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सम्पूर्ण भारत में लगभग 600 मिलियन आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है और कुल आबादी की लगभग 70% की आबादी 40 वर्ष से कम उम्र की हैं। भारतीय आबादी के करीब 40% लोगों की उम्र 13 से 35 साल के बीच है, जो राष्ट्रीय युवा नीति के अनुसार युवाओं के रूप में परिभाषित होती है। युवाओं की इतनी बड़ी आबादी भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में भी असाधारण है। अगर यह जनसांख्यिकीय विस्फोट को ठीक से रोका नहीं किया जाता है तो इसका परिणाम भारत में जनसांख्यिकीय आपदा के रूप में बरप सकता है। परिणामों में यह भी देखा जा सकेगा कि युवा अपने सही रास्ते पर नहीं होंगे। इसके अलावा, अगर हम देश की औसत उम्र और हमारे नेताओं की औसत उम्र को देखते हैं, तो यह स्पष्ट है कि देश की औसत आयु 25 वर्ष है जबकि हमारे कैबिनेट मंत्री की औसत आयु 65 वर्ष है। इसलिए उम्र में एक अंतर मौजूद है जो विचारों के बीच अंतर को जन्म देता है। भारत में यह अंतर किसी भी अन्य देश में अंतराल की तुलना में अधिक व्यापक है, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में अंतर 23 साल का है, जबकि जर्मनी में अंतर 10 वर्षों से कम है। इतिहास से पता चलता है कि ऐसी परिस्थिति में जहां इस तरह के व्यापक अंतर मौजूद है और अधिकांश आबादी युवाओं से मिलती है तो यह निश्चित रूप से देश में एक या एक से अधिक राजनैतिक गतिविधियों की ओर ले जाता है। यह अमेरिका में नागरिक अधिकारों के आंदोलन और यौन क्रांति के समय देखा गया था जो अमेरिका के बच्चे की पीढ़ी की पीढ़ियों के दौरान हुआ था, जब 1946 और 1964 के बीच पैदा हुए 79 लाख लोग थे। यहां तक कि अगर आप भारत के इतिहास की जांच करते हैं तो यह भी स्पष्ट है कि युवा एक बड़ा बदलाव ला सकता है लगभग सभी हमारे स्वतंत्रता सेनानी युवा थे तथा जब उन्होंने आजादी के लिए संघर्ष शुरू किया, और इसके परिणामस्वरूप हमारे देश की स्वतंत्रता हुई। लेकिन आज के युवाओं के बीच की विडम्बना कहीं न कहीं हताशा और उत्साह की कमी के कारण बढ़ रहा है। कारण प्रतिस्पर्धा, बेरोजगारी, नौकरी कौशल और कौशल आधारित नौकरी की कमी है। वर्तमान में भारतीय युवा नौकरी लिए प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा व दबाव का सामना कर रहे हैं। आने वाले दशक में, यह उम्मीद की जाती है कि भारतीय श्रम बल प्रति वर्ष 8 मिलियन से भी ज्यादा बढ़ेगा। अधिक से अधिक युवा श्रम बाजार में प्रवेश करेंगे इसलिए नीति निर्माताओं के सामने असली चुनौती शिक्षित कर्मचारियों के लिए बाजार में पर्याप्त रोजगार पैदा करना है ताकि युवा और राष्ट्र को निर्देशित किया जा सके। इसी प्रकार से यदि देखा जाये तो जौनपुर की कुल आबादी सन् 2011 की जनगणना में 45 लाख से ज्यादा की थी, यदि जनसंख्या बढोत्तरी के प्रतिशत को अब देखा जाये तो यह पता चलता है कि यहां की आबादी 50लाख का कांटा छू ली है जिसका सीधा तात्पर्य है कि नौकरी के लिये जिले से ज्यादा बच्चे निकलेंगे जो की एक चिंता का विषय है। ज्यादा जनसंख्या का तात्पर्य है यहाँ पर शिक्षा के स्तर पर विचार करने की आवश्यकता व बेहतर अस्पतालों की आवश्यकता, भोजन आपूर्ती आदि कि समस्या। जौनपुर ही नही सम्पूर्ण भारत में यह समस्या सुरसा की तरह मुह फैला कर बैठी है। शिक्षा और सही क्षेत्र की शिक्षा तथा रोजगार का निर्माण ही वर्तमान युवाओं की समस्या का निवारण कर सकती है। 1. प्रॉब्लम फेस्ड बाय युथ इन इंडिया, रमनदीप कौर
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