकास एवं अस्तित्व के लिए, विशिष्ट रंग
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:11 AM


  • क्या हैं हमारे पड़ोसी लाल ग्रह, मंगल पर, जीवन की संभावनाएँ और इससे जुड़ी चुनौतियाँ ?
    मरुस्थल

     16-09-2024 09:30 AM


  • आइए, जानें महासागरों के बारे में कुछ रोचक बातें
    समुद्र

     15-09-2024 09:22 AM


  • इस हिंदी दिवस पर, जानें हिंदी पर आधारित पहली प्रोग्रामिंग भाषा, कलाम के बारे में
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:17 AM


  • जौनपुर में बिकने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है बी आई एस
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:05 AM


  • जानें कैसे, अम्लीय वर्षा, ताज महल की सुंदरता को कम कर रही है
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:10 AM


  • सुगंध नोट्स, इनके उपपरिवारों और सुगंध चक्र के बारे में जानकर, सही परफ़्यूम का चयन करें
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:12 AM


  • मध्यकाल में, जौनपुर ज़िले में स्थित, ज़फ़राबाद के कागज़ ने हासिल की अपार प्रसिद्धि
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:27 AM


  • पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ खनिजों में से एक है ब्लू जॉन
    खनिज

     09-09-2024 09:34 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id