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आज हम सभी पवित्र ईस्टर (Easter) का त्योहार मना रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रभु ईसा मसीह सूली पर चढ़ाए जाने के तीसरे दिन बाद फिर से जीवित हो उठे थे, तथा इसलिए इस खुशी को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि ईस्टर के दिन प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों के साथ रोटी खाई थी तथा एक ही प्याले से पानी पिया था। क्रिसमस की तरह ही ईस्टर से कई परंपराएं जुड़ गई हैं, लेकिन कुछ परंपराएं प्रभु ईसा मसीह के पुनः जीवित होने से सम्बंधित नहीं हैं। इनकी उत्पत्ति मुख्य रूप से लोगों द्वारा बनाए गए रीति-रिवाजों से हुई है। ईस्टर में मेमने की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। ईसाई धर्मग्रंथों के अनुसार मेमना संसार के सभी पापों को अपने साथ ले जाता है। पुराने समय में ईसाई लोग मेमने के मांस को वेदी के नीचे रखते थे, उसे आशीर्वाद देते थे और फिर ईस्टर के दिन उस मांस को खाते थे। 12वीं सदी के बाद से लेंटेन (Lenten) उपवास को ईस्टर के दिन समाप्त किया जाता है, जिसमें अंडों, पनीर, ब्रेड, मिठाइयों आदि का सेवन किया जाता है। ईस्टर के दिन उपयोग किए जाने वाले अंडे पहले सामान्य होते थे, लेकिन 13वीं शताब्दी से ईस्टर के मौके पर चित्रित और सजावटी अंडों का उपयोग किया जाने लगा। चर्च ने पवित्र सप्ताह के दौरान अंडे खाने पर रोक लगा दी, लेकिन पवित्र सप्ताह के दिन मुर्गियां द्वारा दिए गए अंडों को "पवित्र सप्ताह" के अंडे के रूप में पहचाना जाता है। शायद यही कारण है कि उन अंडों को विशेष तौर पर सजाया जाता है।
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