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मशरूम उत्पादन के फायदेमंद क्षेत्र में अब हमारे जौनपुर के किसान भी भागीदार बन रहे हैं

जौनपुर

 14-06-2023 09:29 AM
फंफूद, कुकुरमुत्ता

पिछले कुछ सालों से किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है, क्योंकि मशरूम की खेती से अर्जित होने वाला मुनाफा काफी लाभदायक साबित हुआ है। हमारे जिले जौनपुर के किसान भी अपनी आय को बढ़ाने के साधन के रूप में मशरूम की खेती के विकल्प की तलाश कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2013-14 में 17,100 मेट्रिक टन (metric tonne) मशरूम का उत्पादन किया, और 2018 तक यह उत्पादन बढ़कर केवल चार वर्षों में लगभग 29 गुना वृद्धि के साथ 4,87,000 मेट्रिक टन हो गया। फिर भी भारत में दुनिया के मशरूम उत्पादन का लगभग 2% हिस्सा है, क्योंकि मशरूम के विश्व उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सा (लगभग 75%) चीन (China) से आता है। हालांकि भारत में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शीर्ष उत्पादकों के रूप में उभरे हैं, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) या यूरोप (Europe) में प्रति व्यक्ति 2-3 किग्रा मशरूम की खपत की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति 30 ग्राम मशरूम की खपत अभी भी कम है, इसलिए घरेलू स्तर पर खेती करके निर्यात का बड़ा अवसर प्राप्त हो सकता है। साथ ही भारत में मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र, अनुकरण श्रेणी, खाद, विपणन और संबद्ध सेवाएं भी धीरे-धीरे उभर रही हैं। हमारे उत्तर प्रदेश में ही सोनीपत, गोरखपुर आदि जैसे शहर घरेलू उत्पादन के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहे हैं।
मशरूम के क्षेत्र में इतनी संभावनाएं होते हुए भी आश्चर्य की बात है कि मशरूम क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए कोई कानून उपलब्ध नहीं है। चूंकि तकनीकी रूप से, मशरूम न तो पौधे हैं और न ही जानवर, और वे बीज से नहीं बल्कि अंडे या बीजाणुओं से निकलते हैं, वे बीज अधिनियम और ‘पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार का संरक्षण’ 2021 (Protection of Plant Varieties and Farmers' Rights Act (PPVFR) अधिनियम के दायरे से बाहर हैं। यही नहीं, पेटेंट्स अधिनियम 1970 (The Patents Act, 1970) कवक की पेटेंट योग्यता पर भी स्पष्ट नहीं है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों ने कवक या मशरूम की नई किस्मों पर पेटेंट के लिए अधिनियम बनाए हुए हैं। यह हो सकता है कि कवक स्वायत्त जीवित प्राणी हैं, और इसी कारण उन्हें भारत में पेटेंट योग्यता से बाहर रखा गया है। पेटेंट अधिनियम के अनुच्छेद 3 (c) और (j) इस दृष्टिकोण का समर्थन कर सकते हैं। फिर भी मशरूम की बढ़ती खेती को देखते हुए इस मामले में न्यायालयों द्वारा स्पष्टता देने की आवश्यकता है क्योंकि यह एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। जिस वजह से सबसे पहला सवाल यह उठता है कि किसानों को अगर खेती के लिए खराब बीजाणु या अंकुर दिए जाते हैं, तो वो किसान किस के पास शिकायत करेंगे। और बाजार से अंकुर उत्पादन या खरीद में उद्योग, उद्यमी और किसानों को किस मानक का पालन करना चाहिए?
कई किसानों द्वारा पहले से ही ई-रिटेल वेबसाइटों (e-Retail websites) आदि पर ठगे जाने की शिकायत की जा चुकी है, लेकिन निवारण तंत्र की कमी के कारण ये किसान भी अंत में चुप्पी साध लेते हैं। स्पानों या बीजाणुओं को एक नियंत्रित तापमान पर और सीमित समय के लिए ही रखने की आवश्यकता होती है, अन्यथा, वे मशरूम उत्पादन के लिए अपनी क्षमता खो देते हैं। इसको नियंत्रित करने के लिए कोई अलग अधिनियम मौजूद नहीं है जो मशरूम उद्योग या उत्पादकों के लिए इन दिशानिर्देशों को निर्धारित करता हो। इसके अलावा, कोई भी कानून बौद्धिक संपदा अधिकारों या मशरूम उत्पादकों की किस्मों की रक्षा नहीं करता है। जिसके लिए भारतीय नीति निर्माताओं को कवकविज्ञानी, किसानों और उद्योग के परामर्श से नीतियों और कानूनों के निर्माण के लिए एक अलग समिति बनाने की आवश्यकता है।
फिर भी इतनी चुनौतियों के बावजूद मशरूम खेती की संभावनाओं को देखते हुए हमारे जौनपुर में कोरोना महामारी के बाद से ही किसानों द्वारा कवक की खेती करने पर विचार किया जा रहा है। इसी कड़ी में ‘कृषि विज्ञान केन्द्र’, अमिहित, केराकत द्वारा गर्मी में किसानों से मिल्की मशरूम (Milky Mushroom) की खेती कराने का बन्दोबस्त किया गया है। मिल्कि मशरूम पौष्टिक गुणों के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर होते हैं। इनका सेवन करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही शक्तिवर्धक गुणों का विकास होता है। इस मशरूम की खेती के लिए 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं 80 से 90 प्रतिशत नमीं की आवश्यकता होती है। इस मशरूम की खेती का प्रदर्शन कराने के लिए हमारे जौनपुर जिले के अकबरपुर, सर्की, पेसारा और अमिहित गाँव से पाँच-पाँच किसानों का चयन किया गया। जैसा कि कम लागत के साथ एक व्यक्ति आसानी से मशरूम की खेती शुरू कर सकता है, इसकी खेती करके कई लोगों द्वारा अच्छी आमदनी भी प्राप्त की गई है। इन किसानों से प्रेरणा लेकर अन्य किसान भी मशरूम की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं ।

संदर्भ :-
https://rb.gy/zfkjo
https://rb.gy/61ueo
https://rb.gy/tdfn1

 चित्र संदर्भ

1. मशरूम की खेती को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. विभिन्न प्रकार की मशरूम को दर्शाता चित्रण (Needpix)
3. मशरूम की खेती को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. बिक्री के लिए तैयार मशरूमों को दर्शाता चित्रण (Rawpixel)
5. खाद्य मशरूम को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)



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