अब तो विज्ञान से भी आ रही है पुष्टि कि सुंदरता तो देखने वाले की नजर में होती है

जौनपुर

 15-03-2023 09:58 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

एक कहावत है कि “सुंदरता देखने वाले की नजर में होती है!” हालांकि, आपको यह पंक्तियां हमारे पूर्वजों द्वारा कही गई मात्र एक कहावत लग सकती हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वैज्ञानिक भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि “किसी भी कला या व्यक्ति का सुंदर दिखाई देना, उसकी खूबसूरती से अधिक हमारे मस्तिष्क पर निर्भर करता है।” अर्थात हमारा मस्तिष्क किसी वस्तु को सुंदर मानता है अथवा नहीं। सुंदरता पर मनुष्य सदियों से मोहित रहा है। हम इसे प्रकृति, कला और यहां तक कि अपने फोन और फर्नीचर (Furniture) में भी तलाशते हैं। इंसान सुंदरता को बहुत अधिक महत्व देते हैं, और हम सदैव सुंदरता से घिरे रहने की कोशिश में लगे रहते हैं। हालांकि, सुंदरता के प्रति हमारे आकर्षण के बावजूद, यह परिभाषित करना कठिन है कि सुंदरता वास्तव में क्या है? अनेक दार्शनिक, सदियों से इस प्रश्न पर विचार करते आ रहे हैं और अब वैज्ञानिक भी इस प्रश्न में रुचि लेने लगे हैं। किसी वस्तु को सुंदर मानने से जुड़े ऐसे कई सिद्धांत मौजूद हैं, जिनमें सुंदरता के संदर्भ में अनुपात, समरूपता और संतुलन आदि के विषय में अध्ययन शामिल हैं। मनोवैज्ञानिकों द्वारा इन विचारों का गहन अध्ययन किया गया है। हालाँकि, सुंदरता केवल वह नहीं है, जिसे हम देखते हैं, बल्कि सुंदरता यह भी है कि हम इसका अनुभव कैसे करते हैं? मानव शरीर में मस्तिष्क एक जटिल अंग है और विशिष्ट कार्यों के लिए मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्र जिम्मेदार होते हैं। इसलिए वैज्ञानिक अभी भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि मस्तिष्क का कौन सा क्षेत्र सुंदरता को कैसे संसाधित करता है। कुछ मस्तिष्क वैज्ञानिकों का मानना है कि मस्तिष्क में एक विशिष्ट क्षेत्र हो सकता है जो सौंदर्य के प्रति प्रतिक्रिया करता है। हालांकि, इस सिद्धांत का समर्थन करने के लिए भी कोई निर्णायक तथ्य उपलब्ध नहीं है।
बीजिंग, चीन (Beijing, China) में स्थित एक राष्ट्रीय सार्वजनिक अनुसंधान विश्वविद्यालय, चिंगवा विश्वविद्यालय (Tsinghua University) के शोधकर्ताओं ने मानव मस्तिष्क में सुंदरता रूपी भाव की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए, मस्तिष्क -इमेजिंग अध्ययनों (Brain-Imaging Studies) का एक मेटा-विश्लेषण किया, जिसके तहत दृश्य कला और चेहरों के प्रति लोगों की तंत्रिका प्रतिक्रियाओं की जांच की गई। जांच के परिणामों से पता चला कि मस्तिष्क में ऐसा कोई एक विशिष्ट क्षेत्र नहीं है, जो सुंदरता पर प्रतिक्रिया करता हो। इसके बजाय, मस्तिष्क सुंदरता को और अधिक जटिल तरीके से संसाधित करता है, जिसमें मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र, सुंदरता के विभिन्न पहलुओं पर प्रतिक्रिया करते हैं। इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने सुंदर दृश्य कला और सुंदर चेहरों के प्रति मस्तिष्क की प्रतिक्रिया पर 49 विभिन्न अध्ययनों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करने के लिए सक्रियण संभावना अनुमान (Activation Likelihood Estimation (ALE) नामक तकनीक का उपयोग किया। एएलई के तहत सभी व्यक्तिगत अध्ययनों को जोड़ा गया, ताकि मस्तिष्क सुंदरता के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है, इसकी एक अधिक व्यापक तस्वीर तैयार की जा सके। शोधकर्ताओं ने पाया कि सुंदर दृश्य कला और सुंदर चेहरे किसी एक विशिष्ट क्षेत्र के बजाय मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों को सक्रिय करते हैं, हालांकि, कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में मस्तिष्क में एक सामान्य सुंदरता केंद्र भी सक्रिय पाया गया। उदाहरण के लिए यदि चेहरे की सुंदरता की किसी चित्रकला की सुंदरता से तुलना की जाती है तो मस्तिष्क का सामान्य सुंदरता केंद्र सक्रिय पाया गया । हालांकि, यह अध्ययन भी सीमित है और मस्तिष्क में सुंदरता की प्रकृति पर बहस को पूरी तरह से नहीं सुलझाता है।
न्यूरो एस्थेटिक्स (Neuro Aesthetics) अनुसंधान का एक नया क्षेत्र है, जो कला के संदर्भ में मस्तिष्क के अध्ययन में विज्ञान को लागू कर संभावनाओं की जांच करता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) में मनोविज्ञान में सहायक प्रोफेसर डॉ. नैन्सी एल. एटकॉफ (Professor Dr. Nancy L. Etcoff) का मानना ​​है कि हाल ही में तकनीकी नवाचारों, जैसे कि ‘कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग’ (Functional Magnetic Resonance Imaging (fMRI) की मदद से मस्तिष्क में क्या चल रहा है, इसकी एक ठोस तस्वीर प्राप्त की जा सकती है, जिससे वैज्ञानिकों को मानव अनुभव का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी। एटकॉफ कला और सौंदर्य की सराहना, खुशी, शांति, कृतज्ञता, विस्मय और राहत जैसी सकारात्मक भावनाओं के लिए विज्ञान के दायरे का विस्तार करने में रुचि रखती है। फूलों के शक्तिशाली प्रभावों की व्याख्या करने के लिए विकासवादी सिद्धांत का उपयोग करके एटकॉफ वर्तमान में यह अध्ययन कर रही हैं कि फूल लोगों के व्यवहार और भावनाओं पर प्रभाव डालकर कैसे तनाव के स्तर को कम कर सकते हैं और एकाग्रता एवं ध्यान में सुधार कर सकते हैं। उनका मानना है कि कला विशेष रूप से आकर्षक है क्योंकि यह लोगों में जो भावनाएँ जगाती है, वह बहुत जटिल होती है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन (University College, London) में न्यूरो एस्थेटिक्स के एक प्रोफेसर सेमिर ज़ेकी (Professor Semir Zeki) ने पता लगाया है कि मस्तिष्क में एक ऐसा क्षेत्र है जिसे औसत दर्जे का ‘कक्षीय ललाट प्रांतस्था’ (Orbital Frontal Cortex) कहा जाता है और जो हमेशा सुंदरता की धारणा के साथ संबंध रखता है। मस्तिष्क का यह क्षेत्र तब अधिक सक्रिय होता है जब लोग किसी वस्तु को अधिक सुंदर समझते हैं।
ज़ेकी सुंदरता की धारणा को जैविक और सांस्कृतिक विरासत के रूप में विभाजित करते हैं। उदाहरण के लिए, सभी संस्कृतियों के लोग छोटे बच्चों को सुंदर मानते हैं, जबकि सांस्कृतिक अंतर लोगो द्वारा धार्मिक इमारतों को देखने के नजरिये को प्रभावित करते हैं। कुल मिलाकर, न्यूरो एस्थेटिक्स एक आशाजनक क्षेत्र है जो कला और विज्ञान को जोड़ता है और नई अंतर्दृष्टि और खोजों को जन्म दे सकता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3TlxIjW
https://bit.ly/3l9Ri63

चित्र संदर्भ
1. एक प्राकृतिक एवं मानवीय अवलोकन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. नोट्रे डेम डे पेरिस में रेयोनेंट रोज विंडो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. सामान्य नियंत्रणों की तुलना में फाइब्रोमाइल्गिया में ग्रे पदार्थ की कमी वाले क्षेत्रों के सजिटल, कोरोनल और अक्षीय खंड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. अपने पारंपरिक परिधान में एक भारतीय महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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