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पत्तों के खेल – ब्रिज (Bridge) में भारत ने कैसे प्राप्त किया अंतरराष्ट्रीय स्वर्णपदक?

जौनपुर

 23-08-2023 09:35 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

जैसे ही हम ओलंपिक खेलों (Olympic games) के बारे में बात करते हैं, विभिन्न खेल हमारी आंखों के सामने आ जाते हैं। परंतु, हम कदाचित ही बौद्धिक खेलों के बारे में सोचते हैं, जो ओलंपिक खेलों का हिस्सा होते हैं। उनमें से ही एक खेल – ब्रिज एक बेहतरीन कार्ड गेम (Card Game) या पत्तों का खेल है, जो हमारे लिए मनोरंजन के साथ ही बौद्धिक विकास का सबसे आसान स्रोत हो सकता है। इस खेल को चार लोग या प्रतिस्पर्धी ताश के पत्तों के साथ खेलते हैं। ब्रिज खेल की संस्था, वर्ल्ड ब्रिज फेडरेशन (World Bridge Federation) को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee) द्वारा मान्यता प्राप्त है। प्रत्येक खेल की तरह, ब्रिज भी पेशेवर खिलाडियों और आम लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। दुनिया भर में लाखों लोग, किसी भी अन्य पत्तों के खेल से कहीं अधिक, इसका आनंद लेते हैं। सामाजिक दायरे में, इसे ताश का खेल माना जाता है, परंतु यह उससे थोड़ा भिन्न है। चाहे आप यह खेल दोस्तों के साथ मनोरंजन के लिए खेलें, क्लब(Club) या संघों में खेलें या फिर प्रतियोगिताओं में गंभीरता से खेलें, आपको यह हमेशा ही आकर्षक, चुनौतीपूर्ण और आनंददायक लगेगा।
ब्रिज के नाम से प्रख्यात इस पत्तों के खेल की जड़ें प्राचीन समय में ही देखी जा सकती हैं। इसके प्रत्यक्ष प्रारंभिक प्रकार, “व्हिस्ट (Whist)” के बारे में, हम 16वीं शताब्दी के इंग्लैंड (England) से जान सकते है। तब यह खेल वहां, आमतौर पर विनम्र वर्गों द्वारा खेला जाता था। फिर, इस खेल ने समाज के अधिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को भी आकर्षित करना शुरू कर दिया और इसकी सफलता काफ़ी हद तक बढ़ गई। अतः 1742 में सर एडमंड हॉयल (Sir Edmond Hoyle) ने इसे अपने ‘शॉर्ट ट्रिएटाइज (Short Treatise)’ नामक एक किताब में विशिष्ट नियमों के साथ संहिताबद्ध भी किया। यह किताब इस खेल की तकनीक पर आधारित थी, तथा लंदन (London) में प्रकाशित की गई थी। हॉयल का सहज बोध पत्तों के एक अच्छे खेल को, गहरे नैतिक महत्व के साथ एक सामाजिक वाहन के रूप में कल्पना करते हुए प्रासंगिक बनाना था। और, आज भी यही इस खेल की सफलता का मुख्य कारण है। ब्रिज खेल वास्तव में व्यक्तिगत है। हालांकि, वर्ष 1873 में टर्की (Turkey) देश में, इसके आधुनिक संस्करण की तरह, दो प्रतिस्पर्धियों के जोड़ों में चार खिलाड़ियों के साथ ‘व्हिस्ट ब्रिज’ पेश किया गया था। उसी समय, मध्य पूर्व में, रूसी (रशिया[Russia] देश से संबंधित) मूल का एक समान खेल, ‘बिरिच (Biritch)’, व्हिस्ट ब्रिज श्रेणी में लोकप्रियता हासिल कर रहा था। इस कारण, यह विवाद अभी भी अनसुलझा ही है कि, इस खेल की तथा इसके नाम की उत्पत्ति कैसे हुई है।
फिर बाद में, व्हिस्ट ब्रिज को धीरे-धीरे संशोधित किया गया और अंततः इसके सूट (Suit) का पदानुक्रम अपने अंतिम और वर्तमान स्वरूप पर आ गया। खेल में ट्रंप कार्ड (Trump card) का निर्धारण अभी भी आकस्मिक है, और यह वितरक या घोषणाकर्ता पर छोड़ दिया जाता है। सूट से यहां अभिप्राय, ताश के पत्तों के एक पूर्ण सेट(Set) से है तथा ट्रंप कार्ड एक विशेष कार्ड होता है। 1892 में, अमेरिकी खिलाड़ी एवं लेखक जॉन टी. मिशेल (John T. Mitchell) ने इस व्हिस्ट प्रतियोगिता को कैसे खेला जाता है, इस विषय पर एक पुस्तक प्रकाशित की और तभी पहली अमेरिकी चैंपियनशिप (American championship) भी आयोजित की गई थी।
इसके पश्चात, 20वीं सदी की शुरुआत के साथ, यह खेल तेजी से विकसित हुआ। 1904 में, एफ. रो(F. Roe) ने ऑक्शन ब्रिज (Auction Bridge), जो कि, इसी खेल का एक प्रकार है, की शुरुआत की थी। इसके नियमों में, खिलाड़ियों द्वारा नीलामी के माध्यम से ट्रम्प सूट का निर्धारण करना शुरू हुआ और अतः इस खेल ने तुरंत ही फ्रांस (France) और संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में व्यापक लोकप्रियता हासिल कर ली। बाद में वर्ष 1918 में, इसमें थोड़े बदलावों के साथ फ्रांस में ‘प्लाफॉन्ड ब्रिज(Plafond bridge)’ की शुरुआत की गई।
यह खेल अब भारत में भी काफी प्रसिद्ध हो चुका है। हमारे देश में लाखों खिलाड़ी इस खेल को खेलते हैं। इनमें से एक कुशल खिलाड़ी का हुनर प्रशंसनीय है। पिछले 30 वर्षों से, किरण नादर एक पेशेवर ब्रिज खिलाड़ी रही है। किरण जी ने दुनिया भर में विभिन्न प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया हैं। वर्ष 2018 में उन्होंने न केवल अंतरराष्ट्रीय भारत ब्रिज संघ (Bharat International Bridge Team) के बाकी सदस्यों के साथ, एशियाई खेलों (Asian Games) से कांस्य पदक जीता, बल्कि फरवरी में, वह गोल्ड कोस्ट (Gold Coast), ऑस्ट्रेलिया (Australia) में 5वीं कॉमनवेल्थ नेशंस ब्रिज चैंपियनशिप (5th Commonwealth Nations Bridge Championship) से भी स्वर्ण पदक लेकर आई है। किरण जी ने, बचपन से ही ब्रिज खेल सीखना प्रारंभ किया था। दुनिया में 6 करोड़ से अधिक लोग ब्रिज खेलते हैं। शतरंज की तरह ही, यह एक दिमागी खेल है। परंतु, इसके प्रशंसकों का मानना है कि, यह खेल शतरंज की तुलना में रणनीति और यहां तक कि युद्ध का भी बेहतर शिक्षक है। क्योंकि, ब्रिज एक संघीय खेल है और खिलाड़ियों में होने वाले संचार की सूक्ष्मताओं पर निर्भर करता है। ब्रिज हमारी बौद्धिक क्षमताओं और सोचने की शक्ति को तेज करता है। यह हमें चीजों को विभिन्न पहलुओं से देखने में भी मदद करता है।
यह एक ऐसा खेल है जो सभी उम्र के लोगों को एकजुट करता है, तथा सामाजिक भावना को बढ़ावा देता है, जो आज कई लोगों में लगभग अनुपस्थित है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह फुटबॉल (Football) को जोर से मारने या क्रिकेट (Cricket) की गेंद को फेंकने की तुलना में अधिक मानसिक उत्तेजना प्रदान करता है। अन्य पत्तों के खेलों के विपरीत, जिनमें हमारा ‘भाग्य’ तय करता है कि, हम जीतेंगे या हारेंगे, ब्रिज एक ऐसा खेल है, जो मौके से अधिक कौशल को प्राथमिकता देता है। अधिकांश कार्ड गेम आपके द्वारा बांटे गए पत्तों के आधार पर जीते और हारे जाते हैं, लेकिन ब्रिज, जीवन की तरह, आपको किसी भी स्थिति से सर्वश्रेष्ठ बनाने का अवसर देता है और कभी-कभी जीतने का भी अवसर देता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bns36vyp
https://tinyurl.com/yckwdjuw
https://tinyurl.com/56nchf22
https://tinyurl.com/4bvjf9k7

चित्र संदर्भ

1. ताश के पत्तों के साथ डुप्लिकेट बोर्ड को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. विश्व यूनिवर्सिटी ब्रिज चैंपियनशिप को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. एक बोली बॉक्स जिसमें नीलामी में खिलाड़ी द्वारा की जा सकने वाली सभी संभावित कॉलें होती हैं। को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. बोली बॉक्स के प्रयोग को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. ब्रिज क्लब को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. खुले में ताश खेलते लोगों को दर्शाता चित्रण (Needpix)



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