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जौनपुर से बहुत दूर नहीं, दुधवा वन्यजीव अभ्यारण्य में आए प्रवासी पक्षियों का रोमांचक सफर

जौनपुर

 07-09-2023 10:48 AM
पंछीयाँ

क्या कभी आपने आसमान में बहुत ऊंचाई पर अंग्रेजी के अक्षर वी (V) के आकार में प्रवासी पक्षियों के झुंड को देखा है? और यदि कभी देखा है तो, क्या कभी आपके मन में ये सवाल आया कि आखिर ये पक्षी कहां से उड़कर आ रहे हैं और किस और जा रहे हैं? इस लेख में आज हम आपको प्रवासी पक्षियों और उनसे जुड़ी रोचक जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
प्रवासी पक्षी - वे पक्षी हैं, जो अपने आरामदायक जीवनस्तर के लिए अकसर एक स्‍थान से दूसरे स्थान पर यात्रा करते हैं और कभी-कभी उनकी ये यात्रा एक देश से दूसरे देश तक भी होती है। वे अकसर अपने मौसमी परिवार और खान-पान की तलाश में बड़ी दूर तक यात्रा करते हैं। प्रवासी पक्षी की यात्रा एक विशेष प्रकार के मौसम के परिवर्तन के साथ होती है। प्रकृति के इन आवारा पक्षियों के साथ खोज की यात्रा पर निकलना अपने आप में एक रोमांचक सफर है! यह पक्षी एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में भ्रमण करते रहते हैं, आप इनके पीछे दुनिया का अन्‍वेषण कर सकते हैं। आइए, जानते हैं पक्षियों के प्रवास के समय के बारे में और इसके साथ ही इन्हीं प्रवासी पक्षियों में से एक आर्कटिक टर्न (Arctic tern) की रिकॉर्ड-तोड़ लंबी-लंबी यात्राओं के बारे में। आर्कटिक टर्न का प्रवासन सभी पक्षियों में सबसे लंबा होता है। अर्थात, यह पक्षी हर साल अन्‍य सभी पक्षियों में सबसे लंबी लगभग 35,000 किमी (22,000 मील) तक की यात्रा तय करता है। दक्षिण की ओर वापसी की यात्रा जुलाई के अंत और अक्टूबर की शुरुआत के बीच होती है। आर्कटिक टर्न उत्तर पश्चिमी यूरोप (Northwest Europe) और अफ्रीका (Africa) की तट रेखाओं पर चलते हुए अपने भोजन की तलाश करते हैं।
कुछ बड़े घुमक्कड़ होते हैं। इनकी एक यात्रा वेल्‍स (Wales) से प्रारंभ होकर, केवल छह महीने के भीतर 20,000 किमी (12,500 मील) दूर, न्यू साउथ वेल्स (New South Wales), ऑस्ट्रेलिया (Australia) में खत्म होती है।
रिसर्च के अनुसार आर्कटिक टर्न्स लगभग 29 साल तक जीवित रह सकते हैं। यह पक्षी रेतीय मछलियां जैसी छोटी मछलियां खाते हैं और समुद्रीय तटों तथा अपतटीय द्वीपों पर अपना घोंसला बनाते हैं। इनकी ब्रिटेन (Britain) की आबादी ज्यादातर उत्तरी और पश्चिमी तटों विशेषकर स्कॉटलैंड (Scotland) और आयरलैंड (Ireland) में प्रजनन करती है। टर्न मई या जून की शुरुआत में अपने प्रजनन स्थल पर पहुंच जाते हैं, जहां प्रत्येक मादा जमीन में उथले स्थानों पर एक से तीन अंडे देती है। युवा टर्न 21-24 दिनों के बाद उड़ना शुरू कर देते हैं। लेकिन, आमतौर पर यह एक या दो महीने तक अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। दक्षिण की ओर वापसी की यात्रा जुलाई के अंत और अक्टूबर की शुरुआत के बीच होती है। जब भी रेतीली मछलियों की आबादी में गिरावट आती है, तो आर्कटिक टर्न बुरी तरह प्रभावित होते हैं। 2004 में, ब्रिटेन के कई जलक्षेत्रों से बड़ी संख्या में रेतीली मछलियां गायब हो गयी। वैज्ञानिकों का मानना है कि, यह जलवायु परिवर्तन का असर हो सकता है। आर्कटिक टर्न कुछ क्षेत्रों में प्रजनन करने में पूरी तरह विफल रहे। शेटलैंड द्वीप समूह (Shetland Islands) में, जहां आमतौर पर आर्कटिक टर्न के 20,000 से अधिक जोड़े होते थे, वहां आज एक भी जीवित नहीं बचा। जलवायु परिवर्तन के कारण यह स्थिति दुनिया के कई क्षेत्रों में बनी हुई है।
हमारा उत्तर प्रदेश भी अनेक प्रवासी पक्षी प्रजातियों का घर है, जो इसके पक्षी परिदृश्य को समृद्ध बनाता है। पक्षियों को निहारने का सबसे अच्छा तरीका उन्‍हें ध्‍यान से देखना और सुनना है। क्योंकि, कई पक्षियों की चहचहाट और मधुर ध्‍वनियां अद्वितीय होती हैं। पक्षियों को देखने और उनपर शोध करने का सबसे उचित समय प्रात: काल का होता है, अक्‍सर पक्षी प्रेमी इसी समय बाहर निकलते हैं। अधिकांश पक्षी रात में सोते हैं और सुबह भूखे होते हैं, इसलिए, वे खाने की तलाश में सुबह सुबह अपने घोसलों से बाहर निकल आते हैं। दोपहर के समय पक्षी कम सक्रिय होते हैं। दुनिया भर में प्रवासी पक्षियों की भरमार पड़ी है और हम हर किसी तक नहीं पहुंच सकते, अत: इन तक पहुंचने का सबसे सही माध्‍यम प्रवासी पक्षियों पर लिखी गयी पुस्तकें हैं। यदि आप पक्षी प्रेमी हो तो घर के बाहर तक के पक्षियों को देखना आपके लिए पर्याप्त नहीं है, उसके लिए आपको अपनी सीमा का विस्तार करना होगा, तो इन्हें देखने के लिए आप इनके विभिन्न स्थानों और आवासों पर जाएं। कुछ पक्षियों को ऊंचे पेड़ पसंद हैं, कुछ को झाड़ियां पसंद हैं, कुछ को नदियों के किनारे घोंसला बनाना पसंद है, जबकि अन्य खुले मैदानों में पाए जा सकते हैं।
विश्व में लगभग 10,000 पक्षियों की प्रजातियां हैं। वहीं, भारत में लगभग 1,300 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से, उत्तर प्रदेश में 550 से अधिक पक्षी प्रजातियां हैं। दुधवा में प्रवासी पक्षियों की एक श्रृंखला भी है, जो सर्दियों के दौरान यहां आते हैं। इनमें पेंटेड सारस (Painted storks), काले और सफेद गर्दन वाले सारस, सारस क्रेन, कठफोड़वा, बारबेट, बी-ईटर्स (Bee-eaters), मिनीवेट (Minivets), किंगफिशर (Kingfishers), बुलबुल और कई प्रकार के पक्षी शामिल हैं।

संदर्भ:
https://shorturl.at/gikT5
https://shorturl.at/osyHR
https://shorturl.at/aRW07

चित्र संदर्भ 
1. भारतीय रोलर को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. (V) के आकार में प्रवासी पक्षियों के झुंड को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. आर्कटिक टर्न को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. दुधवा वन्यजीव अभ्यारण्य को संदर्भित करता एक चित्रण (Pxfuel)



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