मेसोपोटामिया में हिंदू देवताओं की छवियाँ, दर्शाती हैं सिंधु घाटी सभ्यता से संबंध व समानताएं

जौनपुर

 20-03-2023 11:08 AM
ठहरावः 2000 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक

क्या आप जानते हैं कि वर्तमान इराक (Iraq) और कुवैत (Kuwait) के दायरे में पनपी एक शानदार सभ्यता मेसोपोटामिया (Mesopotamia) और भारत की सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) को विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक माना जाता है। मेसोपोटामिया सभ्यता (3200-600 ई. पूर्व) और सिंधु सभ्यता (2500-1500 ई. पूर्व) कालक्रम में काफी समय तक परस्पर समानांतर ही विकसित हुई। इसके अलावा और भी बहुत कुछ है, जिसे प्राचीन मेसोपोटामिया और प्राचीन भारत के बीच साझा किया गया है। प्राचीन भारत और प्राचीन मेसोपोटामिया उन स्थानों के उदाहरण हैं, जिन्हें एक उन्नत और प्रगतिशील समाज की नींव माना जाता है। प्राचीन भारत का पश्चिमी हड़प्पा शहर (Western Harappan city), अरब प्रायद्वीप के पास सुतकागेन डोर (Sutkagan Dor) में मकरान तट (Makran Coast) पर स्थित था। इसे दुनिया का सबसे पहला समुद्री व्यापारिक केंद्र माना जाता है। इस व्यापारिक तट के माध्यम से, प्राचीन भारत और फारस की खाड़ी (निचले मेसोपोटामिया) के बीच व्यापार होता था। शोधकर्ताओं के अनुसार, मेसोपोटामिया के लोगों ने भारतीय उपमहाद्वीप को बेहतर ढंग से समझने के लिए भारत में प्रचलित धर्म ‘हिंदू धर्म’ का भी अध्ययन किया था। मेसोपोटामिया से सिंधु घाटी की कलाकृतियां और मुहरें भी प्राप्त हुई हैं। इतिहासकार हेनरी हॉल (Henry Hall) के अनुसार, ऐसा भी माना जाता है कि सुमेरियन (Sumerians), जिन्होंने मेसोपोटामिया में 4000 से 2000 ईसा पूर्व तक शासन किया था, यहां मूल रूप से भारत से आकर बसे होंगे। जर्नल ‘प्लोस’ (Plos) में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, प्राचीन मेसोपोटामिया के कंकाल के डीएनए (DNA) का हालिया आनुवंशिक विश्लेषण भारत से महत्वपूर्ण संबंधों की पुष्टि करता है। पुरातत्वविदों द्वारा उर (Ur) (प्राचीन मेसोपोटामिया में एक प्रभावशाली सुमेरियन शहर-राज्य) में 2600 ईसा पूर्व की कब्रों से, प्राचीन भारत (सिंधु घाटी) से प्राप्त कार्नेलियन (Carnelian) की खोज की गई है, जो कि भूरे रंग के खनिज होते हैं, और जिन्हें आमतौर पर अर्द्ध कीमती रत्न के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
माना जाता है कि कार्नेलियन मोतियों को स्पष्ट रूप से सिंधु घाटी से आयात किया गया था और प्राचीन भारतीयों (हड़प्पा) द्वारा आविष्कृत एसिड-नक़्क़ाशी की एक तकनीक के साथ बनाया गया था। इसी प्रकार मेसोपोटामिया से भी प्राचीन भारत में मोहरे और गोलाकार सील निर्यात किए गए थे। इतिहासकारों द्वारा प्राचीन मेसोपोटामिया लिपियों और भारतीय लिपि के बीच समानता का भी पता लगाया गया है। अफसोस की बात है कि प्राचीन मेसोपोटामिया की लिपियों को लगभग 2300 ईसा पूर्व के बाद से ही पढ़ा जा सकता है, जब मेसोपोटामिया ने कीलाक्षर प्रणाली को अपनाया था। हालांकि, इन एलेमाइट लिपियों (Elamite Scripts) को भारतीय लिपि के समान माना जाता है। रैखिक एलेमाइट से सिंधु लिपि की जांच करने पर, कई समान प्रतीक भी देखे गए हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता से बहुत बड़ी थी। सिंधु घाटी सभ्यता 1.2 मिलियन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई थी , जो मेसोपोटामिया के कब्जे वाले 65,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से बहुत बड़ा है। दोनों सभ्यताओं के सबसे बड़े शहर, आकार में लगभग समान थे, जिनमें लगभग 30,000 से 40,000 लोग रहते थे। सिंधु घाटी सभ्यता में लगभग 1,500 शहर थे, और अपने चरम पर, इसमें लगभग 5 मिलियन लोग रहते थे। इसके विपरीत, 2500 ईसा पूर्व में मेसोपोटामिया की कुल शहरी आबादी लगभग 290,000 थी। 3000 से अधिक देवताओं के साथ प्राचीन मेसोपोटामिया में देवी-देवताओं की एक विशाल संस्कृति मौजूद थी। इनमें कुछ ऐसे भी देवता हैं जिन्हें भारतीयों द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है। दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के इसिन-लार्सा (Isin-Larsa) और पुराने बेबीलोनियन काल के देवताओं की मूर्तियों के बीच, तिरुमाला - तिरुपति, चार मुख वाले ब्रह्मा-सरस्वती, शिवलिंग, भुवनेश्वरी और हनुमान के समान दिखने वाली मूर्तियां पाई गई हैं । ‘शिकागो विश्वविद्यालय’ (University of Chicago) के ‘ओरिएंटल इंस्टीट्यूट संग्रहालय’ (Oriental Institute Museum) में छवियों के डेटाबेस में एक ऐसी छवि भी मिली, जो हूबहू भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी देवी पद्मावती जैसी दिखाई देती है। पिछले 15,000 वर्षों से समुद्र का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसके कारण तटीय रेखाएँ घट रही हैं। सिंधु घाटी और मेसोपोटामिया के तट, जो आज लगभग 2000 किलोमीटर दूर हैं तब ये मूल रूप से केवल लगभग 1000 किलोमीटर दूर थे। सुमेरियों के पूर्वजों के लिए, मेसोपोटामिया क्षेत्र और सिंधु क्षेत्र के तटों के बीच की दूरी आज की तुलना में बहुत कम रही होगी। माना जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता और मेसोपोटामिया के बीच संबंध तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के उत्तरार्ध के दौरान शुरू हुआ था, और यह तब तक कायम रहा जब तक कि यह लगभग 1900 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी सभ्यता के विलुप्त होने के साथ समाप्त नहीं हो गया।

संदर्भ
https://bit.ly/3ZWsjCa
https://bit.ly/3lkcUMW
https://bit.ly/3ZW4jz5
https://bit.ly/3loTuqn

चित्र संदर्भ
1. मेसोपोटामिया और सिंधु घाटी सभ्यता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मेसोपोटामिया मानचित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. 7वीं शताब्दी ई.पू. अशर्बनपाल (आर. 669-631 ई.पू.) और एक रथ में तीन शाही परिचारकों को दर्शाती कला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. उर (Ur) (प्राचीन मेसोपोटामिया में एक प्रभावशाली सुमेरियन शहर-राज्य) में 2600 ईसा पूर्व की कब्रों से, प्राचीन भारत (सिंधु घाटी) से प्राप्त कार्नेलियन (Carnelian) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. हलफ संस्कृति, मेसोपोटामिया, 6000-5100 ईसा पूर्व की उर्वरता मूर्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मेहरगढ़, सिंधु घाटी, c.3000 ईसा पूर्व की उर्वरता मूर्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. मेसोपोटामिया और सिंधु घाटी सभ्यता की मुहर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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