ईद विशेष:जौनपुर की जामा मस्जिद में उर्दू,संस्कृत शिलालेख दर्शाते वास्तुकला शैली व् संस्कृतियों का मिश्रण

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
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ईद विशेष:जौनपुर की जामा मस्जिद में उर्दू,संस्कृत शिलालेख दर्शाते वास्तुकला शैली व् संस्कृतियों का मिश्रण

हमारे शहर जौनपुर में स्थित जामा मस्जिद, जिसे बड़ी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है,, को भारत की कुछ सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक माना जाता है। इस मस्जिद का निर्माण जौनपुर सल्तनत के हुसैन शाह शर्की द्वारा 15वीं शताब्दी में कराया गया था । यह मस्जिद यकीनन, वास्तुकला की एक विशिष्ट कृति हैं। यह मस्जिद जौनपुर के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से भी एक है। यहां हर दिन नियमित पांच बार नमाज अदा की जाती है, जबकि प्रत्येक शुक्रवार के दिन विशेष नमाज भी अदा की जाती है। इस मस्जिद की नींव वर्ष 1438 में इब्राहिम शाह द्वारा रखी गई थी। लेकिन जमीनी स्तर के ऊपर इसके निर्माण का पहला चरण 1440 में उनकी मृत्यु के बाद शुरू हुआ। इस परिसर का निर्माण कई चरणों में हुआ और अंततः 1473 में इस मस्जिद को अंतिम शर्की सम्राट हुसैन शाह द्वारा पूरा किया गया । जामा मस्जिद जौनपुर में तीन सबसे प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है, जबकि दो अन्य, अटाला मस्जिद और लाल दरवाजा मस्जिद हैं। इन दोनों मस्जिदों में से यह सबसे बड़ी और नई भी है। जामा मस्जिद और लाल दरवाजा मस्जिद काफी हद तक अटाला मस्जिद की वास्तुकला पर आधारित हैं। इस वास्तुकला शैली की सभी मस्जिदों को एक प्रांगण के चारों ओर बनाया गया है, जिसमें उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम चारों दिशाओं की ओर चार बड़े द्वार हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण द्वार पश्चिम दिशा (मक्का की ओर) की ओर बनाया गया है और इसमें पिश्ताक (मुख्यद्वार) और गुंबद शामिल हैं। यह मस्जिद एक ऐसे आधार पर बनी है, जो लगभग 20 फीट ऊँचा है और इस पर सीढ़ियों की सहायता से ही पहुँचा जा सकता है। यह तथ्य इस मस्जिद को अटाला मस्जिद से अलग बनाता है, जिसका कोई आधार नहीं है। और इसी कारण यह मस्जिद दिल्ली की कई मस्जिदों के समान है। हालांकि इस मस्जिद की सामान्य शैली दिल्ली की मस्जिदों से प्रभावित है। पिश्ताक के किनारे के कुछ मेहराब बंगाल की मस्जिदों से प्रभावित माने जाते हैं। इसका प्रांगण चारों ओर से दो मंजिला मठों से घिरा हुआ है। प्रत्येक मठ के केंद्र में एक–एक गुंबद के नीचे एक प्रवेश कक्ष स्थित है।
पश्चिम की दीवार में कई मेहराब बने हैं, जिनमें से प्रत्येक मेहराब पर अलंकृत नक्काशी की गई है। मस्जिद का पिश्ताक 200 फीट से अधिक लंबा है और इसके पीछे बना गुंबद 38 फीट व्यास का है। दरवाज़े के दोनों तरफ 70 फीट लंबे दो प्रभावशाली प्रोपाइलॉन (Propylons) हैं जिन्हें कई मेहराबों से सजाया गया है। यह मस्जिद ईंटों से बनी है, जिनमें से कुछ ईंटों को पहले से मौजूद हिंदू मंदिरों से इकट्ठा किया गया था। हालाँकि,शर्की वास्तुकला की सामान्य शैली में न्यूनतम अलंकरण शामिल है, लेकिन हिंदू मंदिरों से इकट्ठा किए गए इन टुकड़ों में से कुछ अत्यधिक अलंकृत थे। शर्की राजवंश अपने इतिहास में तुगलक राजवंश से अलग हुआ था और यह घटना इसकी वास्तुकला में परिलक्षित होती है। जौनपुर की जामा मस्जिद, बेगमपुरी मस्जिद के उच्च स्मारक मेहराब के साथ समानता रखती है। जबकि, मेहराब के पीछे यहां गुंबद बनाया गया है,जो तुगलक सल्तनत की मस्जिद वास्तुकला की एक विशेषता थी।
जामा मस्जिद में कई शिलालेख भी हैं। केंद्रीय मेहराब के चारों ओरकुरान की दो आयतें हैं, एक तुघरा अक्षरों में सूरह अल-फत से धर्मांतरण की विधि का वर्णन करती है और दूसरी अरबी अक्षरों में सूरा अल-बकरा से है, जो अल्लाह की सर्वशक्तिमानता की प्रशंसा करता है। आश्चर्य की बात यह है कि यहां पर एक अन्य शिलालेख भी है जो 6वीं शताब्दी से मौखरी वंश का एक संस्कृत पाठ है। यह शायद राजा ईश्वर वर्मन के पुत्र ईशान वर्मन के शासनकाल से लिया गया है। संस्कृत अभिलेख में प्रथम चार मौखरी शासकों का वर्णन एवं प्रशंसा की गई है। इस शिलालेख की यहां उपस्थिति मस्जिदों के निर्माण में स्थानीय हिंदू सामग्रियों के पुन: उपयोग का संकेत है।
मौखरी राजवंश गुप्त वंश के बाद उभरा एक वंश था। इस राजवंश ने राजधानी कन्नौज से अपनी छह पीढ़ियों से अधिक समय तक गंगा–यमुना नदियों के विशाल मैदानों को नियंत्रित किया था। उन्होंने पहले गुप्तों और बाद में वर्धन वंश के जागीरदारों के रूप में सेवा की थी, किंतु बाद में उन्होंने छठी शताब्दी के मध्य में अपनी स्वतंत्रता स्थापित कर ली थी । इस वंश ने उत्तर प्रदेश और मगध के अधिकांश हिस्सों पर शासन किया था। जबकि,बाद में उनके साम्राज्य का एक बड़ा क्षेत्र उनके पश्चात आए गुप्तों द्वारा अपने कब्जे में ले लिया गया था। मौखरी कट्टर हिन्दू थे। उन्होंने लोगों के बीच पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था को लागू करने और बनाए रखने की कोशिश की थी।

संदर्भ

https://bit.ly/41d8kjb
https://bit.ly/3oiBMWF
https://bit.ly/3okxNJd
https://bit.ly/3ogghpo

चित्र संदर्भ

1. ‘जौनपुर की जामा मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
2. जामा मस्जिद, जौनपुर के मुख्य प्रांगण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. जामी मस्जिद के पश्चिमी आधे हिस्से की योजना को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जौनपुर में 15 वीं शताब्दी की बड़ी मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कन्नौज के मौखरी के राजा ईशानवर्मन के सिक्के को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)