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लाखों भारतीय अनाथ बच्चों की दुर्भाग्यपूर्ण,हृदयविदारक स्थिति व् पैमाना जौनपुर अनाथालयों का

जौनपुर

 05-10-2023 09:23 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

कोई कुदरत की मार से तो कोई माता-पिता की विपरीत परिस्थितियों के कारण अनाथों की श्रेणी में आ जाता है।विश्‍व भर में अनाथ बच्‍चों की एक बहुत बड़ी संख्‍या मौजूद है। भारत में कितने अनाथ बच्चे हैं? इसके आंकड़े अलग-अलग स्रोतों (विशेषकर कोविड 19 प्रभाव के बाद) से भिन्‍न भिन्‍न मिलते हैं, यह माना जा सकता है कि आज भारत में लगभग 30 मिलियन अनाथ बच्चे हैं। जिनमें से भारत में सिर्फ 4 लाख बच्‍चों को सरकारी संस्‍थानों में संस्थागत सीटें उपलब्‍ध मिली हैं। उ. प्र. और बिहार जैसे राज्यों में इन सीटों का विस्तार करने की सख्त आवश्‍यकता है, क्‍योंकि यहां दक्षिणी भारतीय राज्यों की तुलना में जनसंख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है।ऐसा माना जाता है कि अकेले उत्तर प्रदेश में महामारी के परिणामस्वरूप 1,000 बच्चे अनाथ हो गए थे, लेकिन वास्तविक आंकड़े इससे कहीं अधिक हो सकते हैं। क्या आप हमारे जौनपुर क्षेत्र के यतीम खानों और अनाथालयों के आकार और पैमाने से अवगत हैं? वैसे तो जौनपुर में कई अनाथालय हैं जिनमें से एक है जामिया अली मुर्तज़ा वा शिया यतीम खाना है जिसने कई अनाथ बच्‍चों को शरण दी है। माना जाता है कि कोविड-19 ने भारत में 75 मिलियन से अधिक लोगों को वित्तीय संकट में धकेल दिया है। बहुत से लोग जो पहले नियोजित हुआ करते थे अब नहीं रहे और देश अभी भी महामारी के प्रभाव से जूझ रहा है, नौकरी की संभावनाएं बहुत कम हो गयी हैं या बहुत दूर हैं, कई लोगों के पास आय का कोई स्रोत नहीं है और कई अपना रोज का भोजन जुटाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।इसके अलावा, भारत की पहले से ही नाजुक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली कोविड के साथ बेहद चरमरा गई। उपकरण, संसाधनों और बिस्तरों की कमी के कारण कई रोगी देखभाल से वंचित रह गए, जिसके परिणामस्वरूप वे इस घातक बीमारी की चपेट में आ गए थे। बहुत से लोग इन परिस्थितियों का सामना नहीं कर पा रहे थे जिस कारण वे ‍अपने बच्‍चों का बेसहारा छोड़ गए। कई जगह ऐसी भी खबरें आई हैं जहां माता-पिता ने अपने बच्चों को बेचने का प्रयास किया है क्योंकि वे अब उनका भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं रहे।
भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है जहां लगभग 1.35 अरब लोग रहते हैं। यहां 6 वर्ष से कम आयु के लगभग 158.8 मिलियन बच्चे मौजूद हैं। इन बच्चों में से 30 मिलियन अनाथ हैं, जो युवा आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारत में वही बच्‍चा गोद लेने योग्‍य माना जाता है जो किसी दत्‍तक के गृह या अनाथालय में पल रहा हो। यह स्थिति बच्चे को "गोद लेने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र" बनाती है। इस प्रणाली के कारण गोद लेने की प्रक्रिया काफी गंभीर बनी हुयी है, हालांकि, अनाथालयों या गोद लेने वाले केंद्रों में केवल 370,000 अनाथ बच्‍चे रहते हैं, 29 मिलियन से अधिक अनाथ बच्‍चे गोद लेने वाली परिस्थिति में मौजूद ही नहीं हैं।91% अनाथालय जिन्हें सरकार सीधे तौर पर नहीं चलाती है गोद लेने वाली एजेंसियों से जुड़े नहीं हैं, जिससे वे आम जनता के लिए लगभग अदृश्य हो जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ (UNICEF))के अनुसार, भारत में, 2017 में29.6 मिलियन अनाथ और परित्यक्त बच्चे थे। हालाँकि, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा समर्थित चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) (Childline India Foundation (CIF)) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चला है कि 2017 में, इन 30 मिलियन बच्चों में से, संस्थागत देखभाल में केवल 470,000 बच्चे ही मौजूद थे। और इन पाँच लाख बच्चों (लगभग) में से केवल एक छोटे से अंश को ही पारिवारिक देखभाल मिल पाता है क्योंकि भारत में गोद लेने की दर बेहद कम है। बाल विकास पर बड़े पैमाने पर सरकार के सहयोग की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में लाखों बच्चे बिना किसी पारिवारिक देख रेख के यहां वहां असुरक्षित भटक रहे हैं और उन्हें अच्‍छे अवसरों के भविष्य से वंचित किया जा रहा है।
भारत में लाखों अनाथ बच्चे सड़कों पर कूड़ा-कचरा उठाते हैं और वे अनगिनत अज्ञात खतरों के बीच यह काम करते हैं। जिनमें तस्करी, सबसे बड़े खतरे के रूप में उनके सर पर सदैव मंडराता रहता है; अनाथ बच्चे ही शोषण का सबसे बड़ा लक्ष्य होते हैं। डीडब्ल्यू (DW) के अनुसार, सड़क पर घूमने वाले अनाथ बच्चों को कानून से सुरक्षा तो मिलती है, लेकिन जब उन्‍हें वास्‍तव में सुरक्षा की आवश्‍यकता होती है तो कई कारणों से वो उन तक नहीं पहुंच पाती है, जिससे वे असहाय हो जाते हैं। 2022की अमेरिकी विदेश विभाग की मानव तस्करी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में DoS द्वारा पहचाने गए तस्करी हुए व्यक्तियों में से 47% बच्चे थे, और उनमें से 59% लड़कियां थीं। लड़कियों को आमतौर पर बाल वधू के रूप में बेचा जाता है, जिनमें से 27% की शादी 18 साल से पहले हो जाती है। जहां तक ​​लड़कों की बात है, आईएलएम (ILM) के अनुसार, उन्हें अक्सर चरमपंथी समूहों के लिए लड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। भारत में अनाथों की स्थिति को देखते हुए, कई चैरिटी संस्थाएं इनकी स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रही हैं। होम्स ऑफ होप (Homes of Hope) ने भारत में सात अनाथालयों का निर्माण कराया और पांच अभी निर्माणाधीन हैं। इन्‍होंने 3,000 लड़कियों को यौन तस्करी, सड़कों, अपमानजनक घरों और शरणार्थी शिविरों से बचाया । होम्स ऑफ होप भारत में अनाथों की अंधेरी स्थिति में एक उज्ज्वल रोशनी का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।होम्स ऑफ होप की तरह, इंडिया होप (India Hope) भी भारत में अनाथ बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। इंडिया होप वर्तमान में भारत में 6,500 अनाथ बच्चों को आश्रय दे रहा है और इस संख्या को 8,000 तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
भारत में लाखों अनाथ बच्चों की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण और हृदयविदारक है। हालाँकि, होम्स ऑफ होप और इंडिया होप जैसी चैरिटी संस्‍थान के निरंतर प्रयास से, समय के साथ स्थिति बेहतर हो सकती है और उम्मीद है कि, भारत में अधिक से अधिक अनाथ बच्चों को अच्छा जीवन मिल पाएगा।भारतीय कानून के अनुसार 18 साल की उम्र के बाद एक व्‍यक्ति वयस्‍क हो जाता है और उसे अपनी देखभाल खुद ही करनी पड़ती है। इसलिए उन्हें अपने 18वें जन्मदिन पर अनाथालय छोड़ना होता है। अनाथालय में मौजूद किसी भी बच्‍चे के लिए आवश्‍यक होता है कि उसे ऐसे अभिभावक मिलें जो उसकी आगे की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी जीवन यापन का खर्च उठा सकें। लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता।
लड़कों के लिए विकल्प:
1.नौकरी की तलाश करें- मजदूरी का काम या कुछ भी संभव
2.लड़के कई बार गंदे अनैतिक धंधों में भी उतर जाते हैं जिससे इन्‍हें बचाने की सख्‍त आवश्‍यकता है।‍
सबसे गंभीर स्थिति लड़कियों की होती है:
1.अपने लाभ के लिए 70-80% लड़कियाँ 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्ति से विवाह कर लेती हैं।
2.10% लड़कियों को किसी स्कॉलरशिप या स्पॉन्सरशिप(Scholarship or Sponsorship) से आगे पढ़ने का मौका मिलता है।
3.3-4% लड़कियाँ वेश्यावृत्ति के धंधे की ओर अग्रसर हो जाती हैं जो कि सबसे खराब स्थिति है।
4.सोचिए बिना किसी पहचान, बिना किसी संपर्क, बिना किसी भविष्य और बिना किसी के समर्थन के, अस्तित्व की तलाश में सड़कों पर घूम रही लड़कियों की स्थिति क्‍या होगी?
भारत में गोद लेने के कानून सख्त हैं, जिसके कारण गोद लेने वालों की संख्या बहुत कम है। मार्च 2019 से मार्च 2020 तक केवल 3,351 बच्चों को गोद लिया गया। ऐसा माना जाता है कि भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए केवल 20,000 दंपत्ति पंजीकृत हैं, लेकिन इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (Indian Society of Assisted Reproduction) के अनुसार, लगभग 28 मिलियन जोड़े हैं जो गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सक्षम नहीं हैं। बच्चा चाहने वाले लोग और आश्रय ढूंढ़ने वाले बच्‍चों की संख्‍या भी लगभग समान है, आप सोचेंगे कि गोद लेने की दर बहुत अधिक होगी, लेकिन जटिल गोद लेने की प्रक्रिया और समग्र रूप से गोद लेने के बारे में विषम विचारों के कारण, अधिकांश बच्चे गोद नहीं लिए जाते हैं। अधिकांश लोग अपनी वंशावली को ही आगे बढ़ाना चाहते हैं, और वे गोद लेने पर विचार करने से पहले हर विकल्प का उपयोग करतें हैं। फिर भी, यदि आईवीएफ(IVF) विफल हो जाता है, तो बहुत से जोड़े बिना बच्चों के ही जीवन काट लेते हैं।

संदर्भ:
https://shorturl.at/ksBI7
https://shorturl.at/cptS6
https://shorturl.at/ghtBM
https://shorturl.at/SWX58
https://shorturl.at/EFGY8

चित्र संदर्भ
1. एक अनाथालय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक अनाथालय में भोजन करते बच्चों की 1924 में खींची गई तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक अनाथालय में भोजन करते बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. अनाथ बच्चों की जाँच करते चिकित्सकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अनाथ बच्चों को कपड़े वितरित करते धार्मिक समूह को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



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