जौनपुर के शर्की सिक्कों से लेकर आधुनिक सिक्कों ने कौन-कौन से बदलाव देखे?

अवधारणा I - मापन उपकरण (कागज़/घड़ी)
04-09-2023 09:38 AM
Post Viewership from Post Date to 04- Oct-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2903 386 0 3289
* Please see metrics definition on bottom of this page.
जौनपुर के शर्की सिक्कों से लेकर आधुनिक सिक्कों ने कौन-कौन से बदलाव देखे?

जौनपुर में शर्की राजवंश के सिक्के खोजना आज की तारीख में बहुत ही मुश्किल काम होगा। लेकिन, इनमें से कई सिक्कों को आज भी संग्रहालयों और लोगों के निजी संग्रह (Private Collection) में देखा जा सकता है। क्या आप जानते हैं कि, बादशाह अकबर ने भी अपने समय में हमारे जौनपुर की टकसाल (Mint) में सोने का सिक्का बनवाया था। हालांकि, आज आधुनिक सिक्कों को बनाने में प्रयोग होने वाली धातु पूरी तरह से बदल गई है। लेकिन, सिक्कों के इतने लंबे ऐतिहासिक सफ़र के बारे में जानना वाकई रोमांचक है। “सिक्का (Coin)” आमतौर पर एक कठोर धातु की सामग्री का टुकड़ा होता है, जिसका उपयोग लेनदेन में पैसे के रूप में किया जाता है। सिक्के को आमतौर पर सरकारें बनाती हैं और इसका आकार सामान्यतः गोल-सपाट प्लेट (Flat Plate) जैसा होता है। सिक्के आमतौर पर सस्ती चीजों को खरीदने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जबकि, कागजी मुद्रा का उपयोग महंगी चीजों को खरीदने के लिए किया जाता है। अधिकांश मुद्रा प्रणालियों में सबसे मूल्यवान सिक्के का मूल्य, सबसे कम मूल्यवान बैंक नोट (Bank Note) से कम होता है। अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं में सिक्के और बैंकनोट मिलकर उस देश की भौतिक मुद्रा बनते हैं।
माना जाता है कि, “सिक्कों का निर्माण 650 ईसा पूर्व के बाद शुरू हुआ था।” छठी शताब्दी में प्राचीन यूनानी कवि ज़ेनोफेनेस (Xenophanes) ने कहा था कि लिडियन (Lydians) सोने और चांदी के सिक्के बनाने वाली पहली सभ्यता थी। लिडिया के राजा क्रोएसस “Croesus” (लगभग 560-546 ईसा पूर्व) ने शुद्ध सोने और चांदी के सिक्के जारी किये थे। क्रोएसस के कुछ शुरुआती सिक्के एक विशेष प्रकार के सोने से बने होते थे, जिसे इलेक्ट्रम (Electrum) कहा जाता था। यूनानियों ने इलेक्ट्रम को "सफेद सोना" संबोधित किया। इन सिक्कों पर एक तरफ शेर और दूसरी तरफ बैल का चित्र होता था। हाल के अध्ययनों से यह अनुमान लगाया गया है कि, “शुद्ध सोने और चांदी की द्विधातु श्रृंखला के सिक्के वास्तव में फारस में क्रोएसस के उत्तराधिकारियों के शासनकाल में ही ढाले गए होंगे। क्या आप जानते हैं कि, बादशाह अकबर ने अपने समय में हमारे जौनपुर की टकसाल (Mint) में सोने का सिक्का बनवाया था। लेकिन आमतौर पर जो जानकारी दी जाती है, उसके अनुसार मुगल सिक्के आगरा, दिल्ली, अहमदाबाद, लाहौर और अन्य शहरों की टकसालों में तीन धातुओं का प्रयोग करके बनाए जाते थे। अकबर के शासन के दौरान, 5, 50 और 100 तोले जैसे विभिन्न वजन में बड़े सोने के सिक्के या मोहरें ढाली गई थी। यह दृष्टिकोण जहांगीर के शासन में भी जारी रहा।
यदि हम भारतीय उपमहाद्वीप में सिक्कों के इतिहास पर नजर डाले तो, लगभग 600 ईसा पूर्व में पूर्वी भारत की निचली गंगा घाटी में कार्षापण (Karshapana) नामक एक पंचमार्क सिक्का (Punch-Marked Coin) तैयार किया गया था। भारत का पहला दस्तावेजी सिक्का 7वीं-6वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच का माना जाता है।” इन सिक्कों को "पंच-मार्क्ड" सिक्के इसलिए कहा जाता था, क्योंकि ये धातु में प्रतीकों को छिद्रित करके बनाए जाते थे। इन सिक्कों पर अक्सर सूरज, जानवर, पेड़ और पहाड़ियों जैसे प्रकृति से प्रेरित प्रतीक उकेरे जाते थे। कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि, भारत में सिक्कों की शुरुआत संभवतः 575 ईसा पूर्व के आसपास हुई थी। वहीं पी. एल. गुप्ता मानते हैं, कि भारत में सिक्कों का प्रचलन संभवतः सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू हुआ होगा। कुछ अन्य जानकार यह भी मानते हैं कि, भारत में सिक्के लगभग 1000 ईसा पूर्व और 500 ईसा पूर्व से उपयोग किये जा रहे थे। काशी, कौशल और मगध के सिक्कों को भी भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुराने सिक्कों के रूप में गिना जाता है। ये सिक्के सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व के माने जाते हैं। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में शक और कुषाणों ने भी सिक्के जारी करना शुरू कर दिया था। इन सिक्कों पर अक्सर शासकों के साथ-साथ ग्रीक देवी-देवताओं के चित्र भी उकेरे जाते थे। कुषाणों ने अपने सिक्कों पर सबसे पहले देवी लक्ष्मी की छवि का उपयोग किया था। चौथी शताब्दी में गुप्त साम्राज्य ने भी सिक्के जारी करना शुरू कर दिया। ये सिक्के कुषाणों की परंपरा का अनुसरण करते थे, जिनमें अग्र भाग पर राजा और पृष्ठ भाग पर एक देवता का चित्रण होता था। गुप्तकालीन सिक्कों पर भी भारतीय देवताओं के चित्र होते थे, और लिखावट ब्राह्मी लिपि में होती थीं। गुप्त साम्राज्य के बाद भारत में सिक्कों की परंपरा जारी रही। विभिन्न राजवंशों ने अपने स्वयं के अनूठे डिजाइन के साथ सिक्के जारी किए। दक्षिण में चेर, चोल और उडुपी के अलुपास जैसे साम्राज्यों ने भी अपने-अपने सिक्के जारी किए। 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) ने भारत में सिक्के ढालना शुरू किया। इन सिक्कों का उपयोग अक्सर वस्तुओं और सेवाओं के भुगतान के लिए किया जाता था। इन सिक्कों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एकजुट करने में काफी मदद की। आज, भारत में आधुनिक सिक्का प्रणाली चलती है, जिसका प्रबंधन भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank Of India) द्वारा किया जाता है। आधुनिक सिक्के विभिन्न धातुओं (जैसे तांबा, निकल (Nickel) और चांदी से बने होते हैं।) इन्हें अलग-अलग मूल्यवर्ग (1 रुपये, 2 रुपये और 5 रुपये आदि) में भी जारी किया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि इतिहास में भारत में भारतीय सिक्कों के अलावा विदेशी सिक्कों का भी उपयोग किया गया है। दरअसल, भारत के मध्य पूर्व, यूरोप और चीन जैसे अन्य देशों के साथ काफी व्यापारिक संबंध रहे हैं, इसलिए भारत में विदेशी सिक्कों का भी प्रयोग किया जाता था। भारत में इस्तेमाल होने वाले विदेशी सिक्कों का एक उदाहरण रोमन सिक्का (Roman Coin) है। रोमन सिक्के, मूल रूप में दक्षिण भारत में प्रचलन में थे, जहां समुद्री व्यापार फलता-फूलता था। हालांकि, बाद में विदेशी संप्रभुता की घुसपैठ को अस्वीकार करने के संकेत के रूप में रोमन सिक्कों को हटा दिया गया था।
स्वतंत्र भारत में रुपए के रूप में सिक्के पहली बार 1950 में बनाए गए थे। तब से हर साल नए सिक्के बनाए जाते हैं और आज ये भारत की मुद्रा का अहम हिस्सा बन गए हैं। भारत में 10 पैसे, 25 पैसे और 50 पैसे के सिक्के स्टेनलेस स्टील (Stainless Steel) का उपयोग करके बनाए जाते थे। 1992 से 1 रुपए के सिक्के भी स्टील का उपयोग करके बनाए जाने लगे। ₹2 और ₹5 के सिक्के कॉपर-निकेल धातु से बनाए गए। वर्तमान भारत में एक रुपया, दो रुपये, पांच रुपये, दस रुपये, बीस रुपये, और पचहत्तर रुपये के सिक्के मौजूद हैं। भारत में सिक्के बनाने के लिए चार टकसाल कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद और नोएडा में स्थित हैं। 50 पैसे के बराबर या उससे कम के सिक्कों को “छोटे सिक्क” कहा जाता है। जबकि, एक रुपये और उससे अधिक मूल्य के सिक्कों को “रुपये के सिक्के” कहा जाता है। प्रत्येक वर्ष ढाले जाने वाले सिक्कों की संख्या भारत सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है। 2011 का सिक्का अधिनियम ₹1000 तक के सिक्के जारी करने की अनुमति देता है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/3umrrk47
https://tinyurl.com/sx9f6zbc
https://tinyurl.com/yy2m2mru
https://tinyurl.com/mtmxdern
https://tinyurl.com/ys4hua6m
https://tinyurl.com/2yjta754
https://tinyurl.com/2p9ymwt3
https://tinyurl.com/2p9ymwt3

चित्र संदर्भ

1. जौनपुर सल्तनत के हुसैन शाह के सोने के टंका सिक्के और स्वतंत्रता संस्करण सिक्के को दर्शाता चित्रण (icollector, pexels)
2. जौनपुर के इब्राहिम शाह के चाँदी के सिक्के को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. क्रोएसस के कुछ शुरुआती सिक्के एक विशेष प्रकार के सोने से बने होते थे, जिसे इलेक्ट्रम कहा जाता था। को दर्शाता चित्रण (World History Encyclopedia)
4. कार्षापण (Karshapana) नामक एक पंचमार्क सिक्के को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. कुषाण सिक्कों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. भारतीय रुपयों के सिक्कों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)