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स्थानीय उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देना क्यों आवश्यक है? यह सवाल आर्थिक दृष्टि से जौनपुर के लिए महत्वपूर्ण है। हमारा जौनपुर भारत के 768 जिलों में से 36वां सबसे बड़ा जिला है, हालांकि यहां की आबादी बहुत कम है जिस कारण इसे एक छोटा शहर माना जाता है। चिंता की बात यह है कि अगर भारत और उत्तर प्रदेश अपनी जीडीपी वृद्धि को केवल बड़े शहरों और महानगरों पर केंद्रित कर दें, तो परिणामस्वरूप हमारे जैसे ये छोटे शहर, अहम् निवेश के अवसरों से चूक जाते हैं। हालांकि, आज ऐसे कई वैकल्पिक आर्थिक मॉडल भी हैं जो स्थानीय विकास को प्राथमिकता देते हैं। आइए इन विकल्पों को समझने का प्रयास करें।
आज पूरी दुनिया 'गोइंग लोकल (Going Local)' यानी "स्थानीय चुनो" नामक एक आंदोलन देख रही है, जहां लोग छोटे पैमाने के व्यवसायों और समुदाय-आधारित गतिविधियों की ओर रुख कर रहे हैं। इसका उद्देश्य बड़े निगमों से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण हासिल करना और टिकाऊ तथा स्थानीय विकल्प तैयार करना है।
स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में हो रहे इस बदलाव के कई कारण हैं:
सबसे पहले, वैश्विक निगमों और बड़े बैंकों ने अभी तक बहुत अधिक शक्ति प्राप्त कर ली है, जिससे वित्तीय संकट पैदा हो गया है और सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
दूसरा, जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) पर निर्भर वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था का पारिस्थितिक प्रभाव (ecological effect) स्पष्ट हो रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए स्थानीय उत्पादन और वितरण की आवश्यकता बढ़ रही है।
तीसरा कारण यह है कि बहुत से लोग, अधिक सहकारी और समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण (Community-Centred Approach) की लालसा रखते हैं, और ऐसी प्रणाली से असंतुष्ट हैं जो उपभोक्तावाद और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है ।
"स्थानीय चुनो" आंदोलन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत बदलाव जरूरी हैं। वर्तमान में, सरकारी नीतियां छोटे पैमाने के सामुदायिक उद्यमों की तुलना में बड़े व्यवसायों का पक्ष लेती हैं, और अंतर्राष्ट्रीय समझौते स्थानीय विकास की तुलना में मुक्त व्यापार (free trade) को प्राथमिकता दे रही हैं।
स्थानीय जरूरतों पर केंद्रित एक अधिक विविध वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए, हमें स्थानीय सशक्तिकरण का समर्थन करने वाले नीतिगत बदलावों की मांग करने वाले एक शक्तिशाली राजनीतिक आंदोलन की आवश्यकता है। स्थानीय उत्पादन और सेवाओं से स्थानीय अर्थव्यवस्था में रोजगार और समानता बढ़ेगी, जिसके परिणामस्वरूप अधिक विकास होगा। वैश्विक व्यवसायों में बदलाव के बावजूद, स्थानीय उद्योगों (खासकर सेवाओं और गैर-टिकाऊ वस्तुओं) के लिए संभावनाएं बढ़ रही हैं। कनाडा (Canada) में फ़ोगो द्वीप समुदाय (Fogo Island Community) इस बात के शानदार उदाहरण हैं कि कैसे स्थानीय नियंत्रण और भागीदारी अर्थव्यवस्थाओं को बदल सकती है। दरअसल फ़ोगो द्वीप में लोगों की आजीविका बाहरी औद्योगीकरण से प्रभावित हो रही थी। इसलिए अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए, वहां के मछुआरों ने एक सहकारी समिति का आयोजन किया, जो आगे चलकर उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई।
उत्पादों और सेवाओं का स्थानीयकरण, स्थानीय स्वामित्व वाले व्यवसायों का विस्तार करके और आर्थिक गुणक प्रभाव (Economic Multiplier Effect) को बढ़ाकर आय समानता को बढ़ावा दे सकता है, जिससे पूरे समुदाय को लाभ होगा। स्थानीय सरकारें और वित्तीय संस्थान स्थानीय निवेश को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहित करने से स्थानीय मांग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पूरा किया जा सकता है। स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकारी सहायता फायदेमंद तो है लेकिन पर्याप्त नहीं है। निजी पहल, जैसे उद्यम "परागणकर्ता", स्थानीय आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यक्तियों को प्रशिक्षण और शिक्षित करने में भी मदद कर सकते हैं।
हमारा जौनपुर जिला भारत के उत्तर प्रदेश (यूपी) के 75 जिलों में से एक है। आकार और जनसंख्या की दृष्टि से छोटा होने कारणयह शहर राज्य की आर्थिक वृद्धि में कम योगदान देता है! जौनपुर शहर यूपी के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (State Domestic Product (GSDP) में 1% (12,243 करोड़ रुपये) से भी कम का योगदान देता है। जौनपुर जिला वाराणसी मंडल के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है। यह 24.240N से 26.120N अक्षांश और 82.70E से 83.50E देशांतर के बीच के क्षेत्र को कवर करता है। जिले की ऊंचाई औसत समुद्र तल से 261 फीट से 290 फीट तक है। उथली नदी घाटियों के साथ यहां का अधिकांश भूभाग समतल है। क्षेत्र की मुख्य नदियाँ गोमती और सई हैं, और यहाँ पर वरुणा, बसुही, पिली, मामूर और गंगी जैसी छोटी नदियाँ भी हैं। जिले को गोमती और बसुही नदियों द्वारा लगभग चार बराबर भागों में विभाजित किया गया है। जौनपुर में मिट्टी के प्रकार मुख्यतः रेतीली, दोमट और चिकनी मिट्टी हैं। यह क्षेत्र बाढ़ से ग्रस्त है और यहां खनिज संसाधन भी सीमित हैं। कुछ स्थानों पर कुछ चट्टानों की खुदाई की जाती है और उन्हें जलाकर चूना तैयार किया जाता है, जिसका उपयोग निर्माण कार्य में किया जाता है।
जिले में तापमान न्यूनतम 4.3°C से अधिकतम 44.6°C तक रहता है। औसत वार्षिक वर्षा 987 मिमी है। जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4038 वर्ग किमी है। दुर्भाग्य से हमारे जौनपुर जिले में उद्योगों की भारी कमी है, इसलिए जौनपुर में खेती-किसानी करना ही एकमात्र विकल्प है। हालाँकि, वाराणसी-जौनपुर राजमार्ग पर कुछ औद्योगिक विकास जरूर हुए हैं। उदाहरण के लिए, करंजा कला के पास एक कामकाजी कपास मिल है! इसके अलावा सताहरिया में राजा फ्लोर मिल (Raja Flour Mill,), पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स (PepsiCo India Holdings), हॉकिन्स कुकर्स लिमिटेड (Hawkins Cookers Limited), अमित ऑयल एंड वेजिटेबल (Amit Oil & Vegetable), चौधराना स्टील लिमिटेड और सौर्या एल्युमीनियम (Chaudharana Steel Limited and Saurya Aluminum) जैसी लगभग 85 औद्योगिक इकाइयाँ भी हमारी अर्थव्यवस्था का अंग हैं । .
संदर्भ
https://tinyurl.com/bdz6ejm4
https://tinyurl.com/4d3kuddx
https://tinyurl.com/mr4dnnr9
https://tinyurl.com/bs9zar7r
https://tinyurl.com/5aswuhyn
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर जंक्शन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. कारखानों में काम कर रहे भारतीय कर्मचारियों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. एक फैक्ट्री के भीतर के दृश्य को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. लोहे की फैक्ट्री को दर्शाता चित्रण (flickr)
5. जौनपुर के शाही किले को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. फैक्ट्री एरिया को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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