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माना जाता है कि ज्यादातर मोबाइल गेमिंग (Mobile Gaming) को मुख्य रूप से ‘जेनरेशन जेड’ (Generation Z) यानि 1996 और 2010 के बीच पैदा हुए लोग, और उनमें भी ज़्यादातर,18-24 वर्ष के युवाओं के बीच लोकप्रिय माना जाता है। लेकिन एडटेक फर्म ‘इनमोबी’ (Adtech firm InMobi) की मोबाइल गेमिंग इंडिया रिपोर्ट (Mobile gaming India report) 2021 के अनुसार, 45 से 54 वर्ष की आयु वर्ग के 60% लोग भी मोबाइल गेमिंग में सक्रिय रूप से संलग्न पाए गए हैं। अध्ययन के अनुसार, लगभग 45% भारतीय गेमर्स ने महामारी के दौरान हुई तालाबंदी (lockdown) के समय मोबाइल पर खेलना शुरू किया। फरवरी 2021 में इनमोबी द्वारा गेमिंग व्यक्तित्व, विज्ञापनदाता अंतर्दृष्टि, और गेमिंग व्यवहार को समझने के लिए 30 से अधिक शहरों में 1,000 भारतीय स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं का साक्षात्कार लिया गया। इसने भारत में 200 मिलियन (million) से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं से डेटा सिग्नल (Data Signal) भी एकत्रित किए।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा मोबाइल गेमिंग बाजार है। किफायती स्मार्टफोन तक पहुंच, दुनिया में सबसे सस्ते नेटवर्क डेटा टैरिफ (Network Data Tariffs) और मोबाइल इंटरनेट की गति में सुधार के कारण मोबाइल गेमिंग को अपनाने में वृद्धि हुई है। साल 2020 में भारत में मोबाइल गेमिंग में भारी वृद्धि देखी गई। इस दौरान गेम ऐप डाउनलोड (Game App Download) के मामले देश में सबसे तेजी से बढ़े। इनमोबी ने उपयोगकर्ताओं को प्रतिबद्ध गेमर्स, नियमित गेमर्स और सामयिक गेमर्स की तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया, तथा पाया कि अधिकांश भारतीय (80% से अधिक) प्रतिबद्ध गेमर्स हैं, जो रोजाना मोबाइल गेम खेलते हैं। प्रतिबद्ध गेमर्स अन्य गेमर्स की तुलना में गेम खेलने में काफी अधिक समय व्यतीत करते हैं, ऐसे 84% से अधिक खिलाड़ी एक ही बार में मोबाइल पर खेलते समय एक घंटे तक का समय व्यतीत करते हैं। लगभग 40% लोग एक बार गेम खेलने में 10 मिनट से अधिक का समय खर्च करते हैं, और 14% लोग मोबाइल गेम पर एक दिन में एक घंटे से अधिक समय खर्च करते हैं।
मोबाइल गेमिंग के विषय में आम धारणा यह है कि मोबाइल गेमिंग केवल युवा लोगों के बीच ही लोकप्रिय है, किंतु अब इस रिपोर्ट के बाद यह धारणा गलत हो गई है। इस रिपोर्ट के अलावा ऐसे कई अध्ययन हैं, जो यह बताते हैं कि मोबाइल गेमिंग केवल युवा लोगों के बीच ही नहीं, बल्कि वृद्ध लोगों के बीच भी लोकप्रिय है, तथा इसके कई संज्ञानात्मक फायदें भी हैं। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, वीडियो गेम (Video Game) खेलने से अवधारणात्मक और संज्ञानात्मक क्षमताओं में व्यापक लाभ होता है। इन शोधों से यह पता चलता है कि वीडियो गेम खेलना बढ़ती उम्र से जुड़ी कई अवधारणात्मक और संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट का मुकाबला करने के लिए आदर्श हो सकता है। इसके अलावा, खेल हस्तक्षेपों में अन्य संज्ञानात्मक हस्तक्षेपों की तुलना में प्रतिक्रिया उत्पन्न करने की उच्च क्षमता होती है, क्योंकि उन्हें स्वाभाविक रूप से सुखद और प्रेरक माना जाता है।
11 साल की उम्र से लेकर 70 साल की उम्र तक, और 70 से 79 साल की उम्र तक खेल खेलने और संज्ञानात्मक कार्य में बदलाव के बीच संबंध की जांच करने के लिए एक अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया, 70 वर्ष की आयु में खेल खेलने की उच्च आवृत्ति, उच्च संज्ञानात्मक कार्य से जुड़ी होती है। जबकि 11 वर्ष की आयु वाले लोगों में खेल खेलने की उच्च आवृत्ति संज्ञानात्मक कार्य को नियंत्रित करती है। सामान्य तौर पर उम्र बढ़ने के साथ संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट आने लगती है, किंतु अध्ययन में यह देखा गया कि 70 से 79 वर्ष की उम्र के वे लोग, जो गेम खेलते हैं, उनकी संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट में कमी आयी, तथा स्मृति क्षमता में भी सुधार हुआ। 70 और 76 आयु के बीच के मोबाइल गेम खेलने वाले लोगों में भी संज्ञानात्मक क्षमता की गिरावट में कमी का अनुभव किया गया। इसका अर्थ है कि अधिक गेम खेलना, समय के साथ संज्ञानात्मक क्षमता में आने वाली गिरावट में कमी से जुड़ा हुआ है। जो जितना अधिक गेम खेलता है, उसकी संज्ञानात्मक क्षमता उतनी ही अधिक बढ़ती जाती है।
मोबाइल गेम खेलने के मुख्य फायदे देखते हुए उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में ऑनलाइन गेमिंग के शौकीनों के समूह द्वारा स्थानीय गेमर्स के लिए क्लब (Club) की स्थापना की जा रही है। क्लब, सप्ताह में चार दिन दो घंटे का शुद्ध गेम उपलब्ध कराता है। इसके अलावा नए सदस्यों के लिए प्रारंभिक शिक्षण भी प्रदान किया जाता है। हालाँकि, इस क्लब में शामिल होने के लिए महिला होना आवश्यक है तथा आपकी आयु 65 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
हालांकि सुनने में यह आश्चर्यजनक लग सकता है, किंतु आज बुजुर्ग गेमर्स के लिए ऐसे क्लब देश भर में काफी आम हो गए हैं और गेमिंग अब केवल युवाओं के लिए खेल नहीं रह गया है। न ही यह पुरुषों के दायरे तक ही सीमित है। हालांकि पारंपरिक रूप से गेमर्स युवा और पुरुष होते थे, लेकिन अब भारतीय गेमर्स का नया प्रोफाइल (Profile) विकसित हुआ है। आज कम से कम 40 प्रतिशत गेमर्स महिलाएं हैं। साथ ही 30 साल से अधिक की आयु वाले गेमर्स की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
एक अध्ययन के अनुसार, 98 फीसदी गेमर्स द्वारा पसंद किया जाने वाला प्रमुख प्लेटफॉर्म मोबाइल है। ईवाई-लोको (EY-LOCO) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2022 तक ऑनलाइन गेमर्स की संख्या 421 मिलियन थी, और इस साल के अंत तक यह संख्या 442 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई है। मोबाइल गेमिंग सुलभ और सस्ती है, जो इसे भारतीय बाजार के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है। अधिकांश भारतीय गेमर्स 18-30 आयु वर्ग के हैं, और महिला गेमर्स की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्तमान में देश में कुल गेमर्स के 40 प्रतिशत के करीब है। फिक्की-ईवाई (FICCI-EY) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सभी प्रतिस्पर्धी स्तर के खेलों में ई-स्पोर्ट्स खिलाड़ियों की संख्या 2021 में 600,000 से बढ़कर 2022 में 1 मिलियन हो गई थी, और 2023 के अंत तक इसके 2.5 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
संदर्भ:
https://t.ly/Jp-S
https://t.ly/d2m0
https://t.ly/mCy1
https://t.ly/Cg-oo
चित्र संदर्भ
1. मोबाइल पर गेम खेलते व्यक्ति को दर्शाता एक चित्रण (NDLA)
2. ऑनलाइन गेमिंग को दर्शाता चित्रण (PixaHive)
3. प्रसन्न होकर गेम खेलते व्यक्ति को दर्शाता चित्रण (Pexels)
4. एकाग्र होकर गेम खेलते व्यक्ति को दर्शाता चित्रण (PixaHive)
5. एक गेमिंग क्लब को संदर्भित करता एक चित्रण (Medium)
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