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भारत कला भवन:जौनपुर से मात्र एक घंटे की दूरी पर अनुभूति करें इतिहास की दुर्लभ झलकियाँ

जौनपुर

 06-07-2023 10:25 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

भारत के इतिहास के बारे में पुस्तकों में पढ़ने अथवा ऑनलाइन (Online) देखने और वास्तव में इसकी साक्षात् अनुभूति करने में धरती-आसमान का फर्क होता है। यदि आप भी भौतिक रूप से भारतीय इतिहास की झलकियां अपनी आँखों के सामने देखना चाहते हैं, तो आप हमारे जौनपुर से केवल एक घंटे की दूरी पर, वाराणसी में स्थापित, भारत के प्राचीन भारतीय कला और शिल्प संग्रहालय ‘भारत कला भवन’ का भ्रमण कर सकते हैं, जहाँ पहली से पांचवीं शताब्दी के बीच की कई महत्वपूर्ण कलाकृतियां आज भी अच्छी तरह से संरक्षित हैं। वाराणसी में ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ (Banaras Hindu University (BHU) के परिसर में एक संग्रहालय है, जिसे ‘भारत कला भवन’ के नाम से जाना जाता है। यह संग्रहालय भारतीय कला और संस्कृति के इतिहास से जुड़े ज्ञान का प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके ऐतिहासिक महत्व के कारण हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक इस संग्रहालय को देखने के लिए बनारस आते हैं। ‘भारत कला भवन' का विचार 1 जनवरी, 1920 के दिन वाराणसी के एक हिस्से (गोदौलिया) में ‘भारतीय ललित कला परिषद’ की स्थापना के साथ शुरू हुआ। 1920 से 1962 तक, संग्रहालय के संग्रह को वाराणसी के विभिन्न स्थानों पर ले जाया गया। 1950 में, जवाहरलाल नेहरू ने वर्तमान संग्रहालय भवन की नींव रखी, और 1962 में, संग्रहालय को अंततः बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अपने वर्तमान स्थान पर स्थापित कर दिया गया। महात्मा गांधी ने तीन बार भारत कला भवन का दौरा किया और अपनी आखिरी यात्रा के दौरान उन्होंने संग्रहालय की अतिथि पुस्तिका पर “संग्रह बहुत अच्छा है" भी लिखा।
संग्रहालय के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण झलकियां निम्नवत दी गई हैं:
- 1920: ‘भारतीय ललित कला परिषद’ की स्थापना हुई।
- 1926: ‘भारतीय ललित कला परिषद’ गोदौलिया से ‘सेंट्रल हिंदू बॉयज स्कूल’ (Central Hindu Boys School) में स्थानांतरित हुई।
- 1929: पहले अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ टैगोर के नेतृत्व में संगठन का ध्यान कला और शिल्प पर केंद्रित हो गया।
- 1929: भारतीय ललित कला परिषद को काशी नगरी प्रचारिणी सभा में स्थानांतरित कर दिया गया और इसका नाम बदलकर ‘भारत कला भवन’ कर दिया गया।
- 1930: प्रो. ओरधेंद्र कुमार गंगोली द्वारा काशी नगरी प्रचारिणी सभा में भारत कला भवन का औपचारिक उद्घाटन किया गया।
- 1945: संग्रहालय की रजत जयंती मनाई गई।
- 1947: भारत कला भवन की प्रदर्शनियां लंदन में प्रदर्शनियों में प्रदर्शित की गईं।
- 1950: संग्रहालय संग्रह को नगरी प्रचारिणी सभा से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मालवीय भवन में ले जाया गया।
- 1950: जवाहरलाल नेहरू ने वाराणसी में संग्रहालय की वर्तमान इमारत की नींव रखी।
- 1962: जवाहरलाल नेहरू ने नई इमारत का उद्घाटन किया।
- 1970: संग्रहालय की स्वर्ण जयंती मनाई गई।
- 1977: प्रताप चंद्र चंदर द्वारा इमारत के पश्चिमी विंग की नींव रखी गई ।
- 1990: ऐलिस बोनर गैलरी (Alice Boner Gallery) का उद्घाटन किया गया।
- 1995: संग्रहालय की प्लेटिनम जयंती (Platinum Jubilee) मनाई गई।
- 2011: महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की 150वीं जयंती पर संग्रहालय ने उनके बारे में एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म (Documentary Film) बनाई और एक किताब प्रकाशित की। विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर इस संस्थान के प्रथम एवं आजीवन सभापति रहे। उनके भतीजे शिल्पाचार्य अवनीन्द्रनाथ टैगोर इसके उपाध्यक्ष थे। यह संग्रहालय भारतीय इतिहास में रूचि रखने वाले लोगों और उच्च शिक्षा तथा बहु-विषयक शोध के लिए समर्पित है। भारत कला भवन में कलाकृतियों का एक विविध संग्रह मौजूद है, जिसमें पहली से 15वीं शताब्दी की बौद्ध और हिंदू मूर्तियां, चित्र, पांडुलिपियां, मुगल लघुचित्र, पेंटिंग, ब्रोकेड वस्त्र (Brocade Textiles), समकालीन कला और कांस्य मूर्तियां भी शामिल हैं। यहां आप 400-499 ईसा पूर्व की ‘देवी के साथ विष्णु स्तंभ’ तथा 200-299 ईसा पूर्व की ‘कमल सिंहासन पर बुद्ध’ जैसी दुर्लभ कलाकृतियां देख सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस संग्रहालय में कुल मिलाकर, 104,376 दुर्लभ कलाकृतियाँ संग्रहित हैं। इन कलाकृतियों में प्रस्तर मूर्तियाँ, सिक्के, चित्र, वसन, मृण मूर्तियाँ, मनके, शाही फरमान, मिट्टी के बर्तन, आभूषण, हाथी दांत की कृतियाँ, धातु की वस्तुएं, नक्काशी युक्त काष्ठ कृतियाँ, मुद्राएँ, प्रागैतिहासिक उपकरण, मृदभांड तथा अस्त्र-शस्त्र सहित कई अन्य दुर्लभ साहित्यिक सामग्रियां मौजूद हैं। संग्रहालय में टेराकोटा मोती (Terracotta Beads) और गुजराती, राजस्थानी और पहाड़ी लघु चित्रों का एक दुर्लभ संग्रह भी प्रदर्शित किया गया है। इन सभी सामग्रियों के लिए निर्धारित चौदह वीथिकाओं अर्थात गैलरी (Gallery) की व्यवस्था की गई है।
संग्रहालय के प्रत्येक अनुभाग में मौजूद सामग्रियों का विवरण निम्नवत दिया गया है:
- पुरातत्व अनुभाग: 24,561 वस्तुएँ
- बनारस अनुभाग: 705 वस्तुएँ
- सजावटी कला अनुभाग: 1,169 वस्तुएँ
- विनिमय: 76 वस्तुएँ
- साहित्यिक अनुभाग: 27,336 वस्तुएँ
- मिश्रित: 1,605 वस्तुएँ
- मुद्राशास्त्र अनुभाग: 33,236 वस्तुएँ
- पेंटिंग अनुभाग: 10,625 वस्तुएँ
- डाक टिकट अनुभाग: 2,941 वस्तुएँ
- कपड़ा अनुभाग: 1,747 वस्तुएँ
- ऊनी वस्त्र अनुभाग: 375 वस्तुएँ
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के वित्तीय सहयोग से इस संग्रह का डिजिटलीकरण (Digitization) भी संभव हो गया है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इस संग्रह को डिजिटल बनाने के लिए धन उपलब्ध कराया। अब एक ही क्लिक करके, आप कला संग्रह के इस ख़ज़ाने को खोल सकते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mr3ysyt6
https://tinyurl.com/2wyfud5k
https://tinyurl.com/5y5fkvas

चित्र संदर्भ
1. भारत कला भवन को दर्शाता चित्रण (facebook)
2. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय में भारत कला भवन संग्रहालय, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. भारत कला भवन में कृष्ण गोवर्धन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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