भारत की मुख्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्नता में एकता है। भारत में विभिन्नता का स्वरूप न केवल भौगोलिक है, बल्कि भाषायी तथा सांस्कृतिक भी है। भारत की लिपियों को करीब 12 प्रमुख लिपियों में बाँटा गया है तथा वर्तमान समय में सम्पूर्ण भारत में करीब 840 भाषायें बोली जाती हैं। 1961 की जनगणना रिपोर्ट में, कुल 1,652 मातृभाषाओं का उल्लेख किया गया था। यह आँकड़ा 1971 की जनगणना में गिर गया था उसमें कुल केवल 108 भाषाओं का उल्लेख हुआ। इसका प्रमुख कारण यह था कि सरकार ने उन भाषाओं का खुलासा न करने का निर्णय लिया जो 10,000 से कम लोगों द्वारा बोली जाती थीं। नवीनतम सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 22 अनुसूचित भाषाएं हैं और बाकी सभी "अन्य सभी" खंड या गैर-अनुसूचित भाषाओं के अंतर्गत आते हैं। आजादी के बाद कम से कम 300 भाषाओं का पता लगाया गया है। ज़्यादातर भाषाओं का खुलासा नहीं किया जाता है जिसका कारण है कम लोगों द्वारा उन भाषाओं का प्रयोग तथा ये भाषायें राज्य की सीमाओं पर हैं और आदिवासियों और अन्य लोगों की आवाज़ हैं जिन्हें आमतौर पर गम्भीरता से नही लिया जाता है। भाषाविद् गणेश देवी द्वारा किये गये अन्वेशणों में कई भाषाये प्राप्त हुई हैं तथा यह भी पता चला कि किस प्रकार से कितनी ही भाषाये काल कवलित हो चुकी है। जौनपुर एक प्राचीन शहर है यहाँ पर प्रमुखता से बोली जाने वाली भाषायें हैं अवधी, उर्दू तथा हिंदी। अवधी भाषा यहाँ पर सबसे ज्यादा बोली जाती है तथा यहाँ के लोक गीत आदि भी अवधी में ही लिखे गये हैं। 1. http://www.livemint.com/Opinion/vIbx7ZUHxvTQMbwboNYHPI/India-is-becoming-a-graveyard-of-languages.html 2. http://www.livemint.com/Leisure/PeElxxPks82JcSTxs3WvkI/When-human-beings-go-past-language.html 3. http://www.livemint.com/Leisure/Jnwhm6vGQfNtTfNgbL9j4O/Ganesh-Devy--Each-language-is-a-unique-world-view.html 4. http://jaunpur.prarang.in/180105703
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