Post Viewership from Post Date to 24-Aug-2023
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3296 624 3920

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

दिमाग पढ़ना कोई अलौकिक शक्ति नहीं बल्कि कठिन प्रशिक्षण और अभ्यास का परिणाम है

जौनपुर

 18-07-2023 09:43 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

सोशल मीडिया (Social Media) के इस दौर में आपने भी कोई न कोई ऐसा वीडियो अवश्य देखा होगा, जिसमें एक तथाकथिक जादूगर या मनोवादी (Mentalist) किसी व्यक्ति के दिमाग को पढ़कर यह बता रहा होता है कि उस व्यक्ति के दिमाग में चल क्या रहा है! दिमाग पढ़ने की यह कला हाल ही में खूब सुर्खियां बटोर रही है, इसलिए आज हम यह जानेंगे कि क्या दिमाग को पढ़ने की कला अर्थात माइंड रीडिंग (Mind Reading) के पीछे वाकई में कोई वैज्ञानिक आधार है? हालांकि कोई भी मनुष्य सीधे तौर पर दूसरों के विचारों को नहीं पढ़ सकता है, लेकिन हम लोगों के शब्दों और शारीरिक भाषा को देखकर उनके विचारों और भावनाओं को समझ जरूर सकते हैं। इसे समानुभूतिपूर्ण सटीकता (Empathic Accuracy) कहा जाता है। भले ही अधिकांश लोग कुछ हद तक दूसरों को समझ सकते हैं, लेकिन ऑटिज्म स्पेक्ट्रम (Autism Spectrum) अर्थात मनोवैज्ञानिक विकारों वाले लोगों की भावनाओं और सामाजिक संकेतों को समझना किसी के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
किसी व्यक्ति में माइंड रीडिंग या दिमाग पढ़ने की क्षमता कई कलाओं को संदर्भित कर सकती है। जैसे:
1. आध्यात्मिक प्रभावों की पहचान: आध्यात्मिक प्रभावों को समझने और उनमें अंतर करने की क्षमता।
2. टेलीपैथी (Telepathy): पांच इंद्रियों का उपयोग किए बिना लोगों के बीच सूचना का हस्तांतरण।
3. मानसिकता प्रदर्शन में टेलीपैथी का भ्रम (Illusion Of Telepathy): जब कलाकार अपने कृत्यों के दौरान मन को पढ़ने का आभास देते हैं।
4. कोल्ड रीडिंग (Cold Reading): मानसिकतावादियों द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीकें, जिनमें वह यह दिखाते हैं कि वे किसी व्यक्ति के बारे में वास्तव में जितना जानते हैं उससे अधिक जानते हैं।
5. हॉट रीडिंग (Hot Reading): माइंड रीडिंग (Mind Reading) के दौरान स्टेज जादूगरों (Stage Magicians) द्वारा उपयोग की जाने वाली एक तकनीक।
6. मस्तिष्क पढ़ना: मानव विचारों की व्याख्या करने के लिए न्यूरोइमेजिंग तकनीकों (Neuroimaging Techniques) का उपयोग।
7. तुरंत निष्कर्ष पर पहुंचना: एक संज्ञानात्मक विकृति, जहां कोई व्यक्ति पर्याप्त सबूत के बिना तुरंत मान लेता है कि वह किसी के विचारों को जानता है। आमतौर पर, मनुष्य के लिए अजनबियों, अपने रिश्तेदारों, दोस्तों या भागीदारों के मन को समझना तो दूर की बात है, वास्तव में अपने स्वयं के विचारों और प्रेरणाओं को समझना भी काफी कठिन हो सकता है। विज्ञान कथाओं (Science Fiction) में, माइंड रीडिंग का उपयोग अक्सर बुरे उद्देश्यों के लिए ही किया जाता है। वास्तव में, दूसरे क्या सोचते हैं और महसूस करते हैं इसकी स्पष्ट समझ होने से हमें संघर्षों और गलत संचार से बचने में मदद मिलती है, साथ ही इससे हमारे व्यक्तिगत रिश्ते मजबूत होते हैं।
जब हम किसी व्यक्ति की मनोदशा या विचारों को समझने की कोशिश करते हैं, तो इसके लिए उनकी शारीरिक भाषा, आवाज के लहजे और शब्दों के चयन पर ध्यान देना आमतौर पर सबसे अच्छा तरीका माना जाताहै। इस सन्दर्भ में समानुभूति (empathy) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। खुद को किसी और के स्थान पर रखने के बाद दूसरे व्यक्ति के परिप्रेक्ष्य को समझने में काफी मदद मिल सकती है, साथ ही उनके विचारों, भावनाओं और कार्यों को समझना आसान हो सकता है। दूसरों की शारीरिक प्रतिक्रियाओं के प्रति जागरूक रहने से हमें उनके बारे में अधिक सटीक निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। जब हम दूसरों को पढ़ने की कोशिश करते हैं तो अक्सर उनके चेहरे की ओर देखते हैं। शोध से पता चला है कि जब लोग खुश होते हैं, तो उनके चेहरे पर उभरी हुई भौहों और ऊपर की ओर मुंह के साथ वी (V) आकार बनता है। दूसरी ओर, जब लोग क्रोधित होते हैं, तो उनके चेहरे नीचे की ओर भौहों और मुंह के साथ एक्स (X) आकार के होते हैं । इस प्रकार चेहरे के भावों के बारे में जागरूक होने से हमें दूसरों से बेहतर ढंग से संवाद करने और दूसरों और खुद को अधिक प्रभावी ढंग से समझने में मदद मिल सकती है। कभी-कभी सामाजिक रूप से कुशल व्यक्ति भी अपने पूर्वाग्रहों, सांस्कृतिक प्रभावों या स्थितिजन्य कारकों के कारण दूसरों की भावनाओं को समझने में गलती कर सकते हैं। इसलिए ‘लोग अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करते हैं और हमारे दिमाग और शरीर की प्रतिक्रिया, दूसरों की भावनाओं, शब्दों और क्रियाओं पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं’, इसकी बेहतर समझ होने से लोगों को पढ़ने की हमारी क्षमता में सुधार हो सकता है। किंतु जैसा कि आज के युग में मनुष्य ने अपनी भावनाओं और उद्देश्यों को छिपाने के तरीके विकसित कर लिए हैं, कई बार ऐसी भी परिस्थितियाँ बन जाती हैं जहाँ दूसरों को समझना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बेहतर अभ्यास के साथ, हम किसी को भी सफलतापूर्वक धोखा दे सकते हैं। इसलिए लोगों को पढ़ने के कौशल में सुधार करने के लिए सचेत रूप से शारीरिक भाषा पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। इस संदर्भ में आँख और मुंह जैसी चेहरे की विशेषताएं भी बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती हैं।
हालांकि माइंड रीडिंग अर्थात दिमाग को पढ़ने की कला के दो घटक - टेलीपैथी और ब्रेन-रीडिंग (Brain Reading) में काफी अंतर है। टेलीपैथी का तात्पर्य पांच इंद्रियों के अलावा अन्य माध्यमों से व्यक्तियों के बीच सूचना का हस्तांतरण है। जबकि ब्रेन-रीडिंग में मानव मस्तिष्क को पढ़ने के लिए न्यूरोइमेजिंग (neuroimaging) तकनीकों का उपयोग किया जाता है। मानसिक विशेषज्ञ अपने प्रदर्शन को और अधिक ठोस बनाने के लिए लोगों की शारीरिक भाषा, दृश्य संकेतों और सूक्ष्म प्रतिक्रियाओं का निरीक्षण करते हैं। इसके लिए वे न्यूरो-भाषाई प्रोग्रामिंग (Neuro-Linguistic Programming (NLP) जैसी तकनीकों का उपयोग करते हैं, जो मस्तिष्क की भाषा और दृश्य संकेतों का अध्ययन करने पर केंद्रित है। प्रश्न पूछकर और कल्पनाओं अर्थात विज़ुअलाइज़ेशन (Visualization) को प्रेरित करके, मानसिकता विशेषज्ञ दर्शकों की शारीरिक भाषा में परिवर्तन को डिकोड (Decode) कर सकते हैं और उनके उत्तरों का अनुमान लगा सकते हैं। मानसिक विशेषज्ञों को शरीर की छोटी से छोटी हरकतों, जैसे कि आंखों की गति, पर भी ध्यान देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जो विभिन्न मानसिक गतिविधियों का संकेत देती हैं। हालांकि, आज भारत में मानसिकतावाद के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन यहां पर यह विज्ञान पश्चिम की तरह उतना लोकप्रिय नहीं है। हालांकि इसके बावजूद माइंडरीडरों अर्थात मानसिकतावादियों की मांग बढ़ रही है। कई मानसिकतावादी अब कार्यशालाओं और ऑनलाइन प्लेटफार्मों (Online Platforms) के माध्यम से दूसरों को मानसिकता को पढ़ने के लिए आवश्यक मूल बातें सिखाने लगे हैं। इसी माइंड रीडिंग के विज्ञान को समझकर दिल्ली के माइंड रीडर (Mind Reader) और जादूगर करण सिंह और भारत के अन्य मानसिकतावादी, आज कई स्वयंभू बाबाओं के दावों को चुनौती दे रहे हैं। इस प्रकार के तथाकथित बाबा, लोगों को पढ़ने वाली चालें और भ्रम दिखाते हैं। साथ ही वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि ये तथाकथित बाबा लोग कोई दिव्य पुरुष नहीं हैं और उनकी क्षमताएं मानसिकता की कला का हिस्सा हैं। वे सीधे-सीधे यह भी कहते हैं कि उनके करतब अलौकिक नहीं हैं बल्कि कठिन प्रशिक्षण और अभ्यास का परिणाम हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mwch7zu6
https://tinyurl.com/bdzb5uvn
https://tinyurl.com/4jyrk9t3

चित्र संदर्भ
1. एक माइंड रीडर को दर्शाता चित्रण (Max Pixel)
2. एक मनोवादी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. टेलीपैथी को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
4. दिमाग में चल रहे विचारों को दर्शाता चित्रण (Needpix)
5. एक मनोवादी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. नेटवर्क विज़ुअलाइज़ेशन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जौनपुर शहर की नींव, गोमती और शारदा जैसी नदियों पर टिकी हुई है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:14 AM


  • रंग वर्णकों से मिलता है फूलों को अपने विकास एवं अस्तित्व के लिए, विशिष्ट रंग
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:11 AM


  • क्या हैं हमारे पड़ोसी लाल ग्रह, मंगल पर, जीवन की संभावनाएँ और इससे जुड़ी चुनौतियाँ ?
    मरुस्थल

     16-09-2024 09:30 AM


  • आइए, जानें महासागरों के बारे में कुछ रोचक बातें
    समुद्र

     15-09-2024 09:22 AM


  • इस हिंदी दिवस पर, जानें हिंदी पर आधारित पहली प्रोग्रामिंग भाषा, कलाम के बारे में
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:17 AM


  • जौनपुर में बिकने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है बी आई एस
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:05 AM


  • जानें कैसे, अम्लीय वर्षा, ताज महल की सुंदरता को कम कर रही है
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:10 AM


  • सुगंध नोट्स, इनके उपपरिवारों और सुगंध चक्र के बारे में जानकर, सही परफ़्यूम का चयन करें
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:12 AM


  • मध्यकाल में, जौनपुर ज़िले में स्थित, ज़फ़राबाद के कागज़ ने हासिल की अपार प्रसिद्धि
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:27 AM


  • पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ खनिजों में से एक है ब्लू जॉन
    खनिज

     09-09-2024 09:34 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id