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भारतीय भूमि ने दुनिया को आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और रामानुजन् जैसे महान गणितज्ञ दिए हैं। भारतीय गणितज्ञ शकुंतला देवी को तो ‘मानव कंप्यूटर’ की उपाधि प्राप्त है। उनके जीवन पर एक पूरी फिल्म भी बन चुकी है। आज दुनिया के विभिन्न देशों के शिक्षण संस्थानों में गणित पढ़ाने के लिए भारतीय शिक्षकों की भारी मांग है, किन्तु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गणितज्ञों की इस महान विरासत के बावजूद, भारत के शिक्षण संस्थान गणित के अच्छे शिक्षकों से वंचित हैं! आखिर क्यों?
भारत अपने विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी का सामना कर रहा है। देश के ज्यादातर विद्यालयों में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षकों की यह कमी शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में एक गंभीर समस्या बन गई है।
उदाहरण के तौर पर, राजधानी दिल्ली के 84% सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य और 34% में उप-प्रधानाचार्य के पद खाली हैं। वरिष्ठ कक्षाओं को पढ़ाने वाले शिक्षकों को छोड़कर, अन्य शिक्षक पदों के भी करीब एक तिहाई पद खाली हैं। अर्थात प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में, जहां छात्र बुनियादी शिक्षा प्राप्त करते हैं, शिक्षकों की भारी कमी है। हाल ही में ‘सेंटर फॉर यूथ कल्चर लॉ एंड एनवायरनमेंट’ (Center For Youth Culture Law And Environment-CYCLE) नामक एक संगठन द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली के 973 सरकारी विद्यालयों में कुल 9,944 शिक्षकों की कमी है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में गणित के शिक्षकों की सबसे अधिक कमी है। शिक्षकों के कुल 9,444 रिक्त पदों में से 773 पद गणित के शिक्षकों के हैं।
स्नातकोत्तर स्तर पर गणित के शिक्षकों के कुल 83 पद खाली हैं। साथ ही रिक्तियों के वितरण में भी असमानता है, अर्थात शिक्षक पदों की 5,310 रिक्तियां केवल उन 14 क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जो अन्य राज्यों के साथ सीमा साझा करते हैं।
शिक्षकों की इस कमी के कारण, छात्र विद्यालय नहीं जाना चाहते हैं। यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि इसका मतलब यह है कि सभी छात्रों को वह शिक्षा नहीं मिल रही है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है, और जिसके वे हकदार हैं।
हालांकि, इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने अतिथि शिक्षकों को नियुक्त किया है, लेकिन वे भी विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों को पढ़ाने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी खराब है। ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन’ (United Nations Educational, Scientific And Cultural Organization-UNESCO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 120,000 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें केवल एक शिक्षक है, और इनमें से अधिकांश विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। शिक्षकों की इस कमी की भरपाई करने के लिए आज देश को दस गुना अधिक शिक्षकों की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, स्थिति में सुधार करने के लिए, सरकार को शिक्षकों को बेहतर रोजगार की स्थिति और पेशेवर स्वायत्तता प्रदान करके, शिक्षण को अधिक आकर्षक पेशा बनाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञ दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने की स्थिति में सुधार करने का भी सुझाव देते हैं, जहाँ शिक्षकों की सबसे अधिक आवश्यकता है। इसके अलावा शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना भी जरूरी है।
इसका एक और समाधान यह हो सकता है कि हमें पूरे देश में शिक्षकों को अधिक समान रूप से पुनर्वितरित करना चाहिए। आज कई विद्यालयों में एक भी शिक्षक नहीं है जबकि कई अन्य विद्यालयों (खासकर शहरी क्षेत्रों में) में आवश्यकता से अधिक शिक्षक हैं। राज्यों को अधिशेष शिक्षकों को अधिक समान रूप से वितरित करना चाहिए, और उन्हें अर्ध-शहरी तथा ग्रामीण विद्यालयों में नियुक्ति के लिए प्रोत्साहित करने पर विचार करना चाहिए।
हालांकि शिक्षकों की कमी केवल भारत में ही नहीं है, बल्कि इंग्लैंड (England) जैसे देशों में भी है। किंतु इसके साथ ही इन देशों में गणित और विज्ञान के भारतीय शिक्षकों की भारी मांग भी है। यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) की सरकार भारत सहित अन्य देशों से योग्य शिक्षकों को अपने यहां लाकर शिक्षकों के खाली पदों को भरना चाहती है। यहां पढ़ाने में रुचि रखने वाले शिक्षकों को 10,000 पाउंड (pound) के अंतर्राष्ट्रीय स्थानांतरण भुगतान की पेशकश की जाएगी। इंटरनेशनल रीलोकेशन पेमेंट्स (International Relocation Payments -IRP) नामक प्रायोगिक प्रोग्राम के द्वारा यूनाइटेड किंगडममें नौकरी की पेशकश के साथ विदेशी शिक्षकों के लिए वीज़ा (Visa), आप्रवासन स्वास्थ्य अधिभार (Immigration Health Surcharge) और अन्य स्थानांतरण खर्चों को भी वहन किया जाएगा। अगले शैक्षणिक वर्ष में 300 से 400 शिक्षकों के आईआरपी प्राप्त करने की उम्मीद है, और सफल होने पर, कार्यक्रम को अन्य विषयों के शिक्षकों की भर्ती के लिए बढ़ाया जा सकता है। पात्र होने के लिए, शिक्षकों के पास स्नातक स्तर पर डिग्री, मान्यता प्राप्त शिक्षक-प्रशिक्षण योग्यता, कम से कम एक वर्ष का अनुभव, और अंग्रेजी में पूर्ण दक्षता होनी चाहिए। ऐसे शिक्षक, योग्यता अनुसार, यूनाइटेड किंगडम में काम करने के वीज़ा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
आज हमारे देश भारत को भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की परिकल्पना के अनुसार विकसित होने के लिए शिक्षकों की इस कमी को दूर करने की आवश्यकता है।
संदर्भ
https://shorturl.at/tuBHU
https://shorturl.at/dhuvN
https://shorturl.at/kwST0
चित्र संदर्भ
1. कक्षा में बैठे बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (needpix)
3. बंद पड़े ग्रामीण स्कूल को दर्शाता चित्रण (PixaHive)
4. स्कूल प्रांगण में खेल रहे बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. एक निरीक्षक के साथ प्रसन्न दिखाई देते बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
6. एक शिक्षक को संदर्भित करता एक चित्रण (Pxfuel)
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