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31 मई अर्थात आज का दिन, विश्वभर में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ (World No Tobacco Day) के रूप में मनाया जाता है। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organisation -WHO) के सदस्य-राष्ट्रों द्वारा इस दिन को वर्ष 1987 में ‘तंबाकू की लत जैसी महामारी,’ और इसके कारण होने वाली मृत्यु और बीमारियों की विश्वभर में जागरुकता लाने के लिए निश्चित किया गया था। 2023 में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ का विषय, ‘अन्न उत्पन्न करो, तंबाकू नहीं’ निश्चित किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य है कि तंबाकू की फसल के लिए सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता (subsidies) सरकारी रूप से समाप्त हो, तथा इससे होने वाली बचत का उपयोग किसानों की खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार करने वाली अधिक टिकाऊ फसलों के लिए हो ।
हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों में धूम्रपान-रहित तंबाकू उत्पादों के व्यापार और उपयोग में तेजी से वृद्धि हुई है, जो स्वास्थ्य योजनाकारों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। अनुमान है कि तंबाकू का सेवन शुरु करने के लिए किशोर और युवा सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। यह सर्वज्ञात है कि तंबाकू के अधिकांश वयस्क उपयोगकर्ता उनके बचपन या किशोरावस्था में ही इसका सेवन करना शुरु कर देते हैं। तंबाकू की कंपनियां अब भारत जैसे विकासशील देशों में अपनी विज्ञापन रणनीतियों को लक्षित कर रही हैं। इस प्रचार के कारण किशोर और युवा अक्सर तंबाकू उत्पादों की ओर आकर्षित हो जाते हैं। ‘ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे-4’ (Global Youth Tobacco Survey-4 (GYTS-4), जो युवाओं के बीच हो रहे तंबाकू के उपयोग पर, जिसमें धूम्रपान और तंबाकू का धुआं रहित उपयोग शामिल होता है, व्यवस्थित रूप से निगरानी रखने और प्रमुख तम्बाकू नियंत्रण संकेतकों पर नज़र रखने के लिए एक मानक है। इसकेक नतीजों के अनुसार, हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में कुछ बच्चे तो केवल साढ़े नौ साल के ही होते हैं, जब वे सिगरेट या बीड़ी के माध्यम से तंबाकू का सेवन शुरू कर देते हैं। औसतन सात साल की लड़कियां और आठ साल के लड़के भी बीड़ी का धूम्रपान शुरू कर देते हैं। छह साल और आठ महीने- यह भयावह उम्र का आंकड़ा शहरी क्षेत्रों के बच्चों में बीड़ी पीने की शुरुआत की औसत उम्र है। कुछ लड़कियां सात साल से भी कम उम्र की होती हैं जब वे धुआंरहित तंबाकू का उपयोग करने लगती है।
राज्य में, केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत ‘अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान’ (International Institute of Population Sciences) द्वारा एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के हिस्से के रूप में GYTS आयोजित किया गया था। सर्वेक्षण में 37 निजी और सरकारी स्कूलों के 13 से 15 वर्ष की आयु के कुल 3,501 छात्रों ने भाग लिया था। सर्वेक्षण के अनुसार, 23% छात्र (जिनमें 22% लड़के और 24% लड़कियां शामिल हैं) तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त, 21% छात्रों ने स्वीकार किया कि उन्होंने धूम्रपान के माध्यम से तंबाकू का सेवन किया है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि राज्य में 13% से अधिक बच्चे विद्यालयों में, 38% घर पर,और करीब 20% बच्चे किसी दोस्त के घरधूम्रपान करते हैं। सर्वे के अनुसार, आज 13 से 15 वर्ष की आयु के 10 बच्चों में से औसतन दो लड़के और एक लड़की तंबाकू का सेवन करते हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है।
भारत सरकार के ‘राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन’ (National Sample Survey Organization) द्वारा किए गए एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार, देश में 10-14 आयु वर्ग के लगभग 2 करोड़ बच्चों के तम्बाकू के आदी होने का अनुमान है। इस आश्चर्यजनक आंकड़े में, हर दिन लगभग 5500 नए उपयोगकर्ता जुड़ते हैं, जिससे हर साल दो मिलियन नए उपयोगकर्ता बनते हैं।
कम उम्र में तंबाकू के इस्तेमाल के कारण छोटे बच्चों में कैंसर के पूर्व उत्पन्न होने वाले घाव, और जबड़े का पूरी तरह से न खुलने की समस्या के मामले सामने आए हैं। साथ ही, भारत में लोगों की मौत के आठ प्रमुख कारणों में से छह कारण तंबाकू सेवन से संबंधित हैं।
मानव कई सदियों से अनेक रूपों में तंबाकू का उपयोग करता आया है। लोग तंबाकू का सेवन प्राय: जीवन की शुरुआत में ही करते है। हाल ही में, भारत में धूम्रपान रहित तंबाकू के उत्पादों के उपयोग में वृद्धि हुई है। देश में तथा हमारे राज्य में पिछले कुछ दशकों से युवाओं द्वारा धूम्रपान-रहित तंबाकू के उपयोग पर जोर के साथ, तंबाकू के उपयोग में वृद्धि की ओर एक सामान्य प्रवृत्ति दिख रही हैं। यह विशेष रूप से युवा वर्ग के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। दरअसल, इस आदत की शुरुआत होने के पीछे मनोसामाजिक कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह देखा गया है कि किशोर और बच्चें इस आदत को बड़ी संख्या में अपने परिवार के सदस्यों या साथियों से ग्रहण करते हैं। निर्माताओं द्वारा तंबाकू उत्पादों के उत्तेजक विज्ञापन और प्रचार अभियान भी किशोरों को इसके सेवन की आदत लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः तंबाकू के व्यापक सेवन ने वर्षों से स्वास्थ्य पेशेवरों, मीडिया और कानून प्रवर्तन संस्थाओं का ध्यान आकर्षित किया है। इसलिए केंद्र तथा स्थानीय सरकारें तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर अंकुश लगाने और तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों को विनियमित करने के लिए कदम उठा रही हैं। तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से अवगत होने के पश्चात विकसित देशों में धूम्रपान में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
बच्चों और किशोरों द्वारा तंबाकू के विभिन्न उत्पादों के उपयोग और इस तरह की हानिकारक आदतों की शुरुआत के कारण बनने वाले कारकों पर राष्ट्रव्यापी जानकारी एकत्र करने की आवश्यकता है। बच्चों और जनता को तंबाकू के उपयोग के परिणामों के बारे में शिक्षित करने, और इस समस्या को रोकने में उनकी प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए सामुदायिक जागरुकता कार्यक्रम की भी तत्काल आवश्यकता है। इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organisation), ‘संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय ड्रग्स नियंत्रण कार्यक्रम’ (United Nations International Drug Control Program) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की नीतियों और सम्मेलनों से अवगत रहना भी आवश्यक है।
संदर्भ
https://bit.ly/3OEQUZl
https://bit.ly/3OD7Qj2
https://bit.ly/43luTnf
https://rb.gy/xr942
https://rb.gy/paa1e
चित्र संदर्भ
1. स्वास्थ पर तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
2. विश्व तंबाकू निषेध दिवस को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. प्रति 100,000 लोगों पर धूम्रपान के कारण होने वाली मौतों की वार्षिक संख्या, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. धूम्रपान से मुँह के कैंसर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. तम्बाकू बेचते बच्चे को दर्शाता चित्रण (flickr)
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