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वायरल संक्रमण के इस दौर में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक है, विटामिन C

जौनपुर

 19-04-2023 09:24 AM
साग-सब्जियाँ

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को अच्छा बनाए रखने के लिए विटामिन C बहुत आवश्यक पोषक तत्व है। जब भी किसी को डेंगू होता है, तो उसकी भूख कम हो जाती है।ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को विटामिन C से भरपूर फलों जैसे नीबू, संतरे, स्ट्रॉबेरी, कीवी, पपीता, और अमरूद का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व तो प्राप्त होते ही हैं, साथ ही यह पेट के लिए भी अच्छा होता है। विटामिन C, संयोजी ऊतकों के विकास और रखरखाव के लिए आवश्यक है। यह हड्डियों के निर्माण, घाव भरने और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विटामिन C कई चयापचय कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसमें विटामिन B,फोलिक एसिड (Folic acid) की सक्रियता, कोलेस्ट्रॉल का पित्त अम्लों में रूपांतरण, और अमीनो एसिड (Amino acid), ट्रिप्टोफैन (Tryptophan) का सेरोटोनिन (Serotonin) में रूपांतरण शामिल है।यह एक एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) है जो शरीर को ‘फ्री रेडिकल्स’ (Free radicals) या मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाता है।यह कई रोगों और विकारों में चिकित्सीय कारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली की रक्षा करता है, एलर्जी से होने वाली प्रतिक्रियाओं की गंभीरता को कम करता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। विभिन्न मानव रोगों जैसे कैंसर (Cancer), एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis), मधुमेह, न्यूरोडीजेनेरेटिव (Neurodegenerative) रोग और धातु विषाक्तता के प्रभाव को कम करने के लिए विटामिन C बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सामान्य शारीरिक कार्यों के लिए शरीर को विटामिन C की आवश्यकता होती है। यह जहां टाइरोसिन (Tyrosine), फोलिक एसिड और ट्रिप्टोफैन के संश्लेषण और चयापचय में मदद करता है, वहीं ग्लाइसिन (Glycine), प्रोलाइन (Proline), लाइसिन कार्निटाइन (Lysine carnitine) और कैटेकोलामाइन (Catecholamine) के हाइड्रॉक्सिलेशन (Hydroxylation) में मदद करता है। यह फेरिक (Ferric) को फेरस (Ferrous) अवस्था में बदलकर आंत में आयरन के अवशोषण को भी बढ़ाता है।
विटामिन C की कमी से अक्सर एनीमिया (Anaemia), संक्रमण, मसूड़ों से खून आना, स्कर्वी (Scurvy), घाव भरने में देरी होना, केशिका रक्तस्राव, मांसपेशियों का कमजोर होना आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए विटामिन C की एक उचित मात्रा का सेवन करने की सलाह दी जाती है।इस फल के कैंसर रोधी गुणों से पेट के कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। विटामिनC का एक महत्वपूर्ण स्रोत ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) भी है।इसमें कई आवश्यक और ऊर्जा प्रदान करने वाले घटक होते हैं, जो इसे बाजार में मिलने वाले अन्य फलों से अलग और अधिक लाभदारी बनाते हैं। इस फल का उपयोग जैम, फलों का रस, आइसक्रीम, जेली (Fruit Jelly), वाइन (Wine) और फेस पैक (Face pack) बनाने के लिए किया जा सकता है। सामान्य तौर पर, यह थाईलैंड (Thailand), वियतनाम (Vietnam), इज़राइल (Israel) और श्रीलंका (Sri Lanka) का लोकप्रिय फल है, लेकिन अब यह भारत में भी लोकप्रिय हो रहा है। भारत में एक किलोग्राम ड्रैगन फ्रूट की कीमत 150 रुपए से लेकर 250 रुपए के बीच है। जहां बारिश की संभावना कम होती है वहां आपको इस फल की सबसे ज्यादा पैदावार मिलेगी। इसकी फसल का मुख्य लाभ यह है कि सबसे कठोर जलवायु और सबसे खराब मिट्टी में भी यह पनप सकता है।हालांकि अच्छी पैदावार के लिए 40 से लेकर 60 सेंटीमीटर की वार्षिक वर्षा के साथ उष्णकटिबंधीय जलवायु आवश्यक है। इसकी फसल को उगाने के लिए आदर्श तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।यह फल चिकनी मिट्टी से लेकर बलुई मिट्टी तक में उगाया जा सकता है। ड्रैगन फ्रूट उगाने के लिए मिट्टी का आदर्शpH रेंज 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। भारत में कमलम या ड्रैगन फ्रूट की खेती का मौजूदा क्षेत्र 3,000 हेक्टेयर है।बागवानी के एकीकृत विकास के लिए बनाए गए मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture) के तहत पांच वर्षों में इसके 50,000 हेक्टेयर तक बढ़ने की उम्मीद है।विटामिन C से भरपूर ड्रैगन फ्रूट जहां स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, वहीं जौनपुर के किसानों के लिए यह फायदे का सौदा साबित हो सकता है, क्यों कि भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती का कुल मौजूदा क्षेत्रफल (3,000 हेक्टेयर) घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
भारतीय बाजार में उपलब्ध ड्रैगन फ्रूट का अधिकांश हिस्सा थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम और श्रीलंका से आयात किया जाता है। यदि भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती के क्षेत्र में विस्तार किया जाता है, तो फल के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके उत्पादन के लिए जौनपुर की मिट्टी और जलवायु अनुकूल है, इसलिए इसका उत्पादन जौनपुर के किसानों के लिए काफी फायदेमंद है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3A4l0NK
https://bit.ly/3UHS3jR
https://bit.ly/40dEXw3
https://bit.ly/3A1Lq2s

चित्र संदर्भ
1. विटामिनC के एक महत्वपूर्ण स्रोत ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. विटामिनC की रासायनिक संरचना को दर्शाता एक चित्रण ( Store medisinske leksikon)
3. कटे हुए ड्रैगन फ्रूट को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
4. ड्रैगन फ्रूट उद्यान को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)



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