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पश्चिमी इतिहास का पिता माने जाने वाले हेरोडोटस से जानिए, प्राचीन भारत कैसा था?

जौनपुर

 23-09-2023 10:24 AM
छोटे राज्य 300 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक

हेरोडोटस (Herodotus) लगभग 484 से 425 ईसा पूर्व के बीच एक प्रसिद्ध यूनानी इतिहासकार और भूगोल वेत्ता थे,जो ऐतिहासिक घटनाओं की व्यवस्थित जांच करने वाले पहले लेखक माने जाते हैं, और इसी कारण उन्हें प्राचीन रोमन वक्ता सिसरो (Cicero) द्वारा “इतिहास का पिता” (Father of History) की भी उपाधि प्रदान की गई ।
हेरोडोटस द्वारा ग्रीक (Greek) भाषा में लिखित हिस्ट्रीज़ (Histories) को पश्चिमी साहित्य के इतिहास में प्रथम कृति माना जाता है। इसे 430 ईसा पूर्व के आसपास लिखा गया था। हेरोडोटस ने अपनी रचना या कृति के लिए जानकारी एकत्र करने हेतु कई देशों की यात्रा की। साथ ही उन्होंने दुनिया के लगभग सभी क्षेत्रों के लोगों के अनुभव भी इस कृति में शामिल किये। ‘हिस्ट्रीज़’ में मुख्य रूप से, उस समय के प्रमुख राजाओं के जीवन और उनके द्वारा लड़े गए ‘मैराथन’ (Marathon), ‘थर्मोपाइले’ (Thermopylae), ‘आर्टेमिसियम’ (Artemisium), ‘सेलैमिस’ (Salamis), ‘प्लाटिया’ (Plataea) और ‘माइकेल’ (Michaela) जैसे प्रसिद्ध युद्धों का वर्णन किया गया है। हिस्ट्रीज़ के लेखन के माध्यम से हेरोडोटस का लक्ष्य, दुनिया के इतिहास को संरक्षित करना और यूनानियों तथा गैर-यूनानियों के बीच संघर्ष के कारणों की व्याख्या करना था। उनका मानना था कि “इतिहास को याद रखना इसलिए भी जरूरी है, ताकि हम उससे सीख सकें और भविष्य में वही गलतियाँ करने से बच सकें।”
उन्होंने बेबीलोन (Babylon), मिस्र (Egypt) और फारस (Persia) के प्राचीन साम्राज्यों के साथ-साथ प्राचीन यूनानियों के बारे में भी लिखा है। हेरोडोटस ने अपनी कृतियों (विशेषतौर पर हिस्ट्रीज़) में सांस्कृतिक, नृवंशविज्ञान, भौगोलिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ी कई अन्य जानकारियां भी साझा की। हालाँकि, अपने काम में “किंवदंतियों और काल्पनिक कहानियों" को शामिल करने के कारण, हेरोडोटस की अक्सर आलोचना भी की जाती थी, लेकिन इसके विरोध में वे यह तर्क देते थे कि “उन्होंने वही बताया जो वह देख सकते थे या जो उन्हें बताया गया था।” आज आधुनिक इतिहासकारों और पुरातत्वविदों द्वारा भी उनके द्वारा लिखित ‘हिस्ट्रीज़’ के एक बड़े हिस्से की पुष्टि की गई है।
हेरोडोटस के समय में प्राचीन यूनानी लोग भारत के बारे में बहुत कम जानते थे। हालांकि, वे यह निश्चित रूप से जानते थे कि भारत एक बहु-विविधता वाला देश है, जहां के लोगों के रीति-रिवाज और परंपराएं काफी अलग-अलग थीं। यूनानियों ने भारत के बारे में जो कुछ भी जाना, वह उन्होंने फारसी साम्राज्य से सीखा, क्योंकि उस समय भारत के कुछ क्षेत्रों पर फारसियों का शासन था। यूनानियों को सिंधु बेसिन (Indus basin) के पूर्व में भारत या एशिया (Asia) के भूगोल के बारे में जानकारी नहीं थी । 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हेरोडोटस ने अपनी कृतियों में भारत के बारे में भी लिखा था। उन्होंने अपना लेखन अन्य यूनानी खोजकर्ता- स्काईलैक्स और हिकेटियस (Scylax and Hecataeus) के विवरण के आधार पर किया। इन यूनानियों ने उस समय भारत की यात्रा की थी तथा उन्होंने उन लोगों और स्थानों के बारे में लिखा था, जिन्हें उन्होंने देखा था।
हालांकि, भारत के बारे में लिखित, हेरोडोटस का विवरण बहुत सटीक नहीं है, लेकिन यूनानी दृष्टिकोण से इसे “भारत का सबसे पहला ज्ञात विवरण” माना जाता है। हेरोडोटस का मानना था कि, भारत दुनिया के पूर्वी छोर पर है और यहां सांवली त्वचा वाले लोग रहते हैं। उनके लेखन से यह ज्ञात होता है कि यूनानियों को भारतीय शाकाहार पद्धति में विशेष रुचि थी। वे लोग इस विचार से बड़े ही रोमांचित थे। क्योंकि वे यह समझ नहीं पा रहे थे कि कोई सभ्यता आखिर मांस न खाने का विकल्प क्यों चुनेगी? भारत के पशु पक्षियों के विषय में उन्होंने लिखा कि “भारत के जानवर और पक्षी अन्य जगहों पर पाए जाने वाले जानवरों और पक्षियों की तुलना में बहुत बड़े होते हैं।” हेरोडोटस ने भारतीयों द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि कुछ भारतीय सूती कपड़े पहनते थे, जबकि अन्य भारतीय एक प्रकार के पेड़ से प्राप्त ऊन से निर्मित कपड़े पहनते थे। हेरोडोटस ने यहां पर उन हथियारों और कवच का भी वर्णन किया है, जिनका इस्तेमाल भारतीय सैनिक करते थे। उन्होंने लिखा कि “भारतीय सैनिकों के पास बेंत के धनुष और लोहे के तीर थे। उनके युद्ध के रथ या तो घोड़ों द्वारा खींचे जाते हैं, या जंगली गधों द्वारा खींचे जाते हैं।”
हेरोडोटस ने आगे उस समय के भारत में पाई जाने वाली विभिन्न संभावित जनजातियों और उनके रीति-रिवाजों का भी वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है की “यहाँ की कुछ जनजातियाँ दलदल में रहती हैं और कच्ची मछलियां खाती हैं। कुछ अन्य जनजातियाँ घुमक्कड़ हैं, जो कच्चा मांस खाती हैं। साथ ही एक जनजाति ऐसी भी है जो अपने बीमार और बुजुर्ग सदस्यों को मारकर खा जाती है। “वे (भारतीय) जंगली पौधों पर रहते हैं और यदि उनमें से कोई बीमार हो जाता है, तो वे मरने के लिए जंगल में चले जाते हैं। इन सभी जनजातियों की त्वचा का रंग इथियोपियाई लोगों के समान ही गहरा है।”
भारतीयों की एक जनजाति ऐसी भी है जो कैस्पेटायरस (Caspatyrus) शहर और पैक्टीका (Pactyica) देश के पास रहती है। ये लोग बाकी सभी भारतीयों के उत्तर की ओर रहते हैं। ये लोग अन्य जनजातियों की तुलना में अधिक युद्धप्रिय हैं और ये लोग रेतीले रेगिस्तान से सोना निकालने के लिए जाते हैं। जब भारतीय इस रेत को इकट्ठा करने के लिए रेगिस्तान में जाते हैं, तो तीन ऊंट लेते हैं और उन्हें एक साथ बांधते हैं, जिनमें बीच में एक मादा और दोनों तरफ एक नर ऊंट होता है। यहाँ के रेगिस्तान में, बड़ी-बड़ी चींटियाँ हैं जो जमीन के भीतर रहती हैं और बिल बनाते समय रेत के ढेर बाहर फेंकती हैं। उन्होंने आगे लिखा है कि भारतीय लोग दिन के सबसे गर्म हिस्से में उस समय सोना इकट्ठा करने के लिए बाहर जाते थे जब चींटियाँ गर्मी के कारण छिप जाती थीं। भारत की गर्मी के विषय में बताते हुए वे लिखते हैं कि यहां पर गर्मी हेलास (Hellas) में दोपहर की गर्मी की तुलना में कहीं अधिक प्रचंड है। भारतीय अपने थैलों को रेत से भर लेते थे और जितनी तेजी से संभव हो उतनी तेजी से भाग जाते थे। चींटियाँ बहुत तेज़ थी, और उन्हें सूँघकर उनका पीछा करतीं थी। यदि पीछा करते समय चीटियां इन लोगों को पकड़ लेती हैं तो उनका बचना संभव नहीं है। इन सभी उल्लेखों से पता चलता है कि भले ही हेरोडोटस के लेखन में भारत के बारे में सीमित जानकारी ही दी गई है। लेकिन ये सीमित लेखन भी यह बताने में सक्षम है, कि प्राचीन यूनानी लोग भारत के बारे में क्या दृष्टिकोण रखते थे।
हेरोडोटस द्वारा लिखित उनकी यह यूनानी पुस्तक पिछले 2500 वर्षों से 9वीं ईसवी की प्रतिलिपि की गई पांडुलिपियों में संरक्षित है, जिसके कुछ अंश 550 ईसवी और 100 ईसवी के बीच के हैं। 1950 के दशक में पोलिश पत्रकार और लेखक ‘रिस्ज़र्ड कपुस्किन्स्की’ (Ryszard Kapuscinski) ने हेरोडोटस द्वारा वर्णित भारत, ईरान और अफगानिस्तान के स्थानों की यात्रा की। उन्होंने इस विषय में अपनी एक पुस्तक ‘ट्रेवल्स ऑफ हेरोडोटस’ (Travels of Herodotus) भी लिखी। लेकिन यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है और अभी तक इसका हिंदी में अनुवाद नहीं किया गया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4s9cf25p
https://tinyurl.com/99rdy3vn
https://tinyurl.com/4vc4nz9j
https://tinyurl.com/un9w9hvr
https://tinyurl.com/mr2zrch5
https://tinyurl.com/4kht4pr4

चित्र संदर्भ
1. हेरोडोटस और अखंड भारत के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (Free Vectors, Wikimedia)
2. हेरोडोटस को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
3. हिस्ट्रीज़ को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
4. सिंधु घाटी के प्रभाव मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
5. एक स्वर्णिम चींटी को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)



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