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हिंदी भाषा को वेब पर प्रस्तुत करना ही,वर्ल्ड वाइड वेब दिवस का है सही जश्न!

जौनपुर

 01-08-2023 10:30 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

आज का विशेष दिन यानी 1 अगस्त, दुनिया भर में वर्ल्ड वाइड वेब(World Wide Web) दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह एक वार्षिक उत्सव ही है, जो आधुनिक दुनिया में वर्ल्ड वाइड वेब द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का भी जश्न मनाता है। वर्ल्ड वाइड वेब को वेब के रूप में भी जाना जाता है। वेब के कारण हीइंटरनेट पर ऑनलाइन संसाधनों तक हमारी पहुंच संभव बन जाती है। वेब का आविष्कार अंग्रेजी कंप्यूटर वैज्ञानिक(Computer Scientist) टिम बर्नर्स-ली(Tim Berners-Lee) ने किया था। तब वह यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (European Organization for Nuclear Research (French:Conseil Européen pour la Recherche Nucléaire), जिसे सीईआरएन(CERN)या सर्न के नाम से भी जाना जाता है, में कार्यरत थे। कई लोग वेब और इन्टरनेट (Internet) को एक ही मानते हैं।आम तौर पर लोग भी वेब और इन्टरनेट का उपयोग करने के इतने आदि हो चुके हैं, कि हमारे मन में भी ये प्रश्न नहीं उठता कि,क्या इंटरनेट ही वेब है? इसका उत्तर है ‘नहीं’। ‘इंटरनेट’ कंप्यूटरों के बीच एक कनेक्शन(Connection)अथवा संयोजन होता है।जबकि, वेब सूचनाओं का एक संग्रह होता है,जहां इंटरनेट के माध्यम से पहुंचा जाता है।
वर्तमान समय में, दुनिया में इंटरनेट और वेब का तेजी से विकास हो रहा है। इस विकास के साथ, वर्ल्ड वाइड वेब विभिन्न भाषाओं में वेब पेजों(Web Page) को प्रदान कर रहा है, क्योंकि विभिन्न भाषिक लोग व्यापक तौर पर इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। उपयोग करने वाला (यूजर), सर्चइंजन(Search Engine)के माध्यम से अपनी जरूरत की सामग्री तलाश करता है।सर्च इंजन एक ऐसा प्रोग्राम है, जो इन्टरनेट के डेटाबेस से यूजर के सवाल को खोजता है। उपयोगकर्ता कीवर्ड्स (Keywords) के माध्यम से किसी अपनी ज़रूरत की सामग्री की सर्च करता है, और उससे संबंधित जो जानकारी मिलती है, सर्चइंजन उसको सर्च रिजल्ट (SerachResult) पेज में दिखाता है।जहां पर हम कोई ऑनलाइन सर्च करते हैं, ऐसे सर्च इंजनकिसी भी विशिष्ट भाषा में संग्रहीत जानकारी खोजने में सक्षम होने चाहिए। आजकल, मूल उपयोगकर्ता वेब पर किसी भी जानकारी की तलाश में रहते हैं। इस कारण, मूल उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने और उन्हें उनकी मूल भाषाओं में जानकारी प्रदान करने हेतु, प्रभावी सर्चइंजनों की आवश्यकता होती है। भारत की अधिकांश आबादी, अपनी प्रथम भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग करती है। फिर भी, हिंदी भाषा में वेब सूचना की प्राप्ति संतोषजनक स्थिति में नहीं है। विश्व में हिंदी की व्यवहारिक और तकनीकी कारकों के कारण उपस्थिति आज भी सीमित और अस्थायी है। कुछ तकनीकी असफलताओं के अलावा, हिंदी भाषा के सर्चइंजनों को शब्द साधन, ध्‍वनिशास्‍त्र और शब्द बोध असंबद्धता आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं से सर्च इंजनों का प्रदर्शन काफ़ी प्रभावित होता है।
दुनिया की विभिन्न भाषाओं में, वेब पर कंटेंट(Content) प्रदान किया जाता है। अतः कुछ ऐसे उपकरण का होना महत्वपूर्ण हो गया है, जो विभिन्न भाषाओं में लिखे गए दस्तावेज़ों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय भाषाओं के संदर्भ में, हिंदी भाषा पर अधिक जोर दिया गया है, जिससे संतोषजनक संख्या में हिंदी दस्तावेजों का विकास हुआ है।
दरअसल, दुनिया में बोले जाने वालीं100 प्रमुख भाषाओं में, अंग्रेजी शीर्ष स्थान पर है, जबकि, हिंदी पांचवें स्थान पर है। साथ ही, हिंदी भाषा में जानकारी चाहने वाले उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है, जिससे वेब पर हिंदी सूचना प्राप्त करने की मांग बढ़ गई है। भारत में इंटरनेट की सीमित वृद्धि के पीछे, भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में वेब का अल्प विकास एक महत्वपूर्ण कारण है। भारत की लगभग 30% जनसंख्या अन्य भाषाएं जानने के साथ हिंदी भाषिक भी हैं। हिंदी दर्जनों प्रमुख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियो(Radio) और टेलीविजन स्टेशनों(Television stations) आदि की प्रमुख भाषा है। इससे हिंदी भाषा में वेब के संचालन हेतु, शक्तिशाली उपकरणों के विकास की आवश्यकता उत्पन्न होती है।
दिल्ली स्थित एक शोध संगठन, जक्स्ट कंसल्ट(Juxt Consult) द्वारा हाल ही में किए गए, एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि, भारत में मौजूदा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से 44% उपयोगकर्ता इंटरनेट पर अंग्रेजी की तुलना में हिंदी भाषा पसंद करते हैं। जबकि, 25% मौजूदा इंटरनेट उपयोगकर्ता अन्य भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं को पसंद करते हैं। अतः गूगल(Google), याहू(Yahoo) और सिफी(Sify) जैसी कई बड़ी कंपनियां, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुसंधान को लेकर कदम उठा रही हैं।
दुनिया में बोली जाने वाली शीर्ष भाषाओं में, कुछ भारतीय भाषाओं का स्थान शीर्ष 40 में आता है। लेकिन, जिन भाषाओं का इंटरनेट पर उपयोग होता हैं, उनमें भारतीय भाषाओं की गिनती बहुत पीछे हैं।
आइए, विश्व में बोली जाने वाली भारतीय भाषाओं का शीर्ष स्थान देखते हैं– दूसरी ओर एक अध्ययन में दिखाया गया है कि, 0.1% से भी कम वेबसाइट हिंदी भाषा का इस्तेमाल करती है। आप वह रिपोर्ट दी गई लिंक के माध्यम से देख सकते हैं।https://tinyurl.com/2s3bmz6j
चीनी(Chinese) और हिंदी दुनिया में क्रमशः दूसरी और तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाएं हैं। लेकिन, वे क्रमशः केवल 1.4% और 0.07% डोमेन(Domain) पर ही हैं। ऐसे में,करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली बंगाली और उर्दू जैसी कुछ भाषाओं को ऑनलाइन खोजना लगभग असंभव ही है।
2003 की शुरुआत में ही यूनेस्को -संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन(UNESCO-United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से बोली जाने वाली मानव भाषाओं की पूरी श्रृंखला में, ऑनलाइन कंटेंट बनाए रखने का आग्रह किया था। परंतु, फिर भी जैसे-जैसे वेब का विस्तार हुआ है, बोली जाने वाली भाषाओं और इंटरनेट पर उपयोग की जाने वाली भाषाओं के बीच अंतर बढ़ता ही गया है। आजकल कुछ अन्य सर्च इंजन, जैसे कि बिंग(Bing) और अल्टाविस्टा(AltaVista) भी विभिन्न भाषाओं में सूचना प्राप्ति का समर्थन करते हैं। हाल ही में, भारत से गुरुजी(Guruji) और रफ़्तार(Raftaar) जैसे हिंदी सर्च इंजन, हिंदी भाषा में जानकारी प्रदान करने के लिए उभरे हैं। हालांकि, ये भारतीय सर्च इंजन अंतरराष्ट्रीय सर्च इंजनों की तुलना में फिलहाल नए हैं। परंतु, हम उम्मीद कर सकते हैं कि, कुछ ही समय में हमारी हिंदी भी वेबसाइट और डोमेन के साथ ही इन्टरनेट कि दुनिया में अपना स्थान प्राप्त कर लेगी।

संदर्भ

https://tinyurl.com/35r8xehr
https://tinyurl.com/57bmrmwk
https://tinyurl.com/2s3bmz6j
https://tinyurl.com/nhcpb7bv

चित्र संदर्भ

1. प्रारंग के मुख्य आधिकारिक पृष्ठ को दर्शाता चित्रण (Prarang)
2. भारत में बढ़ते इंटरनेट उपभोक्ताओं को दर्शाता चित्रण (google)
3. विविध भषाई लोगों को दर्शाता चित्रण (Creazilla)
4. भारत में हिंदी बोलियों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

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