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भारतीय सेना के गौरव और सम्मान को दर्शाती हैं, “लड़ाकू वर्दियां”

जौनपुर

 05-09-2023 11:55 AM
स्पर्शः रचना व कपड़े

हमारी भारतीय थल सेना की अनेकों विशिष्ट वर्दियां हैं, जो लोगों के मन में एक विशेष उत्साह उत्पन्न करती हैं। प्रत्येक देश की सेना की अपनी-अपनी वर्दियां होती हैं, जो उन्हें अन्य देशों की सेना से पृथक करने में मदद करती है। लड़ाकू वर्दी, जिसे फ़ील्ड यूनिफ़ॉर्म (Field uniform) भी कहा जाता है, सेना, पुलिस और सार्वजनिक सेवा कर्मियों द्वारा फील्डवर्क और युद्ध के दौरान पहनी जाने वाली एक पोशाक है। यह पोशाक या वर्दी विभिन्न आयोजनों में पहनी जाने वाली औपचारिक पोशाकों या वर्दियों से भिन्न होती हैं।
हाल ही में, वर्दियों के साथ ही भारतीय सेना ने घातक स्टील कोर गोलियों से सुरक्षा के लिए 62,500 बुलेटप्रूफ जैकेट (Bulletproof) खरीदने की योजना बनाई है। तो आइए, जानते हैं कि लड़ाकू वर्दी क्या है तथा भारत द्वारा कितने प्रकार की लड़ाकू वर्दियों का उपयोग किया जा रहा है। लड़ाकू वर्दी, एक सैन्य पोशाक है, जिसका उपयोग रोजमर्रा के फील्डवर्क और युद्ध सम्बंधी कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सेना, पुलिस, अग्निशमन और अन्य सार्वजनिक वर्दीधारी सेवाओं के लिए किया जाता है। यह पेशाकें या वर्दियां विभिन्न आयोजनों और परेडों में पहनी जाने वाली वर्दियों से भिन्न होती हैं। इसमें आम तौर पर एक जैकेट, ट्राउजर, शर्ट या टी-शर्ट होती है, जिन्हें औपचारिक वर्दी की तुलना में अधिक ढीला और आरामदायक बनाया जाता है।
कुछ अन्य लोग भी विशिष्ट फैशन के लिए लड़ाकू वर्दी का इस्तेमाल करते हैं, जो भ्रम उत्पन्न कर सकता है, लेकिन उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली वर्दी वास्तविक वर्दी नहीं होती है। 16वीं सदी के जर्मनी (Germany) के लैंडस्केन्चे (Landsknechte) के कपड़े विशिष्ट सैन्य फैशन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। ज़ौवेस (Zouaves - फ्रांसीसी सेना के पैदल चलने वाले सैन्य रेजिमेंटों का वर्ग) जैसी विशेष इकाइयों ने उन्हें मुख्य धारा के सैनिकों से अलग करने के लिए गैर-मानक वर्दी विकसित की। 20वीं शताब्दी तक अधिकांश सेनाओं ने अधिक रंगीन वर्दी का उपयोग केवल औपचारिक आयोजनों के लिए किया। भारत में खाकी वर्दी की शुरूआत सबसे पहले 1848 में अंग्रेज़ों ने की। 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद भारत और अफ्रीका (Africa) दोनों में खाकी वर्दी आम तौर पर पहनी जाने लगी। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद ब्रिटिश भारतीय सेना का नाम बदलकर भारतीय सेना कर दिया गया, जिसके बाद से जैतून-हरे रंग की लड़ाकू पोशाकें अपनाई गईं। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि पाकिस्तान की सैन्य पोशाक को भारत की सैन्य पोशाक से पृथक किया जा सके, क्योंकि पाकिस्तान की सैन्य लड़ाकू पोशाक विभाजन के बाद भी खाकी रंग की थी। आज भी औपचारिक कार्यक्रमों में पाकिस्तान की सेना खाकी रंग की वर्दी पहनती है। भारतीय सेना को उसके बाद से उसकी जैतून-हरे रंग की वर्दी से पहचाना जाने लगा। कुछ साल बीत जाने के बाद सेना को यह एहसास हुआ कि, उसे एक छद्मवेशी वर्दी की आवश्यकता है।
इस वजह से भारतीय सेना ने ब्रशस्ट्रोक छद्मवेशी पैटर्न (Brushstroke camouflage pattern) वाली वर्दी को अपनाया, जबकि जैतून-हरे रंग की वर्दी का उपयोग सामान्य सेवा के लिए मानक वर्दी के रूप में किया जाता रहा। ब्रश स्ट्रोक वर्दी का उपयोग भारतीय सेना द्वारा 1980 के दशक की शुरुआत में किया गया था। छद्मवेशी वर्दी के कारण सैनिक आसानी से अपने परिवेश से घुलने-मिलने लगते थे तथा दुश्मन उन्हें आसानी से पहचान नहीं पाता था। यह जानना बहुत रोचक है कि, भारतीय सेना में एक सैनिक 1 नहीं बल्कि 14 अलग-अलग वर्दी पहनता है। ये वर्दियां भारतीय सेना के गौरव और सम्मान को दर्शाती है और अनुशासित जीवनशैली विकसित करती है। इन वर्दियों में सामान्य ड्यूटी वर्दी (General Duty Uniform), सामान्य ड्यूटी शीतकालीन वर्दी (General Duty Winter Uniform), सामान्य ड्यूटी अंगोला शीतकालीन वर्दी (General Duty Angola Winter Uniform), औपचारिक वर्दी (Ceremonial Uniform), औपचारिक वर्दी बख्तरबंद कॉर्प्स (Ceremonial Uniform Armoured Corps), मेस ड्रेस (Mess Dress), लड़ाकू सैन्य वर्दी (Combat Military Uniform), लड़ाकू शीतकालीन वर्दी (Combat Winter Uniform), लड़ाकू वर्दी लेह लद्दाख (Combat Uniform Leh Ladakh), डूंगरीज़ (Dungarees), शीतकालीन डूंगरीज़ (Winter Dungarees), काली पोशाक (Black Dress), स्मोक्स (Smocks) और ग्रीन वेस्ट (Green Vest) शामिल है।
इसके अलावा, विभिन्न रेजिमेंटों की अपनी-अपनी विशिष्ट वर्दियां भी होती हैं। अभी तक भारत सैन्य वर्दी बनाने में इस्तेमाल होने वाले कपड़े का चीन और अन्य देशों से आयात करता था, किंतु अब भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन सैन्य वर्दी बनाने के लिए स्वदेशी कपड़ा बनाने में मदद कर रहा है। भारतीय सेना ने सैनिकों के लिए नई लड़ाकू वर्दी डिजाइन करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (National Institute of Fashion Technology - NIFT) के साथ साझेदारी की है।
इसका अनावरण पहली बार 15 जनवरी को सेना दिवस परेड के दौरान किया जाएगा। NIFT, फैशन डिज़ाइनिंग के लिए एक शिक्षा संस्थान है जिसकी स्थापना 1986 में सरकारी कपड़ा मंत्रालय के तहत की गई थी। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद सहित कई भारतीय शहरों में NIFT के परिसर मौजूद हैं। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने उग्रवाद विरोधी अभियानों और अग्रिम स्थानों पर कार्यरत सैनिकों को आतंकवादी और शत्रु देशों द्वारा उपयोग की जाने वाली घातक स्टील कोर गोलियों से बचाने के लिए 62,500 बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने हेतु दो निविदाएं जारी की हैं।

संदर्भ:
https://tinyurl.com/2rcbfun4
https://tinyurl.com/55kktzps
https://tinyurl.com/yc795an3
https://tinyurl.com/29sm3kfz
https://tinyurl.com/2d23ezsf
https://tinyurl.com/49v9jwnx
https://tinyurl.com/8shxd7ej

चित्र संदर्भ
1. भारत की महिला सैनिकों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सेना के पैरा कमांडो को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. भारतीय सेना के सैनिक पैराट्रूपर्स को उनके उपकरणों के साथ दर्शाता चित्रण (flickr)
4. एक सैन्य परेड को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. निशाना साधती महिला सैनिक को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)



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