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ब्लॉक प्रिंट (Block print) भारत की एक ऐसी अनूठी कला है जो भारतीय कारीगरों को विश्व में सम्माननीय एवं गर्वित स्थान प्रदान करती है। लकड़ी के ब्लॉक का उपयोग करके कपड़े की रंगाई करने की सदियों पुरानी यह कारीगरी पीढ़ी दर पीढ़ी सिद्ध होती जा रही है। चाहे वह राजस्थान का लोकप्रिय बगरू प्रिंट हो, या गुजरात का अजरक प्रिंट, ब्लॉक प्रिंट की यह कला देश की विशाल विरासत और समृद्ध संस्कृति का प्रतीक है। आखिरकार, भारत विश्व में ब्लॉक प्रिंट के कपड़ों के सबसे बड़े निर्माताओं और निर्यातकों में से एक देश है।
भारतीय ब्लॉक प्रिंट के सबसे पुराने रिकॉर्ड मिस्र की प्राचीन सभ्यता में पाए गए हैं। ब्लॉक प्रिंटेड कपड़ों का दर्ज इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से लगभग 3500 से 1300 ईसा पूर्व का है। हड़प्पा काल से ही वस्त्रों विशेषकर कपास के निर्यात की पुष्टि होती है। मोहनजोदड़ो स्थल की खुदाई के दौरान मजीठ (मजीर पौधे की जड़ से प्राप्त एक लाल रंग या रंजक) से रंगे सुई, तकलियाँ और कपास के रेशों की खुदाई की गई थी। यह साबित करता है कि हड़प्पा कलाकार कपडे की रंगाई और ब्लॉक प्रिंटिंग से परिचित थ। हालांकि, मुगल संरक्षण के तहत ही भारत में ब्लॉक प्रिंटिंग का विकास हुआ। मुगलों ने जटिल पुष्प रूपांकनों की शुरुआत की, जो अभी भी राजस्थान के हाथ से बने ब्लॉक मुद्रित वस्त्रों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। कपास जैसे कपड़ों की छपाई और रंगाई की शुरुआत राजस्थान में हुई, और फिर इसे गुजरात द्वारा अनुकूलित किया गया। आज, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में इस कला का अभ्यास किया जाता है।
ब्लॉक प्रिंट से अभिप्राय नक्काशीदार लकड़ी के ब्लॉक का उपयोग करके कपड़े या कागज़ पर रंगीन मुद्रण करने से है। सरल शब्दों में, ब्लॉक प्रिंटिंग किसी कपड़े पर हाथ से डिजाइन मुद्रण करने या छापने की प्राचीन विधि है। ब्लॉक प्रिंटिंग मुद्रण विधियों में सबसे सरल विधि है। इस विधि में वांछित डिजाइन को लकड़ी या धातु के ब्लॉक पर उकेरा जाता है। और फिर उस ब्लॉक को रंग में डुबोकर कपड़े पर मुद्रित किया जाता है। ब्लॉक मुद्रण में अलग अलग डिज़ाइन बनाए जाते है। भारत में ब्लॉक प्रिंटिंग की व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली तीन मुख्य तकनीकें हैं- डायरेक्ट (Direct) प्रिंटिंग, रेजिस्ट (Resist) प्रिंटिंग और डिस्चार्ज (Discharge) प्रिंटिंग।
ब्लॉक प्रिंटिंग की प्रक्रिया एक कठिन प्रक्रिया है। एक ब्लॉक प्रिंट को पूर्ण करने के लिए 10-15 दिनों की आवश्यकता होती है। कपड़े पर ब्लॉक प्रिंट करने के लिए सबसे पहले कपड़े को स्टार्च (Starch) से धोया जाता है। यदि कपड़े को रंगने की आवश्यकता होती है, तो कपड़े की रंगाई इसी स्तर पर की जाती है। और यदि कपड़े पहले से ही रंगे हुए हैं, तो अतिरिक्त रंग को हटाने के लिए कपड़े को धोया जाता है, जिसके बाद इसे धूप में सुखाया जाता है। अगले चरण में प्रिंटिंग टेबल पर कपड़े को रखा जाता है। इस बीच, रंगों को तैयार किया जाता है और रंग को गोंद या पिगमेंट बाइंडर (Pigment binder) में मिलाया जाता है। इससे रंग आसानी से ब्लॉक पर फैलता है तथा रंग को इससे सही आधार भी मिलता है। साथ ही पिगमेंट बाइंडर की मदद से रंग कपड़ों पर बना रहता है।
प्रिंट के लिए प्रयुक्त ब्लॉकों को सागौन (Teak), गूलर (Sycamore) और नाशपाती (Pear) जैसे पेड़ों की लकड़ियों का उपयोग करके बनाया जाता है। और फिर इन ब्लॉकों पर वांछित जटिल डिजाइनों को उकेरा जाता है। इसके बाद, लकड़ी को नरम करने के लिए उन्हें 10-15 दिनों के लिए तेल में भिगोया जाता है।
एक बार ब्लॉक तैयार हो जाने के बाद, उन्हें रंग में डुबोया जाता है और फिर कपड़े पर दबाया जाता है। यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है जब तक कि पूरे कपड़े पर प्रिंट नहीं हो जाता । इसमें कारीगरों द्वारा पूरी सटीकता के साथ काम किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रूपांकनों में कोई गड़बड़ न हो। प्रिंट हो जाने के बाद कपड़ों को धूप में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है, और फिर उन्हें एक दूसरे से चिपकने से रोकने के लिए अखबार में लपेटा जाता है।
ब्लॉक प्रिटिंग के जहां एक तरफ कुछ लाभ हैं , जैसे कि, यह छपाई का सबसे आसान तरीका है, यह एक हस्तनिर्मित कला है तथा इसमें किसी विशेष मुद्रण उपकरण की आवश्यकता नहीं है| वही दूसरी ओर, इसके कुछ नुकसान भी हैं ,जैसे कि, यह थकाऊ और समय साध्य प्रक्रिया होने के साथ-साथ एक अत्यंत महँगी प्रक्रिया है क्योंकि इसका कुल उत्पादन कम है तथा ब्लॉकों को तराशना कठिन और श्रमसाध्य है|
ब्लॉक प्रिटिंग किस प्रकार की जाती है, यह हमने जान लिया है; आइए अब ब्लॉक प्रिटिंग की तकनीकों का भी अवलोकन करते है-
• डायरेक्ट प्रिंटिंग (Direct Printing)
कपड़े की छपाई या मुद्रण की सबसे आम शैली डायरेक्ट प्रिंटिंग या प्रत्यक्ष मुद्रण है। इस विधि में रंग को सीधे कपड़े पर लगाया जाता है। रंगों का उपयोग पेस्ट (Paste) के रूप में किया जाता है। यहां पेस्ट का अर्थ है– एक गाढ़ा, मुलायम, नम पदार्थ जो आमतौर पर एक तरल के साथ सूखी सामग्री को मिलाकर बनाया जाता है। यह छपाई की सबसे सरल, किफायती और पुरानी शैली है।
यह मुद्रण एक सफेद कपड़े या रंगीन कपड़े पर किया जा सकता है। रंग को पेस्ट के रूप में कपड़े पर अंकित किया जाता है और इससे किसी भी वांछित पैटर्न का उत्पादन किया जा सकता है। हल्के रंग वाले कपड़े पर गहरे रंग का मुद्रण डायरेक्ट प्रिंटिंग शैली की विशेषता है। प्रिंटिंग की इस शैली में, रंगीन पेस्ट को कपड़े के चयनित क्षेत्रों पर लगाया जाता है और इस तरह रंग कपड़े की सतह पर चिपक जाते हैं। मुद्रण की प्रत्यक्ष शैली का उपयोग ब्लॉक प्रिंटिंग, स्क्रीन प्रिंटिंग (Screen printing) या रोलर प्रिंटिंग (Roller printing) आदि विधियों में किया जाता है।
• डिस्चार्ज प्रिंटिंग (Discharge Printing)
इस विधि में डिज़ाइन को एक पहले से ही रंगे हुए कपड़े पर प्रिंट किया जाता है। इस पद्धति में उपयोग किए जाने वाले प्रिंटिंग पेस्ट में एक डिस्चार्जिंग एजेंट (Discharging agent) या ऐसा रसायन होता है, जो वांछित मुद्रित क्षेत्रों में रंगे हुए कपड़े से रंग को विरंजित (ब्लीच–Bleach) या नष्ट कर देता है। परिणामी ब्लीच क्षेत्र समग्र डिजाइन को उज्ज्वल करता है। इस तकनीक में कभी-कभी कपड़े का मूल रंग हटा दिया जाता है और उसके स्थान पर दूसरा रंग मुद्रित किया जाता है। पोटेशियम क्लोरेट (Potassium Chlorate) या सोडियम क्लोरेट(Sodium Chlorate) और स्टैनस क्लोराइड (Stannous Chloride) आमतौर पर डिस्चार्जिंग एजेंट की तरह प्रयुक्त होते हैं।
मुद्रण की इस शैली के कारण कपड़े पर जटिल और बारीक डिजाइनों को मुद्रित करना आसान हो जाता है। डिस्चार्ज शैली की सहायता से एक गहरे रंग के कपड़े पर हल्के एवं चमकीले रंग को आसानी से चढ़ाया जा सकता है एवं साथ ही यह शैली तेज और काम करने में आसान है। हालांकि इस पद्धति का प्रमुख नुकसान इसमें शामिल लागत है।
• रेजिस्ट प्रिटिंग (Resist Printing)
इस विधि में, ब्लीच किए गए किसी कपड़े को पहले मोम, चावल के पेस्ट, चीनी मिट्टी या फिर अम्ल, क्षार और लवण जैसे ऐसे रसायनों के साथ मुद्रित किया जाता है जो कपड़े पर किसी अन्य रंग को नहीं चढ़ने देते हैं। इसके बाद इस तरह मुद्रित कपड़े को ठंडे रंग में डुबाया जाता है, ताकि प्रतिरोधी एजेंट अप्रभावित रहे और केवल प्रतिरोधी एजेंट से मुक्त क्षेत्रों को ही रंगा जा सके। रंगाई प्रक्रिया के बाद, प्रतिरोधी पेस्ट को हटा दिया जाता है, जिससे गहरे रंग की पृष्ठभूमि पर सफेद या हल्के बेरंग पैटर्न बन जाते हैं।
कपड़ों पर मुद्रण की इन तकनीकों के बारे में जानने के बाद, अब शायद हम हमारे कपड़ों पर जो मुद्रण हुआ है उसकी शैली को पहचान सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3yYDTAR
https://bit.ly/3neozh6
https://bit.ly/3FGzqqc
चित्र संदर्भ
1. ब्लॉक प्रिंट तकनीक को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
2. वुड ब्लॉक प्रिंटेड साड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. वुड ब्लॉक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. राजस्थानी प्रिंट, जयपुर की ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ब्लॉक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पारंपरिक ब्लॉक प्रिंट तकनीक में कुशल महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. रेजिस्ट प्रिटिंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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