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आज अर्थात 7 जून को प्रत्येक वर्ष खाद्य मानकों पर हमारा ध्यान आकर्षित करने के लिए ‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ (World Food Safety Day) मनाया जाता है। खाद्य जनित रोग प्रतिवर्ष विश्व में 10 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करते हैं। उचित खाद्य मानक यह सुनिश्चित करते हैं कि, हम जो खाद्य खा रहे हैं वह सुरक्षित है। इस वर्ष खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि, कृषि उत्पादन, खाद्य जनित जोखिमों को समझने, रोकने, और उन्हें प्रबंधित करने के प्रोत्साहन हेतु पांचवां विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाएगा। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organisation-WHO) और ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ (Food and Agriculture Organisation-FAO) ने मिलकर 2018 में इस दिन को नामित किया था। इस वर्ष का ‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ “खाद्य मानक जीवन बचाते हैं” (Food standards save lives) विषय पर आधारित है।
मनुष्यों में होने वाली सभी बीमारियों में, खाद्य जनित बीमारियाँ रुग्णता और मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण हैं, जिसके परिणामस्वरूप, विश्व स्तर पर बड़ी मात्रा में सामाजिक और आर्थिक नुकसान होता है। अतः इस परिस्थिति में, समय पर खाद्य जनित रोग के प्रकोप की चेतावनी, रोग की निगरानी, विवरण और प्रसार की आवश्यकता अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
खाद्य-जनित बीमारियों के जोखिम और खाद्य-माध्यम के वितरण के बारे में ज्ञान, खाद्य-जनित रोगों को कम करने में मदद करता है, और इन जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए रणनीति तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2008 से 2018 की अवधि के बीच ‘एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम’ (Integrated Disease Surveillance Program) के तहत खाद्य जनित रोगों के प्रकोपों के लिए समेकित एवं विश्लेषित किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि के दौरान पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और गुजरात राज्यों में क्रमशः 31.22%, 29.11%, और 22.67% अधिकतम औसतन खाद्य-जनित प्रकोप दर्ज हुए, जिससे देश में बीमारियों एवं मृत्यु के दर 31.5% और 8.7% से बढे । इनमें से 19.6% प्रकोपों में, अनाज और फलियों के खाद्य-माध्यम के रूप में पाया गया, जिससे अधिकतम प्रकोप (32.7%) हुआ था। जबकि, रासायनिक रूप से दूषित भोजन के कारण अधिकतम मृत्यु-दर 70% थी।
‘एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम’ के आंकड़ों के अनुसार, 2009 से 2018 की अवधि के दौरान, कुल 2,688 खाद्य जनित रोग हुए थे, जिसके परिणामस्वरूप 1,53,745 बीमारियाँ हुईं और 572 मृत्यु हुईं। इस बीच, हर साल औसतन 269 प्रकोप (सीमा: 67 से 383)-15,375 बीमारियाँ (सीमा: 5147 से 23,425) और 57 मृत्यु (सीमा: 26 से 109) दर्ज की गईं थी। कार्यक्रम के पहले ही वर्ष, 2009 में, देशभर में कुल 67 प्रकोपों की सूचना मिली थी, जिनमें से 130 बीमारियों और 14 मृत्यु के साथ 9 प्रकोप हमारे उत्तर प्रदेश राज्य में भी दर्ज किए गए थे।
भारत में दर्ज किए अधिकांश खाद्य जनित प्रकोप मंदिरों, विवाह समारोहों, भोजनालयों, विद्यालयों में मध्याह्न भोजन, और सार्वजनिक समारोहों के कारण बड़े स्तर पर फैलते हैं । जबकि कुछ प्रकोप घरेलू स्तर पर भी होते है, पर ये ज्यादातर छोटे होते हैं।
रोग निगरानी कार्यक्रम के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि भारत में खाद्य जनित रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। इसलिए, भारत को राज्य एवं स्थानीय स्वास्थ्य देखभाल स्तरों पर क्षमता का निर्माण करके, प्रकोप के घटकों को जोड़कर, अपने रोग निगरानी कार्यक्रम को मजबूत बनाना अनिवार्य है। इससे इस जोखिम के मूल्यांकन और प्रबंधन रणनीतियों के कुशल कार्यान्वयन में मदद मिल सकती है।
भारत जैसे विकासशील और अन्य अल्प-विकसित देशों में उत्पादित भोजन कई कारणों से संदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। भोजन तैयार करने के लिए स्वच्छ पानी तक पहुंच की कमी, खराब परिवहन, अपर्याप्त भंडारण सुविधाएं, खराब व्यक्तिगत स्वच्छता और अनुचित रखरखाव आदि कारक ऐसे देशों में भोजन को संदूषण के प्रति संवेदनशील बनाते है। यदि भारत के खाद्य सुरक्षा मानकों में सुधार नहीं होता, तो शीघ्र ही हमें खाद्य जनित रोगों के 10 करोड़ से अधिक वार्षिक मामलों का सामना करना पड़ सकता है। इस आंकड़े की 2030 तक, बढ़कर 15-17 करोड़ तक पहुंचने की भी आशंका है।
खाद्य जनित रोगों के प्रभावी प्रबंधन और न्यूनीकरण के लिए भारत सरकार के ‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय’ द्वारा 2004 में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम शुरु किया गया था। खाद्य जनित रोगों की समय पर जांच करके और सूचना द्वारा, इन्हें व्यापक जनसंख्या में फैलने से रोका जा सकता हैं। खाद्य जनित रोगों की निगरानी का उद्देश्य रोगजनक खाद्य–माध्यम की पहचान करना, बीमारी वाले विशिष्ट रोगजनकों की पहचान करना, बीमारी के प्रति कमजोर समूहों की पहचान करना, नीति निर्माताओं को जानकारी प्रदान करना, और विशिष्ट रोगजनकों के लिए संचरण मार्ग का निर्धारण कर, समान प्रकोपों को कम करना है।
खाद्य जनित विषाक्तता निम्नलिखित है-
1- स्टैफिलोकोकल विषाक्तता (Staphylococcal Poisoning)- यह विषाक्तता स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus Aureus) जीवाणु के संक्रमण के कारण होती है।
2- बैसिलस सेरियस विषाक्तता (Bacillus Cereus Poisoning)- यह विषाक्तता बेसिलस सेरियस (Bacillus cereus) जीवाणु के संक्रमण के कारण होती है।
3- बॉट्युलिस्म (Botulism)- क्लोस्ट्रीडियम बॉट्युलिनम (Clostridium Botulinum) जीवाणु के संक्रमण के कारण यह विषाक्तता फैलती है।
जबकि कुछ खाद्य जनित संक्रमण निम्नलिखित हैं-
1- टाइफाइड (Typhoid)- यह संक्रमण सॉलमोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) जीवाणु के कारण होता है।
2- बेसिलरी डिसेंट्री (Bacillary Dysentery)- यह संक्रमण शिगेला (Shigella) वंश के जीवाणु के कारण होता है।
3- कोलाई डायरिया (Coli Diarrhoea)- यह संक्रमण एस्चेरीचिअ कोलाई (Escherichia Coli) जीवाणु के कारण होता है।
इनके अतिरिक्त विब्रियो पैरा हेमोलिटिकस(Vibrio Para Haemoliticus) के कारण जठर में संसर्ग होता है। हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A) और शेलफिश विषाक्तता (Shellfish poisoning) कुछ अन्य संक्रमण है, जो खाद्य जनित होते है।
खाद्य जनित रोग हमारे देश में कुछ प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक हैं। इससे होने वाले स्वास्थ्य परिणामों के अलावा, इनकी आर्थिक लागत, जैसे मानव कार्य दिनों की हानि, उपचार की लागत, प्रभावित खाद्य वस्तुओं की हानि, आदि बहुत बड़ी हो सकती है। इसलिए, निगरानी में सुधार करने के लिए, सभी प्रकोपों के प्रयोगशालाओं द्वारा विश्लेषण की सिफारिश की जाती है। इसके अलावा, अधिकांश प्रकोप सार्वजनिक स्थानों पर असुरक्षित रूप से बने भोजन के कारण होते हैं, इसलिए देश में खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए नियम बनाने, और लोगों को स्वच्छता के बारे में शिक्षित करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
संदर्भ
https://bit.ly/3MKw9sS
https://bit.ly/3MDnfgI
https://bit.ly/3OP4g5q
https://rb.gy/2sqhe
चित्र संदर्भ
1. धूप में राजमा सुखाती महिला को दर्शाता एक चित्रण (Peakpx)
2. भारतीय मंडी में बिक रही सब्जियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. सड़ रहे टमाटरों को दर्शाता चित्रण (linkedin)
4. रोटी खाती गरीब बच्ची को संदर्भित करता एक चित्रण (Max Pixel)
5. भोजन करते बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (PickPik)
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