तम्बाकू एक मीठा धीमा जहर है जिसे पोर्तुगीजों ने 15वी-16वी शताब्दी में भारत में लाया। सन 1618 में जहाँगीर ने धुम्रपान और तम्बाकू पर पाबंदी लगायी मगर 5 साल बाद सूरत ने तम्बाकू की निर्यात करना शुरू किया। जौनपुर में तम्बाकू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती थी। जौनपुर और आस पास के शहर जैसे मछलीशहर, शाहगंज आदि की जमीन और कुँए का नुनखरा पानी इसकी पैदावार के लिए काफी अच्छा माना जाता था। तम्बाकू यहाँ से बनारस को भेजा जाता था। जौनपुर की जमीन में मिलने वाली रेह का इस्तेमाल तम्बाकू को और अच्छा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यहाँ पर तम्बाकू उगाने के लिए जमीन को किराए पर दिया जाता था जिसका किराया एक एकड़ जमीन के लिए 50 रुपये से लेकर 100 रुपये तक जाता था। भारत की जनगणना 2011 के विवरण अनुसार तम्बाकू जौनपुर का एक प्रमुख उत्पाद था। डब्लू.एच.ओ सीएरो 2004 के रिपोर्ट के अनुसार दोहरा ये तम्बाकू का उत्पाद जौनपुर में ज्यादातर उत्पादित किया जाता है। ये तम्बाकू, सुपारी, कत्था, इलायची और पुदीना इनका गिला मिश्रण होता है। इसकी बिक्री खुले तरीके से होती है जिसमे छोटे पैकेट पर ना ही बनाने वाले का नाम होता है और नाही कोई छापा। 200 ग्राम दोहरा एक काग़ज़ में रखकर उसे रब्बर से बाँध देते हैं और 2 रुपये से लेकर 10 रुपये में इसे बेचा जाता है। इसका विपणन दो प्रकार से किया जाता है: एक अथवा दो पैकेट में। एक पैकेट जब बेचते हैं तो वो सिर्फ दोहरे का मिश्रण रहता है और जब दो पैकेट बेचते हैं तो उसमे से एक पैकेट में तम्बाकू के बिना वाला मिश्रण और दुसरे में सुरती अथवा जर्दा ये तम्बाकू के प्रकार होते हैं। इस्तेमाल करने वाला अपने नशे के हिसाब से तम्बाकू की मात्रा कम ज्यादा करके दोनों मिश्रित करता है। मान्यता थी की 50% से भी ज्यादा जौनपुर दोहरा खाता है। निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर तम्बाकू का निर्माण किया जाता है। इन पत्तों की कोशिकाओं में सोलानेसोल, नायट्रईल्स, पायरीडीन्स और सबसे महत्वपूर्ण निकोटिन रहता है जिससे कैंसर हो सकता है। इसे नशा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है तथा इसकी लत लग जाती है। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, पानमसाला, गुटखा, मावा, खैनी, जर्दा, मिश्री आदि तम्बाकू से बनाने वाले प्रकार हैं। तम्बाकू और उसके सभी प्रकार स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इससे कैंसर, रक्तचाप, हृदयरोग जैसी बीमारियाँ होती हैं। भारत के कई राज्यों ने तम्बाकू का उत्पादन और उसके प्रकार पर पाबंदी लगा दी है। जौनपुर में 2013 से दोहरा और तम्बाकू के अन्य पदार्थों पर सरकार ने पाबंदी लगा दी है क्यूंकि इसे खाने से कैंसर और अन्य सम्बंधित बिमारियों से मृत्यु दर बढ़ गया था। लेकिन आज भी जौनपुर में इसका गैर क़ानूनी उत्पादन और व्यवसाय हो रहा है। फेसबुक पर इसके इस्तेमाल के खिलाफ एक पन्ना ‘बेन दोहरा इन जौनपुर’ (जौनपुर में तम्बाकू पर पाबंदी लगाओ) भी बनाया गया है जिसपर जौनपुर में दोहरा और अन्य तम्बकुजन्य चीजों पर पाबन्दी लगाने के लिए अच्छा काम किया जा रहा है। प्रस्तुत चित्र में से पहला एक पनवाड़ी का है किस्मे अलग प्रकार के तम्बाकू के उत्पाद देखे जा सकते हैं और दूसरा जौनपुर के एक तम्बाकू खेत है। 1. जौनपुर ए गज़ेटियर, बीइंग वॉल्यूम xxviii 1908 https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.12881/2015.12881.Jaunpur-A-Gazetteer-Being-Volume-Xxviii_djvu.txt 2. सेन्सस ऑफ़ इंडिया 2011 उत्तर प्रदेश http://www.censusindia.gov.in/2011census/dchb/0963_PART_B_DCHB_0963_JAUNPUR.pdf 3. रिपोर्ट ओन ओरल टोबाको यूज़ एंड इट्स इम्प्लिकेशन इन साउथ ईस्ट एशिया, डब्लू.एच.ओ सीएरो 2004 http://www.searo.who.int/tobacco/topics/oral_tobacco_use.pdf 4. मुग़ल एम्पायर 1526-1707 http://www.san.beck.org/2-9-MughalEmpire1526-1707.html
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