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हमारे देश में रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ के तहत कुछ रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण व सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। अभी 6 अगस्त को, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने रामपुर रेलवे स्टेशन तथा इस योजना का ऑनलाइन शिलान्यास किया है। इसी योजना के तहत हमारे शहर जौनपुर में तीन रेलवे स्टेशनों, अर्थात जौनपुर जंक्शन, शाहगंज जंक्शन और जंघई जंक्शन का भी कायाकल्प होगा।
रामपुर रेलवे स्टेशन के साथ ही, देश के कुल 507 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण व सौंदर्यीकरण होने वाला हैं। इस योजना के तहत यात्रियों की स्टेशन तक सुलभ पहुंच तथा स्वच्छता, अच्छा परिसंचरण क्षेत्र, प्रतीक्षालय, शौचालय, लिफ्ट(Lift), एस्केलेटर(Escalator), मुफ्त वाईफाई (WiFi) एवं स्वच्छ जल जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
चूंकि अब हमारे जौनपुर रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो रहा है, आइए, हम इस रेलवे स्टेशन के ब्रिटिश राज काल के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं।
जौनपुर जंक्शन स्टेशन प्रतिदिन 20,000 से अधिक यात्रियों और 60 से अधिक ट्रेनों को सेवा प्रदान करता है। यह स्टेशन उत्तर रेलवे क्षेत्र के लखनऊ रेलवे मंडल और आंशिक रूप से, उत्तर पूर्वी रेलवे क्षेत्र के वाराणसी रेलवे मंडल के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं।जौनपुर जंक्शन स्टेशन पूर्वोत्तर जौनपुर में स्थित है।
जौनपुर जंक्शन को भंडारी रेलवे स्टेशन भी कहा जाता है। यह स्टेशन जौनपुर-अयोध्या के माध्यम से वाराणसी-लखनऊ रेलवे लाइन का हिस्सा है।यह इलाहाबाद-जौनपुर रेलवे लाइन और औनरिहार-केराकत-जौनपुर रेलवे लाइन का भी हिस्सा है। उत्तर रेलवे में यह स्टेशन आदर्श श्रेणी का स्टेशन है। इसके निकटवर्ती स्टेशनों में जौनपुर सिटी(Jaunpur City)और जाफराबाद जंक्शन शामिल हैं।
अवध और रोहिलखंड रेलवे(Oudh & Rohilkhand Railway) ने 1872 में वाराणसी से लखनऊ तक 5 फीट 6 इंच चौड़ी रेलवे लाइन बिछाई थी। इस लाइन को फैजाबाद लूप के साथ,फैजाबाद तक बढ़ाया गया था। फिर हमारे जौनपुर जंक्शन का निर्माण किया गया।इसके पश्चात,वर्ष 1905 में इलाहाबाद-फैजाबाद रेलवे लाइन का भी निर्माण किया गया।
अवध और रोहिलखंड रेलवे उत्तर भारत में, गंगा नदी के उत्तर में, बनारस से शुरू होकर और दिल्ली तक फैला हुआ एक व्यापक रेलवे नेटवर्क था। इस रेलवे का गठन 1872 में इंडियन ब्रांच रेलवे कंपनी (Indian Branch Railway Company) की संपत्ति और सरकारी गारंटी से किया गया था। इसका मुख्यालय लखनऊ शहर में था। इस रेलवे मंडल ने वर्ष 1872 में लखनऊ–हरदोई, लखनऊ–बाराबंकी और मुरादाबाद–चंदौसी की रेलवे लाइनें बनाई तथा मुरादाबाद–चंदौसी लाइन को 1873 में बरेली तक बढ़ाया।
1 अप्रैल 1872 को बुढ़वल–बहरामघाट की चौड़ी एवं 4 मील लंबी रेलवे लाइन खोली गई थी। इसे अवध और रोहिलखंड रेलवे की बहरामघाट शाखा के हिस्से के रूप में खोला गया था। हालांकि, 1943 के आसपास यह लाइन बंद पड़ गई। इसके साथ ही, उसी दिन बहरामघाट शाखा के हिस्से के रूप में बुढ़वल-बाराबंकी की संकरी एवं 17 मील लंबी लाइन खोली गई थी। मिश्रित पटरी में परिवर्तित होने पर, यह संकरी लाइन कानपुर-बुढ़वल रेलवे का हिस्सा बन गई। इस लाइन को भी अवध और रोहिलखंड रेलवे के हिस्से के रूप में प्रबंधित किया गया था।
अवध और रोहिलखंड रेलवे ने 1883 में गंगा पर डफ़रिन ब्रिज (Dufferin Bridge) का निर्माण किया। साथ ही, इसकी लाइन मुगलसराय में पूर्व रेलवे की लाइन से जुड़ी थी। 1881-86 में इसने मुख्य लाइन को मुरादाबाद से सहारनपुर तक बढ़ाया और 1883 में लखसर से हरिद्वार तक एक अन्य शाखा लाइन का निर्माण किया गया। जबकि, लखनऊ-रायबरेली लाइन का काम 1893 में पूरा हुआ। 1888 में, भारत सरकार ने अवध और रोहिलखंड रेलवे को अपने अधिकार में ले लिया और इसे राज्य रेलवे बना दिया।
अवध और रोहिलखंड रेलवे की मुख्य लाइन, वाराणसी से लखनऊ, हरदोई, बरेली, चंदौसी और मुरादाबाद होते हुए सहारनपुर तक जाती थी। 1894 में रामपुर के माध्यम से बरेली-मुरादाबाद संयोजक लाइन के खुलने के साथ, मुख्य लाइन की दूरी कम हो गई। तब, चंदौसी से होकर जाने वाले मार्ग को चंदौसी कॉर्ड के रूप में जाना जाने लगा। एक अन्य शाखा लाइन इसे अलीगढ़ से जोड़ती थी। गाजियाबाद-मुरादाबाद संयोजक लाइन 1898 में स्थापित की गई थी। रायबरेली के माध्यम से वाराणसी–लखनऊ संयोजक लाइन ने मुख्य लाइन की दूरी और कम कर दी।
बाद में, 1 जुलाई 1925 को अवध और रोहिलखंड रेलवे का पूर्व भारतीय रेलवे में विलय कर दिया गया। लेकिन, कानपुर-बुढ़वल रेलवे के इस खंड पर बंगाल और उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा काम किया गया और 1 जनवरी 1943 को इसे अवध और तिरहुत रेलवे में स्थानांतरित कर दिया गया। 15 मार्च से 1 अप्रैल 1899 के बीच, 2 मील लंबी एवं संकरी लाइन द्वारा बनारस कैंट को बनारस शहर से जोड़ा गया था। इस लाइन का निर्माण, अवध और रोहिलखंड रेलवे की बनारस सिटी शाखा के रूप में किया गया था।
फिर, अवध और रोहिलखंड रेलवे को 1 जुलाई 1925 को भारतीय पूर्व रेलवे में विलीन कर लिया गया।परंतु, इस लाइन का काम बंगाल और उत्तर पश्चिम रेलवे एवं उनके उत्तराधिकारियों द्वारा शुरू किया गया था।और, 27 फरवरी 1953 को इसे उत्तर पूर्वी रेलवे में स्थानांतरित कर दिया गया।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2s3vxysp
https://tinyurl.com/4xvu3kmu
https://tinyurl.com/nhce5z7s
https://tinyurl.com/bdfsn8sf
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर जंक्शन और रोहिलखंड रेलवे के लोगो को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. जौनपुर रेलवे स्टेशन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. अवध और रोहिलखंड रेलवे को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. रोहिलखंड और कुमाऊ रेलवे के लोगो को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. एक पुरानी खड़ी रेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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