Post Viewership from Post Date to 21-Oct-2023
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1895 382 2277

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

ई-बुक्स और कागज की किताबों में से किसे पढ़ना सही रहेगा?

जौनपुर

 21-09-2023 09:39 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

कच्चे माल की ऊंची लागत और बढ़ती महंगाई के कारण भारत में कई पुस्तक प्रकाशकों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कागज की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है, और पुस्तक वितरक मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप प्रकाशकों को किताबों की कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे पाठकों पर भी बड़ा दबाव पड़ रहा है। ज्यादातर भारतीय मनोरंजन के लिए किताबें पढ़ते हैं, इसलिए वे किताबों के लिए ऊंची कीमत चुकाने को तैयार नहीं हैं। देश में फैली कोरोना महामारी ने भी किताबों की संस्कृति को बदल दिया है। आज धीरे-धीरे लोग भौतिक अर्थात “कागज़ की किताबों” के बजाय अमेज़न (Amazon) जैसी वेबसाइट (Websites) पर लैपटॉप, मोबाइल, किंडल (Kindle) जैसे उपकरणों के माध्यम से “ई-पुस्तकें” (E-Books) पढ़ना अधिक पसंद कर रहे हैं। लेकिन यह भी सोचने वाली बात है कि क्या कागज की किताबें या ऑनलाइन ई-पुस्तकें आपके दिमाग को एक ही तरह से प्रभावित करती हैं?
आज दुनियाभर के वैज्ञानिक, शिक्षक और माता-पिता यह समझना चाहते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई और भौतिक पुस्तकों जैसी मुद्रित सामग्री को पढ़ने में क्या अंतर् होता है? हाल के अध्ययनों से पता चला है कि 10वीं कक्षा के वे छात्र, जो मुद्रित किताबें पढ़ते हैं, परीक्षा में उन्हीं पाठों को डिजिटल रूप से पढ़ने वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि लंबे पाठों के लिए हर उम्र के लोग मुद्रित पुस्तकें में ही पढ़ना पसंद करते हैं। हालांकि, ई-पुस्तकों (किंडल) के प्रशंसक ई-पुस्तकों की सुविधा और उनकी कम कीमत के कारण उनको ज्यादा महत्व देते हैं। हालाँकि, मुद्रित पुस्तक पढ़ने और अमेज़न किंडल पर पढ़ने के बीच शब्द, वाक्य और तथ्यों को समझने की क्षमता में बहुत कम अंतर था। लेकिन, मुद्रित पुस्तक पढ़ने वाले लोगों को यह अच्छे से याद था, कि पुस्तक में कहाँ कुछ हुआ था, और कथानक में घटनाओं का क्रम क्या था? एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि जब पढ़ने का समय सीमित होता है, तब भी सूचनात्मक या मिश्रित सूचनात्मक और कथात्मक पाठों के लिए कागज-आधारित पढ़ने का अधिक लाभ होता है। आपको जानकर हैरानी होगी की किसी भी स्क्रीन (Screen) पर लोग भौतिक किताबों की तुलना में अधिक तेजी से पढ़ते हैं। हालाँकि, यह लाभ छोटे लेखों और सोशल मीडिया पोस्ट (Social Media Post) पढ़ने तक ही सीमित है, क्योंकि लंबे लेख या किताबें पढ़ते समय स्क्रीन पर नजरें बनाए रखना कठिन साबित हो सकता है। कई शोध बताते हैं कि स्क्रीन पर पढ़ते समय लोगों को जटिल पाठ समझने में कठिनाई हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्क्रीन अधिक ध्यान भटकाती है, और एकाग्र होकर पढ़ने के लिए हमें मानसिक तौर पर अधिक प्रयास करने की आवश्यकता होती है। क्या आप जानते हैं कि हमारे मस्तिष्क में केवल पढ़ाई के लिए समर्पित कोशिकाओं का कोई विशेष नेटवर्क नहीं है। इसके बजाय, हम पढ़ाई के लिए दिमाग से ऐसे नेटवर्क उधार लेते हैं जो अन्य काम करने के लिए विकसित हुए हैं। उदाहरण के लिए, मस्तिष्क का जो हिस्सा चेहरों को पहचानने के लिए है, उसे अक्षरों को पहचानने के लिए क्रियान्वित किया जाता है। यह किसी उपकरण को नए उपयोग के लिए अनुकूलित करने जैसा है। उदाहरण के लिए, आप नाली को साफ करने के लिए कोट हैंगर (Coat Hanger) का उपयोग कर सकते हैं। हालाँकि, यह लचीलापन अच्छा है, लेकिन इसके साथ एक समस्या भी जुड़ी हुई है। दरअसल, हमारा दिमाग कागज की किताबें पढ़ने की तुलना में स्क्रीन पर पढ़ते समय कोशिकाओं के बीच अलग-अलग संबंध बनाता है। इससे होता ये है कि जब हम स्क्रीन पर पढ़ रहे होते हैं, तो हमारा दिमाग स्किम मोड “Skim Mode” (पाठ को जल्दी से और केवल सतही रूप से पढ़ना) में चला जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्क्रीन अक्सर छोटी होती हैं और हमें इसे बार-बार स्क्रॉल करने की आवश्यकता होती है। किसी पाठ का सामान्य अवलोकन प्राप्त करने के लिए स्किमिंग सहायक हो सकती है, लेकिन गहन शिक्षण के लिए यह आदर्श नहीं है।
लंबे समय तक हमारे मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की स्क्रीन से लगातार निकलती नीली रोशनी को देखना समय के साथ हमारी आंखों के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा लगातार टिमटिमाती स्क्रीन को ऊपर नीचे करना, पॉप अप विज्ञापनों (Pop Up Ads) को हटाना, और ऑनलाइन पढ़ते समय उत्पन्न होने वाले विकर्षण, आसानी से हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। हालांकि, पुस्तकों की कम कीमत और आसान उपलब्धता के आधार पर ऑनलाइन पढाई को सही ठहराया जा सकता है, लेकिन वास्तव में हमारा दिमाग यकीनन कागजी ज्ञान को भंडारित करने के लिए ही बना है। इसलिए कोशिश कीजिये कि केवल बहुत जरूरी होने पर ही ऑनलाइन किताबों की ओर जाएं क्योंकि भले ही हर किताब ऑनलाइन पढ़ने को मिल जाएँगी लेकिन वहां पर किताबों की खुशबू लाना अभी भी थोड़ा सा कठिन है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2j4t5z9y
https://tinyurl.com/dj6pktry
https://tinyurl.com/4khxc33y
https://tinyurl.com/4vrw6u6d

चित्र संदर्भ
1. ई-बुक्स और कागज की किताब को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
2. ई-बुक पाठक को दर्शाता एक चित्रण (pickpik)
3. खुले में बैठे ई-बुक पाठक को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)
4. इंसानी दिमाग को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
5. ई-बुक बनाम किताब को दर्शाता एक चित्रण (pxfuel)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जौनपुर शहर की नींव, गोमती और शारदा जैसी नदियों पर टिकी हुई है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:14 AM


  • रंग वर्णकों से मिलता है फूलों को अपने विकास एवं अस्तित्व के लिए, विशिष्ट रंग
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:11 AM


  • क्या हैं हमारे पड़ोसी लाल ग्रह, मंगल पर, जीवन की संभावनाएँ और इससे जुड़ी चुनौतियाँ ?
    मरुस्थल

     16-09-2024 09:30 AM


  • आइए, जानें महासागरों के बारे में कुछ रोचक बातें
    समुद्र

     15-09-2024 09:22 AM


  • इस हिंदी दिवस पर, जानें हिंदी पर आधारित पहली प्रोग्रामिंग भाषा, कलाम के बारे में
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:17 AM


  • जौनपुर में बिकने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है बी आई एस
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:05 AM


  • जानें कैसे, अम्लीय वर्षा, ताज महल की सुंदरता को कम कर रही है
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:10 AM


  • सुगंध नोट्स, इनके उपपरिवारों और सुगंध चक्र के बारे में जानकर, सही परफ़्यूम का चयन करें
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:12 AM


  • मध्यकाल में, जौनपुर ज़िले में स्थित, ज़फ़राबाद के कागज़ ने हासिल की अपार प्रसिद्धि
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:27 AM


  • पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ खनिजों में से एक है ब्लू जॉन
    खनिज

     09-09-2024 09:34 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id