Post Viewership from Post Date to 19-Jul-2023
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1719 574 2293

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

मशरूम उत्पादन के फायदेमंद क्षेत्र में अब हमारे जौनपुर के किसान भी भागीदार बन रहे हैं

जौनपुर

 14-06-2023 09:29 AM
फंफूद, कुकुरमुत्ता

पिछले कुछ सालों से किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है, क्योंकि मशरूम की खेती से अर्जित होने वाला मुनाफा काफी लाभदायक साबित हुआ है। हमारे जिले जौनपुर के किसान भी अपनी आय को बढ़ाने के साधन के रूप में मशरूम की खेती के विकल्प की तलाश कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2013-14 में 17,100 मेट्रिक टन (metric tonne) मशरूम का उत्पादन किया, और 2018 तक यह उत्पादन बढ़कर केवल चार वर्षों में लगभग 29 गुना वृद्धि के साथ 4,87,000 मेट्रिक टन हो गया। फिर भी भारत में दुनिया के मशरूम उत्पादन का लगभग 2% हिस्सा है, क्योंकि मशरूम के विश्व उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सा (लगभग 75%) चीन (China) से आता है। हालांकि भारत में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शीर्ष उत्पादकों के रूप में उभरे हैं, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) या यूरोप (Europe) में प्रति व्यक्ति 2-3 किग्रा मशरूम की खपत की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति 30 ग्राम मशरूम की खपत अभी भी कम है, इसलिए घरेलू स्तर पर खेती करके निर्यात का बड़ा अवसर प्राप्त हो सकता है। साथ ही भारत में मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र, अनुकरण श्रेणी, खाद, विपणन और संबद्ध सेवाएं भी धीरे-धीरे उभर रही हैं। हमारे उत्तर प्रदेश में ही सोनीपत, गोरखपुर आदि जैसे शहर घरेलू उत्पादन के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहे हैं।
मशरूम के क्षेत्र में इतनी संभावनाएं होते हुए भी आश्चर्य की बात है कि मशरूम क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए कोई कानून उपलब्ध नहीं है। चूंकि तकनीकी रूप से, मशरूम न तो पौधे हैं और न ही जानवर, और वे बीज से नहीं बल्कि अंडे या बीजाणुओं से निकलते हैं, वे बीज अधिनियम और ‘पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार का संरक्षण’ 2021 (Protection of Plant Varieties and Farmers' Rights Act (PPVFR) अधिनियम के दायरे से बाहर हैं। यही नहीं, पेटेंट्स अधिनियम 1970 (The Patents Act, 1970) कवक की पेटेंट योग्यता पर भी स्पष्ट नहीं है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों ने कवक या मशरूम की नई किस्मों पर पेटेंट के लिए अधिनियम बनाए हुए हैं। यह हो सकता है कि कवक स्वायत्त जीवित प्राणी हैं, और इसी कारण उन्हें भारत में पेटेंट योग्यता से बाहर रखा गया है। पेटेंट अधिनियम के अनुच्छेद 3 (c) और (j) इस दृष्टिकोण का समर्थन कर सकते हैं। फिर भी मशरूम की बढ़ती खेती को देखते हुए इस मामले में न्यायालयों द्वारा स्पष्टता देने की आवश्यकता है क्योंकि यह एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। जिस वजह से सबसे पहला सवाल यह उठता है कि किसानों को अगर खेती के लिए खराब बीजाणु या अंकुर दिए जाते हैं, तो वो किसान किस के पास शिकायत करेंगे। और बाजार से अंकुर उत्पादन या खरीद में उद्योग, उद्यमी और किसानों को किस मानक का पालन करना चाहिए?
कई किसानों द्वारा पहले से ही ई-रिटेल वेबसाइटों (e-Retail websites) आदि पर ठगे जाने की शिकायत की जा चुकी है, लेकिन निवारण तंत्र की कमी के कारण ये किसान भी अंत में चुप्पी साध लेते हैं। स्पानों या बीजाणुओं को एक नियंत्रित तापमान पर और सीमित समय के लिए ही रखने की आवश्यकता होती है, अन्यथा, वे मशरूम उत्पादन के लिए अपनी क्षमता खो देते हैं। इसको नियंत्रित करने के लिए कोई अलग अधिनियम मौजूद नहीं है जो मशरूम उद्योग या उत्पादकों के लिए इन दिशानिर्देशों को निर्धारित करता हो। इसके अलावा, कोई भी कानून बौद्धिक संपदा अधिकारों या मशरूम उत्पादकों की किस्मों की रक्षा नहीं करता है। जिसके लिए भारतीय नीति निर्माताओं को कवकविज्ञानी, किसानों और उद्योग के परामर्श से नीतियों और कानूनों के निर्माण के लिए एक अलग समिति बनाने की आवश्यकता है।
फिर भी इतनी चुनौतियों के बावजूद मशरूम खेती की संभावनाओं को देखते हुए हमारे जौनपुर में कोरोना महामारी के बाद से ही किसानों द्वारा कवक की खेती करने पर विचार किया जा रहा है। इसी कड़ी में ‘कृषि विज्ञान केन्द्र’, अमिहित, केराकत द्वारा गर्मी में किसानों से मिल्की मशरूम (Milky Mushroom) की खेती कराने का बन्दोबस्त किया गया है। मिल्कि मशरूम पौष्टिक गुणों के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर होते हैं। इनका सेवन करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही शक्तिवर्धक गुणों का विकास होता है। इस मशरूम की खेती के लिए 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं 80 से 90 प्रतिशत नमीं की आवश्यकता होती है। इस मशरूम की खेती का प्रदर्शन कराने के लिए हमारे जौनपुर जिले के अकबरपुर, सर्की, पेसारा और अमिहित गाँव से पाँच-पाँच किसानों का चयन किया गया। जैसा कि कम लागत के साथ एक व्यक्ति आसानी से मशरूम की खेती शुरू कर सकता है, इसकी खेती करके कई लोगों द्वारा अच्छी आमदनी भी प्राप्त की गई है। इन किसानों से प्रेरणा लेकर अन्य किसान भी मशरूम की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं ।

संदर्भ :-
https://rb.gy/zfkjo
https://rb.gy/61ueo
https://rb.gy/tdfn1

 चित्र संदर्भ

1. मशरूम की खेती को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. विभिन्न प्रकार की मशरूम को दर्शाता चित्रण (Needpix)
3. मशरूम की खेती को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. बिक्री के लिए तैयार मशरूमों को दर्शाता चित्रण (Rawpixel)
5. खाद्य मशरूम को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id