Post Viewership from Post Date to 17-May-2023
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1893 483 2376

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

समुद्री व्हेल को भोजन के तौर पर खाना कितना उचित है?

जौनपुर

 13-04-2023 10:38 AM
समुद्र

इंसानों की भूख आज पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। उदाहरण के तौर पर, आज समुद्री भोजन दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है। परिणामस्वरूप भोजन के तौर पर मछलियों की मांग बढ़ रही है। नतीजतन छोटी से छोटी मछलियों से लेकर विशालकाय व्हेल (Whale) भी विलुप्त होने की कगार पर खड़ी हैं। लेकिन क्या वास्तव में भोजन के लिए इनका शिकार करना या मारना उचित है?
व्हेल स्तनधारी प्राणी हैं , जो कि अन्य स्तनधारियों की भांति केवल पानी की सतह पर आकर सांस ले सकते हैं । व्हेल हमेशा पानी में तैरती रहती हैं और उन्हें तैरते रहने के लिए बड़ी मात्रा में भोजन की जरूरत होती है। सौभाग्य से, महासागर उन्हें विभिन्न प्रकार के भोजन विकल्प प्रदान करते हैं। ब्लू व्हेल (Blue Whale) पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे बड़े जानवर हैं और मुख्य रूप से क्रिल (Krill) खाते हैं। उन्हें अत्यधिक भूख लगती है, और वे प्रतिदिन तकरीबन चार टन तक क्रिल की खपत कर सकते हैं।
आज महासागरों में बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण व्हेल और अन्य समुद्री जीवों के लिए गंभीर खतरा बन गया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, कि पानी में मछली की तुलना में प्लास्टिक अधिक होगा । प्लास्टिक अपचनीय होता है, और इसे निगलना व्हेल तथा अन्य प्राणियों के लिए बेहद घातक हो सकता है। लेकिन व्हेल के लिए इससे भी बड़ा खतरा उनके सामने खड़ा है। दरअसल व्हेल, डॉल्फिन (Dolphins) और पॉपस (Porpoises) का मांस, कुछ संस्कृतियों में बेहद स्वादिष्ट माना जाता है जबकि अन्य संस्कृतियों में मीट की तुलना में इसकी मांग अपेक्षाकृत कम है। हालांकि, दशकों से वाणिज्यिक व्हेलिंग (Commercial Whaling) अर्थात भोजन हेतु व्हेल के शिकार का विरोध किया जा रहा है, लेकिन आइसलैंड (Iceland), जापान (Japan) और नॉर्वे (Norway) जैसे कुछ देशों में अभी भी व्हेल का मांस बड़ी मात्रा में भोजन के रूप में पसंद किया जाता है। कुछ अन्य स्थानों जैसे सेंट विंसेंट (St. Vincent) और ग्रेनेडाइंस (Grenadines), इंडोनेशिया (Indonesia) और कुछ दक्षिण प्रशांत द्वीपों में व्हेल के मांस का स्थानीय स्तर पर भी सेवन किया जाता है। दुर्भाग्य से पूरे मध्य युग के दौरान यूरोप (Europe) में मांस और तेल के लिए व्हेल का शिकार किया गया था। जिससे अतिदोहन के कारण यहां के महासागरों में व्हेल की संख्या का तेजी से पतन हुआ और यूरोपीय व्हेलर्स (व्हेल के शिकारी) को व्हेल पकड़ने के लिए नए समुद्रों की तलाश करनी पड़ी। और आज स्थिति यह है, कि व्हेल की कुछ प्रजातियाँ पूर्णतः लुप्तप्राय हो चुकी हैं।
हालांकि, कुछ संस्कृतियाँ आज वन्यजीव संरक्षण और पशु अधिकारों के आधार पर इसकी खपत का विरोध करती हैं। वहीं कुछ स्वदेशी समूहों का तर्क है कि व्हेल का मांस उनके सांस्कृतिक अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के तौर पर, जापान ‘अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग’ (International Whaling Commission (IWC) की सदस्यता छोड़ रहा है। दरसल ‘अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग’ (IWC) व्हेलिंग के नियमन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा 1946 में स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य व्हेल स्टॉक (Whale Stock) को उचित संरक्षण प्रदान करना और व्हेलिंग के नियमन के लिए सिफारिशें करना है।
जापान इस संगठन की सदस्यता अपने तटीय जल क्षेत्र में व्हेल का शिकार फिर से शुरू करने के लिए छोड़ रहा है, जिस कारण इन जीवों के संरक्षण को लेकर चिंता बढ़ गई है। वसा की मोटी परत के नीचे की परत से निकाले गए व्हेल के तेल का पहला उल्लेख 1059 ईसा पूर्व का है, जब आइबेरिया के बास्क (Basque of Iberia) देश के निवासियों द्वारा इसकी खोज की गई थी । उस दौरान व्हेल का तेल दुनिया भर में रोशनी का एक प्रमुख स्रोत माना जाता था, और इसने औद्योगिक क्रांति की शुरुआत को बढ़ावा दिया। हालांकि, मिट्टी के तेल जैसे पेट्रोलियम आधारित उत्पादों के वैकल्पिक स्रोतों ने 1859 में व्हेल के तेल की जगह लेना शुरू कर दिया। हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों की तुलना में कम उपलब्धता और कम गुणवत्ता को देखते हुए तेल के लिए व्हेल का शिकार 1800 के दशक के अंत में काफी कम हो गया था, लेकिन व्हेल के पारंपरिक शिकारी समुदायों द्वारा मांस के लिए व्हेल का शिकार जारी रहा।
1931 और 1938 के व्हेलिंग के नियमन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (IWC) में व्हेल का शिकार करने वाले देश शामिल थे, जिसके कारण 1946 में आई डब्लू सी का पुनर्गठन हुआ। अब, जापान अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग से बाहर हो रहा है और अपने तटीय जल और विशेष आर्थिक क्षेत्र में व्हेल का शिकार फिर से शुरू कर रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान पर अमेरिका (America) के प्रतिबंधों का भारी दबाव था, इसलिए जापान ने व्हेल का मांस जापान में प्रोटीन का सबसे आसान स्रोत होने के बावजूद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शांति समझौते में खलल डालने से परहेज किया। लेकिन आज जापान के इस कदम ने पशु-अधिकार कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों और संरक्षणवादियों के बीच चिंता बढ़ा दी है। इस्लाम की हनफ़ी विचारधारा में भी मछली खाना, हराम अर्थात अवैध माना जाता है। लेकिन शार्क (Shark) और व्हेल जो कि स्तनधारी जीव हैं, क्या इन्हें खाना उचित है? एक हदीस (इस्लामिक पैग़म्बर मुहम्मद के कथनों, कार्यों या आदतों का वर्णन करने वाले विवरण या रिपोर्ट) के अनुसार, अबू उबैदा इब्न अल-जर्राह अपने साथियों के साथ एक बार अपनी यात्रा के समय, जब उनके पास भोजन समाप्त हो गया तो 18 दिनों तक एक मछली को खाकर जीवित रहे। यह मछली व्हेल थी ।हालांकि आज जब यह सर्व विदित है कि व्हेल एक स्तनपायी है न कि मछली। तो अगर हनाफ़ियों के अनुसार केवल मछली हलाल है, तो क्या व्हेल हलाल है? हालांकि, इब्न आबेदीन ने पुष्टि की कि अगर शुरुआती अरबी लोग व्हेल को मछली मानते हैं, तो हम भी इसे मछली मानेंगे । इसलिए इसे हलाल होना चाहिए। इस्लाम में एक फतवा (संख्या 1116/1138/L=09/1436) जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि प्राणी वैज्ञानिकों द्वारा दी गई मछली की परिभाषा को व्हेल पर भी लागू किया जाना चाहिए। यदि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई स्तनधारियों की परिभाषा व्हेल पर सटीक बैठती है, जो एक रीढ़ की हड्डी वाला प्राणी है जो केवल पानी में रहता है और गलफड़ों से सांस लेता है, तो उसे स्तनपायी होने के बावजूद इसे खाने की अनुमति दी जाती है। मुफ्ती किफायतुल्लाह साहब का मानना है कि व्हेल, जिसे वह अनबर मछली कहते हैं, इस परिभाषा के अंतर्गत आती है और इसलिए इसे खाना वास्तव में हलाल (अनुमेय) है।

संदर्भ
https://rb.gy/u6jlv
https://rb.gy/vkayg
https://rb.gy/5uvb8
https://rb.gy/xll2y
https://rb.gy/x9t14

चित्र संदर्भ

1. व्हेल मछली के मांस को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. ब्लू व्हेल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक जहाज और एक व्हेल मछली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग के सदस्यों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. फिन व्हेल को दर्शाता चित्रण (Flickr)
6. जोनाह और व्हेल को दर्शाता चित्रण (Picryl)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id