Post Viewership from Post Date to 09-Sep-2023
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1822 579 2401

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारत की पंचतंत्र कथाएं, कैसे बन गईं, यूनान में ईसप दंतकथाएं?

जौनपुर

 09-08-2023 09:42 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

भारतीय संस्कृति की संपन्नता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि, “हमारे पूर्वजों ने बेजुबान जानवरों को भी जुबान दे दी।” और न केवल जुबान दी बल्कि इन जानवरों के द्वारा बोले गए एक-एक शब्द और इनके द्वारा किये गए एक-एक कर्म ने इंसानों को इंसानियत की राह भी दिखाई। आधुनिक समय में इंटरनेट और यूट्यूब (Internet And Youtube) पर मौजूद, भारी भरकम ज्ञान भी जो न कर सका वो कारनामा भारतीय संस्कृति में छोटी-छोटी पंचतंत्र की कहानियों ने कर दिखाया। और अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण पंचतंत्र की कहानियों को न केवल भारत बल्कि प्राचीन यूनानी दंतकथाओं में भी महत्वपूर्ण स्थान मिला। पंचतंत्र, भारत की पशु प्रेरित कहानियों का एक प्राचीन संग्रह है, जिसे पद्य और गद्य दोनों में लिखा गया है। इस संग्रह में छोटी-छोटी कहानियां एक लंबी कहानी में निहित हैं। कई जानकार मानते हैं कि इसका इतिहास लगभग 200 ईसा पूर्व पुराना है, लेकिन मूल कहानियाँ इससे भी पुरानी हो सकती हैं। हमें अच्छे और बुरे गुणों के बारे में सिखाने के लिए इन कहानियों में उन जानवरों का उपयोग किया गया, जो इंसानों की तरह व्यवहार करते हैं। कहानियाँ तीन युवा राजकुमारों को हिंदू सिद्धांतों पर आधारित महत्वपूर्ण जीवन सबक सिखाने के लिए लिखी गई हैं। पंचतंत्र के पाँच भाग हैं। प्रत्येक भाग की एक मुख्य कहानी है जो अन्य कहानियों को अपने अंदर समेटे हुए है।
स्पष्ट तौर पर हम नहीं जानते कि इसे किसने लिखा है, लेकिन जानकार मानते हैं कि इसके लेखक विष्णु शर्मा थे। यह भारत में सबसे अधिक अनुवादित पाठ्यों में से एक है और इसकी कहानियाँ दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध हैं। अलग-अलग जगहों पर लोगों ने इन कहानियों को अलग-अलग नाम दिए हैं। भारत में, यह कई भाषाओं में उपलब्ध है, और दुनिया भर में 50 से अधिक भाषाओं में 200 से अधिक संस्करण हैं। समय के साथ पंचतंत्र की रोचक कहानियाँ ग्रीस (यूनान) , लैटिन देशों, स्पेन, इटली, जर्मनी और अन्य स्थानों तक फैल गईं। भारत में, इन्हे कई बार बदला गया और दोबारा लिखा गया। ये कहानियाँ भारतीयों के बीच खूब सराही गई और ये हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई । भारत के बाहर किसी भाषा में, पहली बार इसका अनुवाद 550 ई.पू. के आसपास मध्य फारसी नामक भाषा में किया गया था। इसके बाद इसका सिरिएक और अरबी जैसी अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया। नई फ़ारसी, तुर्की और हिब्रू में भी इसके संस्करण मिलते हैं। यूरोप में लोग इसे "द फेबल्स ऑफ बिदपई (The Fables Of Bidpai)" या "द मोरल फिलॉसफी ऑफ डोनी (The Moral Philosophy Of Doni)" जैसे अनुवादों के रूप में जानते हैं। पंचतंत्र की भांति, प्राचीन ग्रीस में ईसप की दंतकथाएं (Aesop's Fables) भी जानवरों के इर्द गिर्द घूमने वाली कहानियों का एक समूह है। इन कहानियों को लिखने वाले लेखक, “ईसप”, बहुत पहले (620 और 564 ईसा पूर्व के बीच) प्राचीन ग्रीस में एक गुलाम और कहानीकार थे। ये कहानियाँ पीढ़ियों से बताई जाती रही हैं और अभी भी विभिन्न तरीकों से बताई जा रही हैं। मूल रूप से, ये कहानियाँ लिखी नहीं गई बल्कि बातचीत के माध्यम से साझा की गईं। ईसप के बाद लोगों को इन सभी कहानियों को इकट्ठा करने और उनका संग्रह बनाकर लिखने में लगभग 300 साल लग गए। ईसप के संग्रह में कहानियां जोड़ने की प्रक्रिया समय के साथ भी जारी रही। इनमें से कुछ कहानियाँ मध्य युग के अंत तक भी ज्ञात नहीं थीं, और कुछ यूरोप के बाहर से आई थीं।
लोगों ने इन कहानियों को लैटिन और ग्रीक जैसी भाषाओं में लिखा और इन्हें लिखित पांडुलिपियों के माध्यम से फैलाया गया। सबसे पहले, ये कहानियाँ वयस्कों के लिए हुआ करती थीं और धर्म, समाज और राजनीति से सम्बंधित मूल्यों के बारे में बात करती थीं। इन्होने लोगों को नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया। बाद में, इनका उपयोग बच्चों को अच्छे मूल्य सिखाने के लिए किया जाने लगा। ईसप की कुछ कहानियाँ भारत की पंचतंत्र के समान हैं। कई विद्वान मानते हैं कि यूनानियों ने ये कहानियाँ भारतीयों (पंचतंत्र) से उधार ली हैं। हालांकि कई विशेषज्ञ इस बात से असहमत नजर आते हैं, लेकिन भारतीय कहानियाँ ग्रीक कहानियों से प्रभावित हो सकती हैं। माना जाता है कि ईसप और बुद्ध, लगभग एक ही समय काल में रहते थे, और ईसप के चले जाने के कई वर्षों बाद तक उनकी कहानियां नहीं लिखी गईं। आज, अधिकांश विशेषज्ञ दृढ़ता से यह नहीं कहेंगे कि ये कहानियाँ वास्तव में कहाँ से आईं। हालांकि उस दौर में भी ऐसे कई माध्यम थे जिनके माध्यम से भारत की कहानियां पृथ्वी पर दूसरे क्षेत्रों में फैलाई जा सकती थी। उदाहरण के तौर पर सिल्क रोड (Silk Road) पुराने समय के सुपर हाईवे (Superhighway) की तरह थे जहां विभिन्न स्थानों के लोग मिल सकते थे और कहानियां साझा कर सकते थे। भिक्षुओं, विद्वानों, यात्रियों और व्यापारियों ने कहानियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए इन्ही मार्गों का उपयोग किया। कुछ काबिल और उत्सुक लोगों ने इन कहानियों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया। चूंकि कागज नाजुक होता है और आसानी से बर्बाद हो सकता है, इसलिए हम दीवारों पर बने पुराने चित्रों से भी इन कहानियों के बारे में जान सकते हैं। आज के ताजीकिस्तान और प्राचीन रेशम मार्ग पर स्थित पंजाकेंट (Panjakent) नामक स्थान पर हमें दीवारों पर बनी प्राचीन पेंटिंग भी मिलती है जिनमें लगभग 42 अलग-अलग कहानियों की तस्वीरें दिखाई देती हैं। इन चित्रों में चीन, भारत और यहां तक कि ग्रीस और रोम जैसी जगहों की विभिन्न शैलियों का मिश्रण नजर आता है। इन दीवारों पर कुछ कहानियाँ ईसप की दंतकथाएं भी थीं। पंजाकेंट भित्तिचित्रों में कुछ पंचतंत्र कहानियां भी दिखाई गई हैं। पंजाकेंट में भित्तिचित्र हमें इस बारे में बहुत कुछ बताते हैं कि कैसे लोगों ने सिल्क रोड पर कहानियाँ साझा कीं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2s3bdv7f
https://tinyurl.com/57e5awks
https://tinyurl.com/4r4hud2u
https://tinyurl.com/ydenesnz

चित्र संदर्भ
1. पंचतंत्र की कथाओं और यूनान में ईसप दंतकथाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मल्लिकरजुन मंदिर में 8 वीं शताब्दी के पंचतंत्र अवशेषों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ईसप दंतकथाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. इटली के पेरुगिया में 13 वीं शताब्दी की फोंटाना मैगियोर में दंतकथा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. आधुनिक समय की सीमाओं के साथ एक ग्लोब पर सिल्क रोड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id