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हमारे शहर जौनपुर में अब पशुपालकों के लिए उनके पशुओं के उपचार में आने वाली बाधा खत्म हो गई है। हमारे जिले के लिए अब शासन द्वारा, पशु चिकित्सा हेतु चालकों सहित एंबुलेंस (Ambulance) का बंदोबस्त किया गया है। जौनपुर जिले में अभी तक चार पशु एंबुलेंस पहुंच भी गई है। और जल्द ही सभी चिन्हित अस्पतालों में एंबुलेंस सहित चिकित्सकों का एक चलनशील संघ भी स्थापित हो जाएगा। जिले में स्वीकृत पदों से कम चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों के होने से पशु चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित है। साथ ही, तैनात चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी अपने मूल कार्य अर्थात चिकित्सा के अलावा अन्य कार्यों जैसे कि टीकाकरण, चुनाव ड्यूटी, परीक्षा व विभिन्न कार्यों के सत्यापन आदि में भी व्यस्त रहते हैं जिससे पशु चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित होती है । परंतु सरकार अब इस स्थिति को बेहतर बनाने के लिए विचार कर रही है।
सरकार दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और पशुओं को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले में ‘मोबाइल पशुचिकित्सा इकाई’ (Mobile Veterinary Unit) स्थापित कर रही है। जिले में एक लाख पशुओं के लिए एक यूनिट कार्यरत होगी। एक यूनिट में चिकित्सक, औषधि विशेषज्ञ व एम्बुलेंस चालक सुबह आठ बजे से दोपहर में दो बजे तक सूचना मिलते ही पशुपालकों के घर जाकर पशुओं का उपचार करेंगे। इसके अलावा, यह संघ पशुओं में संक्रामक बीमारी और महामारी फैलने पर तत्काल रोकथाम के उपाय भी करेगा। इसी के साथ कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण आदि सेवाएं भी पशु पालकों को घर बैठे ही मिल जाएंगी। जिले में ऐसी 11 इकाइयां स्थापित होंगी। इनमें से अब तक चार पशुचिकित्सा इकाई कार्यरत है, और जल्द ही बाकी सात इकाइयां भी आ जाएंगी।
आज कई महामारियों के आम हो जाने के कारण, मानव और पशु स्वास्थ्य पर अनुसंधान में अधिक सहयोग और तालमेल बनाने की तत्काल आवश्यकता है। भारत में कुल पशुधन की आबादी 1.6 बिलियन है। जबकि, लगभग 280 मिलियन किसान अपनी आजीविका के लिए पशुधन और इससे संबंधित उद्योगों पर निर्भर हैं। व्यापार के दृष्टिकोण से, देश में डेयरी उद्योग का मूल्य 160 बिलियन डॉलर है, जबकि मांस उद्योग का मूल्य 50 बिलियन डॉलर है। इसके अलावा, पशुधन और इससे संबंधित उद्योगों का वन्य जीवन और मनुष्यों के साथ महत्वपूर्ण संबंध है। आज, जलवायु परिवर्तन और अप्रत्याशित मौसम की वर्तमान स्थिति में, पशुपालन कई किसानों के लिए विश्वसनीय आय स्रोत के रूप में उभर रहा है।
विश्व स्तर पर, हमने वर्ष 2000 से 2010 तक कई रोगों के प्रकोप के लगभग 9,580 मामले देखे हैं, जिनमें से 60% रोग पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले यानी जूनोटिक (Zoonotic) थे। इसी तरह, दुनिया भर में बीमारी के प्रकोप की घटनाएं 6% की वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate) के साथ बढ़ रही हैं। भारत में, जूनोटिक रोगों का वार्षिक प्रकोप अर्थव्यवस्था में 12 बिलियन डॉलर के अनुमानित वार्षिक नुकसान में बदल जाता है। भले ही ये रोग मानव स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित नहीं करते हैं, किंतु ये राष्ट्रीय स्तर पर किसानों, निर्यात और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
भारत सरकार का पशुपालन और डेयरी विभाग (Department of Animal Husbandry and Dairying) पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा के साथ-साथ इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु आर्थिक तैयारी रखने के लिए निवेश बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है; ताकि भारत पशु महामारी की तैयारी में विश्व में अग्रणी बन सके। इसके लिए, पशुपालन और डेयरी विभाग ने गेट्स फाउंडेशन (Gates Foundation) के सहयोग से एक समर्पित ‘वन हेल्थ यूनिट’ (One Health Unit) की स्थापना की है। यूनिट के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक लक्ष्य पशु महामारी के लिए तैयारी वाले इस मॉडल के साथ आंकड़ों के भंडारण और आदान-प्रदान और पशुधन स्वास्थ्य पर जानकारी के लिए एक तंत्र बनाना है। इसे ‘राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन’ (National Digital Livestock Mission) के माध्यम से लागू किया जाएगा।
भारत में पशु स्वास्थ्य उद्योग के विकास हेतु, कंपनियां अब ‘पशुपालन इंफ्रास्ट्रक्चर फंड’ (Animal Husbandry Infrastructure Fund) के तहत पशु वैक्सीन (Animal vaccine) और संबंधित बुनियादी ढांचे की स्थापना और विस्तार के लिए प्रोत्साहन प्राप्त कर सकती हैं।
इसके अतिरिक्त, विभाग ने पशुपालन से संबंधित प्रमुख संगठनों एवं संस्थाओं के सहयोग से पशु स्वास्थ्य के लिए एक विशेष समिति का गठन भी किया है। इसका लक्ष्य देश में पशु स्वास्थ्य के नियामक पारिस्थितिकी तंत्र को कारगर बनाना है। राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन के तहत देश के सभी पशु रोग निदान करने वाली प्रयोगशालाओं (Laboratory) को एक विशेष पोर्टल (Portal) पर लिंक (Link) भी किया गया है।
पशु महामारी के लिए तैयारी वाले एक सफल मॉडल के लिए, पशु दवाओं और टीकों के साथ-साथ पशु स्वास्थ्य से संबंधित भागीदारों अर्थात विभिन्न संस्थाओं और संगठनों के साथ सहज समन्वय की आवश्यकता होगी। पशु महामारी की तैयारी की यह पहल, वन्यजीवों और मानवों के बीच बीमारियों के संबंध में वर्तमान समय की जानकारी को जोड़ने और उसकी तुलना करने में सक्षम होगी। इससे रोग के प्रकोप के पूर्वानुमान के लिए एक विश्वसनीय तंत्र तैयार होगा।
इस प्रकार, तैयार हो रहे गतिशील मॉडल से पशु रोग निगरानी में वृद्धि होगी, ताकि हम अगले महामारी के प्रकोप से पहले बेहतर तरीके से इसके लिए तैयार रह सकेंगे। भारत की यह पहल भविष्य में वैश्विक पशु महामारी की तैयारी के प्रयासों का नेतृत्व भी कर सकती है।
संदर्भ
https://bit.ly/3KWUVox
https://bit.ly/3omSzYw
चित्र संदर्भ
1. पशु मोबाइल चिकित्सा इकाई को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. भारत की पहली पशु एम्बुलेंस सेवा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. एक बीमार गाय को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
4. गाय के टीकाकरण को दर्शाता एक चित्रण (PIXNIO)
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