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आज, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दिन,योग को लोकप्रिय बनाने और योग सप्ताह में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए, हमारी राज्य सरकार ने खिलाड़ियों, मशहूर हस्तियों, योग गुरुओं और प्रभावशाली व्यक्तियों को राज्य स्तर पर होने वाले योग समारोहों में शामिल करने का फैसला किया है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में राज्य के सभी 58,000 ग्राम पंचायतों, 762 नगरीय निकायों और 14,000 वार्डों में योग शिविर और सत्र आयोजित किए गए हैं।राज्य में स्वयंसेवी संगठन, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, धार्मिक और सामाजिक संगठन तथा योग संस्थान भी अपने स्वयं के योग शिविर आयोजित करेंगे। हमारे देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2014 में, संयुक्त राष्ट्र संबोधन में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था, क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और दुनिया के कई हिस्सों में विशेष सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है।
हमारे जौनपुर जिले में भी योग दिवस के मौके पर कई आयोजन होने वाले है। हमारे जिले की ग्राम पंचायतों, विभिन्न विद्यालयों तथा शहर के पुलिस लाइन,लोहिया पार्क, चौकिया धाम,अमृत सरोवर व ग्राम सरोवर आदि स्थानों पर भी योग शिविरों का आयोजन होगा। जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक एवं मौलिक शिक्षा अधिकारियों को भी इन आयोजनों के बारे में जिलाधिकारी महोदय द्वारा निर्देश दिए गए है।साथ ही,जिले के सभी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में भी बड़े ज़ोर शोर से योग दिवस मनाया जाएगा।
योग प्राचीन भारतीय परंपरा का एक अमूल्य उपहार है।यह हमारे शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने वाले कुछ सबसे भरोसेमंद साधनों में से एक है। नियमित रूप से योगाभ्यास करने पर,एक व्यक्ति में पिता के समान रक्षा करने वाला साहस, माता के समान क्षमा और स्थायी मित्र बनने वाली मानसिक शांति जैसे कुछ बहुत ही अच्छे गुण आ जाते हैं।
क्या आप राज योग के बारे में जानते हैं? आइए स्वामी विवेकानंद द्वारा की गई राज योग की व्याख्या तथा दार्शनिक महत्त्व पर एक नजर डालते हैं। यह योग का उच्चतम रूप हैं, जिसमें हमारा स्वयं के अस्तित्व से मिलन हो सकता हैं। कहा जाता है कि, मनुष्य के चारों ओर पापों का एक पिंजरा है, इस पिंजरे को योगाग्नि भस्म कर देती है। योग से हमें शुद्ध ज्ञान प्राप्त होता है और फिर इस तरह हमें सीधे निर्वाण प्राप्त होता है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि राजयोग के मुख्यसोपान हैं। जो योगी या व्यक्ति योग और ज्ञान को अपने में समा लेता है, उससे भगवान प्रसन्न होते हैं।
दरअसल,योग का मूल संदर्भ – हमारे शरीर और मन को स्वयं का निरीक्षण करने और स्वयं की प्रकृति के बारे में जागरूक होने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु, आध्यात्मिक विकास का आचरण करना है। योग का उद्देश्य,किसी व्यक्ति में विवेक, जागरूकता, आत्म-नियमन और उच्च चेतना पैदा करना है। हालांकि,आज शारीरिक विकास चाहने वाले लोगों एवं आध्यात्मिक विकास चाहने वाले लोगों के बीच विभाजन बढ़ा है।इस वजह से,आंतरिक अनुभव के प्रति जागरूकता और ध्यान की कमी के कारण अभ्यासी, केवल शारीरिक विकास पर ध्यान दे रहे हैं ।
योग स्वयं के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बीमारी कम करने की एक प्रणाली है। योग तनाव को कम करने, और शरीर में लचीलेपन को बढ़ाने आदि, सहित कई अन्य लाभों के कारण अमेरिकी मुख्यधारा में प्रवेश कर चुका है। यह अमेरिकी जिम(Gym) के माध्यम से अधिक प्रचलित हो रहा है, जिससे हमारी एरोबिक क्षमता(Aerobic capacity) और ताकत बढ़ती है। लेकिन योग की पेशकश करने वाले कई जिम, इसमें आवश्यक आत्म-जागरूकता सिखाए बिना ही, केवल शारीरिक व्यायाम पर जोर देते हैं।योग का यह रूप दरअसल गलत है। और, विडंबना की बात यह है कि, आधुनिक योग इसी रुप में प्रचलित है।आज जिस योग का अभ्यास किया जाता है, वह वास्तव में योग का विरोधी बन गया है…
आधुनिक योग में योग की व्याख्या अलग-अलग तरीकों से की जाती है।इसे एक ध्यान अभ्यास, एक विशिष्ट खेल और आध्यात्मिक पथ के लिए एक चिकित्सा पद्धति आदि रूपों में भी जाना जाता है।
आइए पारंपरिक योग और आधुनिक योग के बीच के अंतरों को जानते हैं–
1.आधुनिक योग, योग को ‘शारीरिक आसनों’ के अभ्यास के रूप में देखता है, जबकि पारंपरिक योग, योग को ‘आध्यात्मिक आत्म-साक्षात्कार यामोक्ष’ के अभ्यास के रूप में देखता है।
2.आसन के पहलू से, आधुनिक योग का अभ्यास, शरीर से शुरू होता है। पारंपरिक योग की शुरुआत शरीर और आसन से नहीं हो सकती है।
3.आधुनिक योग को ‘योग की शैलियों’ में वर्गीकृत किया गया है, जो आसन करने के विभिन्न तरीके हैं। पारंपरिक योग को ‘योग के प्रकारों’ में वर्गीकृत किया गया है, जो आध्यात्मिक आत्म-साक्षात्कार तक पहुंचने के लिए अलग-अलग सोपान हैं।
4.आधुनिक योग का प्रशिक्षण और अभ्यास योग स्टूडियो(Yoga studio) या योग केंद्र में होता है। जबकि,पारंपरिक योग के प्रशिक्षण और/या अभ्यास के लिए आश्रम अनिवार्य होता है अथवा नहीं होता है।
5.आधुनिक योग एक ऐसा अभ्यास है, जिसे हम सप्ताह में कुछ दिन, व्यायाम या विश्राम अभ्यास के रूप में कर सकते है। दूसरी ओर, पारंपरिक योग जीवन शैली का ही एक कार्यक्रम होता है। इसे अपने मन और हृदय को परिष्कृत करने के लिए, पूरे दिन अभ्यास किए जाने वाले अनुष्ठानों और प्रथाओं के साथ किया जाता हैं।
6.पारंपरिक योग एक सतत आध्यात्मिक वंश द्वारा समर्थित, गुरु-शिष्य संबंध की दीक्षा परंपरा में उत्पन्न होता है। आधुनिक योग ऐसी किसी संरचना पर आधारित नहीं है।
7.पारंपरिक योग अभ्यास दक्षिण-एशिया(South Asia) और भारत के भौगोलिक क्षेत्र से संबंधित हैं। आधुनिक योग का कोई एक भौगोलिक मूल नहीं है।
8.पारंपरिक योग की उत्पत्ति वेदों और तंत्रों के आध्यात्मिक दर्शन में हुई है। आधुनिक योग विश्व की दार्शनिक प्रणालियों से प्रेरित है।
9.पारंपरिक योग आंतरिक, आध्यात्मिक और स्थायी सत्य पर ऊर्जा को केंद्रित करने हेतु बाहरी, संवेदी और क्षणिक दुनिया से हमें धीरे-धीरे दूर ले जाने की दिशा में काम करता है। आधुनिक योग ऐसे किसी विशिष्ट आधार पर बल नहीं देता।
10.पारंपरिक योग के अभ्यास में नैतिक शुद्धता, गहन ध्यान, गहरी आस्था और अमोघ प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। दूसरी तरफ, आधुनिक योग के अभ्यास में इन गुणों पर कोई जोर नहीं होता।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yc468pv8
https://tinyurl.com/4fuzzv7u
https://tinyurl.com/4hbkm6ez
https://tinyurl.com/bdn3jart
चित्र संदर्भ
1. योग शिविर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. योग करते युवाओं को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. स्वामी विवेकानंद को राज योग मुद्रा में दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. एक महिला को योग मुद्रा में दर्शाता चित्रण (Pxfuel)
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