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मॉनसून विशेष: बदलते ऋतु याद दिलाते कि परिवर्तन है प्रकृति का नियम व् प्रगति का संकेत

जौनपुर

 08-07-2023 09:43 AM
जलवायु व ऋतु

मई और जून की चिलचिलाती गर्मी के बीच हर कोई, चाहे वह मनुष्य हो या पशु, पक्षी, मॉनसून के महीने में होने वाली बारिश का इंतजार करता है। परंपरागत रूप से, मॉनसून मौसमी हवा की धारा होती है, जिसके कारण वर्षा से संबंधित परिवर्तन होते हैं। ‘मॉनसून’ (Monsoon) शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द ‘मौसिम’ (Mauism) से हुई है, जिसका अर्थ, हवा की दिशा का ऋतु के अनुसार परिवर्तन होना है। ऋतुएँ हमें याद दिलाती हैं कि परिवर्तन प्रकृति का नियम और प्रगति का संकेत है। जबकि, सामान्यतः मॉनसून से हमारा अभिप्राय वर्षा ऋतु से होता है। जब भूमि पर हवा का दबाव, निकटतम महासागर पर हवा के दबाव की तुलना में कम और शुष्क होता है, तब मॉनसून घटित होता है। इस असंतुलन के कारण समुद्री हवा की धाराओं की दिशा बदल जाती है और तेज़, बारिश वाली हवाएँ ज़मीन की ओर बहने लगती हैं। आमतौर पर, मॉनसून शब्द का प्रयोग मौसम के अनुसार वर्षा की स्थिति के बदलते स्वरूप को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। इस शब्द का प्रयोग कभी-कभी स्थानीय रूप से भारी लेकिन अल्पकालिक वर्षा का वर्णन करने के लिए भी किया जाता है। विश्व की प्रमुख मॉनसून प्रणालियों में, पश्चिम अफ्रीकी (West African), एशिया–ऑस्ट्रेलियाई (Asia–Australian), उत्तरी अमेरिकी (North American) और दक्षिण अमेरिकी (South American) मॉनसून शामिल हैं। मॉनसून शब्द का प्रयोग पहली बार, अंग्रेजी भाषा में ब्रिटिश भारत और पड़ोसी देशों के दक्षिण-पश्चिम में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली मौसमी हवाओं को संदर्भित करने के लिए किया गया था, जो इस क्षेत्र में भारी वर्षा लाती थीं। अक्सर, मॉनसून हिंद महासागर से घिरे हुए देशों से जुड़ा होता है। इस प्राकृतिक घटना के घटित होने के लिए बड़े भूभाग, हिंद महासागर जैसे पानी के बड़े भंडार और हिमालय जैसी पर्वत श्रृंखलाओं, जो गर्म हवा और नमी को रोक सकती हैं, आदि प्रमुख तत्वों का होना जरूरी होता है। समुद्र के ऊपर की हवा, सघन भूमि सतहों के ऊपर वाली हवा की तुलना में ठंडी होती है। भूमि सतहों के ऊपर वाली हवा तेजी से गर्म होती है, जिसके कारण हवा के कण बिखरते हैं। इस कारण, भूमि पर समुद्र के ऊपर ठंडी हवा के कारण बने उच्च वायु दबाव के सापेक्ष कम वायु दबाव प्रणाली का निर्माण होता है। जब भूमि पर वायुदाब का असंतुलन बहुत अधिक हो जाता है, तो वायु उच्च वायुदाब वाले क्षेत्र अर्थात समुद्र या महासागर से निम्न दबाव वाले क्षेत्र अर्थात भूमि की ओर बहने लगती है। इस प्रकार, समुद्र से ज़मीन की ओर तेज हवाएँ बहती हैं, जिनके साथ समुद्र से भारी मात्रा में नमी आती है और बादल छाए रहते हैं। ये बदलाव मॉनसून के मौसम में प्रभावित क्षेत्रों के समुद्र तट से बहुत दूर प्रदेशों में वर्षा का कारण बनते हैं।
विश्व में भारत, कोस्टा रिका (Costa Rica) और निकारागुआ (Nicaragua) शीर्ष तीन देश है, जहां मॉनसून में बहुत वर्षा होती है।
• भारत (वर्षा: 12-390 इंच प्रति वर्ष) हमारे भारत वर्ष की भूमि लगभग पूरे वर्ष भीषण गर्म तापमान से तपती है। अतः इस विशाल गर्म भूमि की सतह के कारण, भारत में सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक मॉनसून का आगमन होता है। भारत में प्रति वर्ष 390 इंच तक वर्षा होती है। हालांकि, वर्षा के स्वरूप में भारी अंतर विनाशकारी बाढ़ और फसलों के लिए घातक सूखे का कारण बन सकता है।
• कोस्टा रिका (वर्षा: 100-300 इंच प्रति वर्ष) अमेरिकी महाद्वीप के सभी देशों में से, कोस्टा रिका देश में मॉनसून की सबसे अधिक आवृत्ति होती है। इस देश में प्रत्येक वर्ष 100 से 300 इंच तक वर्षा होती है। यहां बरसात का मौसम लंबा होता है, जो मई महीने से लेकर दिसंबर के मध्य तक चलता है, जिसमें सितंबर से नवंबर महीने के दौरान महत्वपूर्ण वृद्धि होती है।
• निकारागुआ (वर्षा:100-250 इंचप्रति वर्ष) दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के संकीर्ण भाग पर स्थित निकारागुआ देश में भी मॉनसून का मौसम मजबूत बना रहता है। इस देश में, सबसे अधिक वर्षा वाले महीने जून, सितंबर और अक्टूबर होते हैं। इन देशों के बाद, हिंद महासागर के मध्य में एक विशाल द्वीप के रुप में स्थित इंडोनेशिया (Indonesia) देश में, प्रति वर्ष 70-240 इंच तक वर्षा होती है; जो इस देश को विश्व में मॉनसून का अनुभव करने वाले शीर्ष देशों में चौथा स्थान प्रदान करती है। हमारे देश भारत में, प्राचीन हिंदू कैलेंडर (Calendar) के अनुसार, मुख्य रूप से छह मौसम होते हैं। हिंदू कैलेंडर (Calendar) के अनुसार एक वर्ष में बारह महीनों को, दो-दो महीने की छह ऋतुओं में विभाजित किया जाता है। इन ऋतुओं में वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल हैं।
हालाँकि, ‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department (IMD) के अनुसार, दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत में भी केवल चार ही मौसम होते हैं-
• वसंत ऋतु (Sping Season)- 
भारत में वसंत ऋतु मार्च और अप्रैल इन दो महीनों की अवधि का मौसम है। हिंदू कैलेंडर में यह मौसम क्रमशः चैत्र और बैसाख के महीनों में आता है। यह मौसम सर्दी के बाद शुरू होता है और गर्मियों के शुरू होने तक चलता है। इस मौसम में दिन बड़ा होता है जबकि, रातें छोटी होती हैं।
 • ग्रीष्म ऋतु (Summer Season)-यह मौसम मई और जून महीनों की अवधि के दौरान आने वाला मौसम है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह मौसम मुख्य रूप से ज्येष्ठ और आषाढ़ महीनों में आती है। इस मौसम के दौरान, भारत के अधिकांश हिस्सों में मौसम बहुत गर्म होता है। • वर्षा ऋतु (Monsoon)-
इस ऋतु में जुलाई और अगस्त के महीने शामिल होते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह ऋतु श्रावण और भाद्रपद (सावन और भादो) महीनों में आती है। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, इस ऋतु में भारत के अधिकांश क्षेत्रों में वर्षा होती है।
• शरद ऋतु (Autumn Season)-शरद ऋतु का मौसम सितंबर और अक्तूबर के महीने में आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह ऋतु आश्विन और कार्तिक माह में आती है। इस मौसम में, गर्म और आर्द्र मौसम ख़त्म होने लगता है और पेड़ों से पत्तियाँ गिरने लगती हैं। इसलिए, इसे पतझड़ का मौसम भी कहा जाता है।
हेमंत ऋतु (Pre-Winter Season)-हेमंत ऋतु का मौसम नवंबर और दिसंबर माह में आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह ऋतु अग्रहायण और पौष महीनों में आता है। यह ऋतु अक्टूबर के अंत से शुरू होती है और सर्दियों के मौसम या जनवरी की शुरुआत तक रहती है। इस मौसम में मध्यम ठंड होती है।
• शिशिर ऋतु (Winter Season)- भारत में सर्दी का मौसम जनवरी और फरवरी महीनों में आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह ऋतु माघ और फाल्गुन माह में आता है। यह ऋतु शीत पूर्व और वसंत ऋतु के बीच होती है। शुष्कता, ठंडी हवाएँ, कभी-कभी वर्षा और बर्फबारी आदि इस मौसम की विशेषताएं है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ycyemmf3
https://tinyurl.com/46abps6r
https://tinyurl.com/2d3awmf4
https://tinyurl.com/bdf254eb

चित्र संदर्भ

1. मानसून की शुरुआत को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. गर्मी के मौसम को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. बरसात के मौसम को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. मानसून की बारिश को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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